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नई दिल्ली: मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के संभाविता (Life On Mars) को लेकर इस समय सबसे ज्यादा शोध हो रहे हैं. बहुत से देश मंगल पर अपने अभियान भेज रहे हैं. बता दें कि चीन (China) और यूएई (UAE) की यान मंगल की कक्षा में इसी महीने स्थापित हुए हैं. वहीं नासा का पर्सवियरेंस रोवर (Perseverance Rover) वहां की सतह पर उतरने वाला है. लेकिन इससे पहले शोधकर्ताओं को मंगल ग्रह पर हाइड्रोजन क्लोराइड (Hydrogen Chloride) गैस देखने को मिली है जो अभी तक वहां पहले कभी नहीं देखी गई. बताया जा रहा है कि इस खोज से वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के नए रसायन चक्र (Chemical Cycle) के बारे में जानकारी मिलने की उम्मीद है.
यह खोज यूरोपीय स्पेस एजेंसी एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर (European Space Agency Exomars Trace Gas Orbiter) और रूसी स्पेस एजेंसी रोसकोसमोस (Russian Space Agency Roscosmos) के आंकड़ों से मिली है. इस प्रोजेक्ट के प्रमुख वैज्ञानिक केविन ओल्सेन (Kevin Olsen) के मुताबिक, पहली बार मंगल के वायुमंडल में किसी हैलोजन गैस की पहचान की गई है और यह मंगल ग्रह के वायुमंडल में नए रासायनिक च्रक (Chemical Cycle) को प्रदर्शित करती है.
गौरतलब है कि हाइड्रोजन क्लोराइड (HCL) गैस की खोज मंगल ग्रह पर साल 2018 में आए एक धूल के तूफान की वजह से हुई थी. क्लोरीन आधारित गैसें कई बार ज्वालामुखी गतिविधियों का संकेत देती हैं, लेकिन इस बार एचसीएल मंगल के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्धों में एक साथ दिखाई दी है और उसके अलावा किसी और तरह के ज्वालामुखी गैस नहीं देखे हैं.
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यही वजह है कि एचसीएल का संबंध मंगल पर धूल वाले मौसम में सतह और वायुमंडल के बीच होने वाली अंतरक्रिया से ही है. मंगल के वातावरण में सोडियम क्लोराइड (NaCl) वाष्पीकृत महासागरों के अवशोष के तौर पर रहा और फिर मंगल के धूल भरी सतह में मिल गया. अनुमान लगाया जा रहा है कि यह पृथ्वी की ही तरह ग्रह के वायुमंडल में हवाओं से उठ कर मिल गया.
हैरानी की बात है कि 2018 के धूल भरे तूफान में आया एचसीएल (HCL) तेजी से गायब भी हो गई. लेकिन यूरोपीय स्पेस एंजेंसी को लगता है कि ये अगले साल फिर वापस आ सकती है. ओल्सेन का कहना है कि क्लोरीन को आजाद करने के लिए पानी की भाप की जरूरत होगी और हाइड्रोजन क्लोराइड बनाने के लिए उसके सहउत्पाद हाइड्रोजन की जरूरत होगी. इसमें पानी की अहम भूमिका है. ओल्सेन ने बताया कि धूल से इस गैस का एक संबंध है. जब धुल की गति तेज होती है तब ज्यादा एचसीएल देखा जाता है. इस प्रक्रिया का संबंध दक्षिणी गोलार्द्ध के मौसम के समय गर्म होने से है.
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एक्सोमार्स टीम के अनुसार, एचसीएल (HCL) कैसे भी आती हो, ऐसा लगता है कि उसके पैदा और खत्म होने की प्रक्रिया का मंगल ग्रह के वायुमंडल के रसायन प्रक्रियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. टीम ने कहा कि उनकी खोज संकेत देती है कि मंगल की फोटोकैम्सिट्री का फिर से अवलोकन करना चाहिए जिसमें वायुमंडलीय धूल को भी अध्ययन में शामिल किया जाना चाहिए.
दरअसल कुछ समय से मंगल ग्रह पर जीवन को लेकर उम्मीदें जताई जा रही है. इस तरह के मंगल के अन्वेषण का उद्देश्य वहां के वायुमंडलीय गैसों की पहचान करना है जो वहां कि जैविक और भूगर्भीय गतिविधियों का संकेत हो सकती हैं. इसका एक उद्देश्य यह पता करना भी है कि क्या मंगल पर कभी जीवन था या नहीं. इसके साथ ही मंगल पर जीवन का आंकलन करने के लिए वहां पानी की मात्रा पता करना भी एक लक्ष्य है.
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