Lyrid Meteor Shower: आज रात से आसमान में दिखेगा आतिशबाजी सा नजारा, कभी देखें हैं टूटते उल्का पिंड
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Lyrid Meteor Shower: आज रात से आसमान में दिखेगा आतिशबाजी सा नजारा, कभी देखें हैं टूटते उल्का पिंड

Lyrid Meteor Shower: देश के कई शहरों में आज शुक्रवार को आसमान में अनोखा खगोलीय नजारा देखने को मिल सकता है. इन शहरों में उल्का पिंड की बौछार देखने को मिल सकती है.

Lyrid Meteor Shower: आज रात से आसमान में दिखेगा आतिशबाजी सा नजारा, कभी देखें हैं टूटते उल्का पिंड

Lyrid Meteor Shower: आज यानी शुक्रवार से आसमान पर नजर रखने वालों को आतिशबाजी जैसा नजारा देखने को मिल सकता है. हम बात कर रहे हैं एक बेहद ही खूबसूरत खगोलीय घटना के बारे में (Astronomical Event). देश के कई शहरों में उल्का पिंड की बौछार (Lyrid meteor shower) का नजारा देखने को मिल सकता है. आसमान में रात के वक्त यह नजारा एक-दो दिन नहीं बल्कि 29 अप्रैल दिख सकता है. वैज्ञानिकों ने बताया है कि हर घंटे करीब 10 से 15 उल्का पिंड अलग-अलग शहरों में गिरते हुए दिखाई दे सकते हैं. खास बात यह है कि आज रात यानी शुक्रवार की रात उल्का पिंडों की बौछार सबसे ज्यादा देखने को मिल सकती है.

यह आसमानी नजारा भारत में देखा जाना तय

पृथ्वी एक बार फिर लिरिड उल्काओं का स्वागत करने के लिए तैयार है. दिलचस्प बात यह है कि वार्षिक लिरिड उल्का बौछार इस बार भारतीय आसमान में देखा जाना तय है. जानकारों के मुताबिक हर घंटे कम से कम 10 से 15 उल्काएं गिरेंगी. इन्हें दिल्ली, कोलकाता और देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी देखा जा सकता है. रात 8:31 बजे के बाद से ये उल्काएं अपने चरम पर होंगी.

चांद की चमक मजा कर सकती है किरकिरा

ये उल्का वर्षा आज रात से 29 अप्रैल तक भारतीय आसमान को रात के वक्त और भी गुलजार कर देंगी. हालांकि, चांद की चमक लोगों को अनोखी घटना देखने से रोक सकती है. एक्सपर्ट्स का मानना ​​​​है कि सबसे अच्छी उल्का वर्षा सुबह के वक्त और सूर्योदय से ठीक पहले होती है.

इस खगोलीय घटना पर नासा ने क्या कहा?

नासा के अनुसार लिरिड उल्का पिछले 2,700 वर्षों से पृथ्वी के आसमान में देखे जा रहे हैं. कहा जाता है कि वे अपने पीछे रात के आसमान में टिमटिमाती धूल के निशान और लकीरें छोड़ जाते हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि लिरिड उल्काओं का नाम सितारों के लायरा तारामंडल के नाम पर रखा गया है. उल्का धूमकेतु थैचर द्वारा छोड़े गए मलबे के क्षेत्र का एक हिस्सा है जो वर्तमान में सूर्य से दूर सौर मंडल से होकर गुजर रहा है.

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