Batteries in Future: ये तो जादू है...रुई से चलेंगी बैटरियां, खत्म होगी चीन की 'चौधराहट'; भारत के सामने मौका-मौका
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Batteries in Future: ये तो जादू है...रुई से चलेंगी बैटरियां, खत्म होगी चीन की 'चौधराहट'; भारत के सामने मौका-मौका

Future Batteries Process: महंगे होने की वजह से इलेक्ट्रिकल व्हीकल फिलहाल आम लोगों की रेंज से बाहर हैं लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं होगा. अब लीथियम के बजाय सस्ती और बेहतरीन तकनीक से बैटरी बनाने की योजना पर काम चल रहा है.  

Batteries in Future: ये तो जादू है...रुई से चलेंगी बैटरियां, खत्म होगी चीन की 'चौधराहट'; भारत के सामने मौका-मौका

Batteries from Cotton and Sea Water: दुनिया तेजी से बदल रही है. इसी के साथ हमारी तकनीकों में भी बदलाव आ रहा है. एक्सपर्टों का मानना है कि आने वाले वक्त पूरी तरह बैटरियों पर निर्भर होगा. यानी कि आपके मोबाइल फोन से लेकर ट्रक- बस तक सब कुछ बैटरियों से चलेगा. इसके लिए दुनिया को बड़ी मात्रा में लीथियम और दूसरे खनिजों की जरूरत होगी, जिनसे बैटरियों का निर्माण होता है. लेकिन क्या हम दूसरी चीजों का इस्तेमाल कर बैटरी नहीं बना सकते. जी नहीं, हम बना सकते हैं. 

कपास से बनाई जाएगी बैटरी

वैज्ञानिक अब कपास और समुद्री पानी के जरिए बैटरियां (Batteries in Future) चलाने की संभावना खंगाल रहे हैं. वे उदाहरण देते हुए कहते हैं कि अब एटीएम मशीनों को चलाने के जली हुई कपास का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए कैश मशीन के अंदर एक एक बैकअप बैटरी रखी जाती है, जिसमें सावधानी से जलाए गए कपास से बना कार्बन होता है. यही कार्बन उस बैटरी स्मूथली चलाता रहता है और इसके लीथियम की भी जरूरत नहीं पड़ती. 

ऐसे होता है बैटरी का निर्माण

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक बैटरी बनाने वाली जापानी कंपनी पीजेपी आई के मुख्य खुफिया अधिकारी इंकेत्सू ओकिना इस बारे में विस्तार से बताते हैं. वे कहते हैं, "ईमानदारी से कहूं तो यह एक गुप्त प्रक्रिया है. इस कार्बन को बनाने के लिए 3 हजार डिग्री ज्यादा तापमान की जरूरत होती है. इसके बाद करीब 1 किलो कपास से लगभग 200 ग्राम कार्बन निकलता है. वे बताते हैं कि किसी भी बैटरी (Batteries in Future) के सेल को चलाने के लिए केवल 2 ग्राम कार्बन की जरूरत होती है. यानी कि आप बिना लीथियम का इस्तेमाल किए कपास से बहुत सारे बैटरी सेल का निर्माण कर सकते हैं. 

इन विकल्पों पर भी चल रहा काम

एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के एक्सपर्ट सैम विल्किंसन भी इसकी संभावनाओं पर बात करते हैं. वे कहते हैं कि बायोवेस्ट और नेचुरल पिगमेंट के अलावा बैटरी (Batteries in Future) बनाने के लिए कई अन्य विकल्प भी मौजूद हैं. इनमें सीवेज वेस्टेज भी शामिल हैं. हम इनमें से किसी का इस्तेमाल कर बैटरी बना सकते हैं.  लीथियम का विकल्प ढूंढ रहे वैज्ञानिकों के लिए केवल कपास और समुद्री पानी ही ऑप्शन नहीं है. फ़िनलैंड में स्टोरा एनसो ने एक बैटरी एनोड विकसित की है, जो पेड़ों में पाए जाने वाले पॉलिमर लिग्निन से निकले कार्बन से बनी है. 

चीन के चंगुल से निकलने की कोशिश

दुनिया में लीथियम (Batteries in Future) का विकल्प इसलिए भी ढूंढा जा रहा है क्योंकि यह चीन समेत कुछेक देशों में ही मौजूद है. ऐसे में अगर किसी दिन चीन ने चाहा तो वह लीथियम की सप्लाई रोककर किसी भी देश को घुटने पर ला सकता है. इसके साथ ही लीथियम के खनन से पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है, जिससे एक्सपर्ट चिंतित हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर लीथियम के सुरक्षित, सस्ते और बेहतरीन विकल्प मिल जाते हैं तो आने वाले समय में नई क्रांति देखने को मिलेगी. 

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