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नई दिल्ली: दुनिया में एक से बढ़ कर एक अजीबोगरीब चीजें हैं, जिन पर वैज्ञानिक लगातार रिसर्च करते रहते हैं. कई घटनाएं और वस्तुएं साइंटिस्ट (Scientist) के लिए चुनौती बनी हुई हैं. इन घटनाओं और रहस्यों को विज्ञान अब तक नहीं सुलझा पाया है. ऐसी ही एक चुनौती है महाबलिपुरम का बटरबॉल (Butterball), जो 1200 वर्षों से साइंस को चैलेंज कर रहा है. इसे कृष्णा का बटरबॉल (Krishna's Butterball) कहते हैं. आइए जानते हैं इस बटरबॉल के पीछे का वैज्ञानिक तर्क और रहस्य.
महाबलिपुरम का कृष्णा बटरबॉल (Krishna's Butterball) तमिलनाडु (Tamil Nadu) में स्थित एक विशाल ग्रेनाइट चट्टान (Mysterious Stone) है. 6 मीटर ऊंची और 5 मीटर चौड़ी इस चट्टान का वजन 250 टन है और यह ढलान पर स्थित है. आप जान कर चौंक जाएंगे कि यह चट्टान पिछले 1200 वर्षों से इसी ढलान पर स्थित है. चट्टान का मूल नाम Vaan Irai Kal है, जिसका अर्थ है, 'आकाश के देवता का पत्थर'. इसे यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) की मान्यता प्राप्त है.
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वैज्ञानिकों का मानना है कि यह चट्टान अपने प्राकृतिक स्वरूप में है. भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, धरती में आए प्राकृतिक बदलाव की वजह से इस तरह के असामान्य आकार के पत्थर का जन्म हुआ है. वर्तमान समय में विज्ञान इतनी प्रगति कर चुका है लेकिन इसके बावजूद भी अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि 4 फीट के बेस पर यह 250 टन का पत्थर कैसे टिका हुआ है.
कुछ लोगों का दावा है कि पत्थर के न लुढ़कने की वजह घर्षण (Friction) और गुरुत्वाकर्षण (Gravity) है. भूवैज्ञानिकों का तर्क है कि प्राकृतिक क्षरण (Corrosion) में इस तरह के असामान्य आकार का उत्पादन करने की संभावना नहीं है. कुछ का मानना है कि देवताओं ने खुद इसे रखा है. वहीं, कुछ का कहना है कि इसे एलियंस ने रखा है.
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इस पत्थर को हटाने की अब तक की सभी कोशिशें नाकाम रही हैं. 1908 में महाबलिपुरम के गवर्नर आर्थर हैवलॉक ने सात हाथियों का उपयोग करके चट्टान को स्थानांतरित करने का प्रयास किया था, लेकिन चट्टान एक इंच भी नहीं हिला. पल्लव राजा नरसिंहवर्मन ने भी चट्टान को हिलाने की नाकाम कोशिश की थी. लोगों का मानना है कि किसी दिन चट्टान नीचे लुढ़क जाएगी, लेकिन यह पिछले 1200 वर्षों से हिली भी नहीं है!
250 टन वजनी पत्थर 'कृष्णा बटर बॉल' (Krishna's Butterball) पिछले करीब 1300 सौ वर्षों से भूकंप, सुनामी, चक्रवात समेत कई प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी अपने स्थान पर बना हुआ है. यही नहीं, इस पत्थर को हटाने के लिए कई बार मानवीय असफल प्रयास भी किए गए हैं. दुनियाभर से महाबलिपुरम पहुंचने वाले लोग प्राकृतिक पत्थर से बने कृष्णा बटर बॉल को देखकर अचंभित हो जाते हैं.
वहीं हिंदू लोककथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण अक्सर अपनी मां के घड़े से मक्खन चुराया करते थे और इस प्राकृतिक चट्टान को मक्खन के द्रव्यमान के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है! इसीलिए इसका नाम कृष्णा का बटरबॉल है.
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