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लंदनः माना जाता है कि मोबाइल फोन (Mobile phone) के अधिक इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. कुछ लोगों का मानना है कि इसके रेडिएशन (Mobile phone Radiation) का दिमाग पर सीधा असर पड़ता है. इसी बीच शोधकर्ताओं ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. बड़े पैमाने पर किए गए एक नए शोध में पता चला है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल (Mobile phone use) से ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumour) का खतरा नहीं बढ़ता है.
'इंडिपेंडेंट' में छपी रिपोर्ट के अनुसार, यह शोध 7,76,000 से अधिक महिलाओं पर किया गया. इससे पता चला कि ट्यूमर होने का कोई खतरा नहीं था. इन लोगों ने 2 दशक तक हर दिन मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था. बता दें कि 5G वायरलेस टेक्नोलॉजी (5G Technology) लांच के बाद से दिमाग पर मोबाइल फोन के असर के बारे में लंबे समय से आशंका बनी हुई है.
इसको लेकर ऑक्सफोर्ड पॉपुलेशन हेल्थ और इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के वैज्ञानिकों ने बड़े पैमाने पर शोध किया. इसमें पता चला कि उन लोगों की तुलना में मोबाइल फोन यूजर्स (Mobile phone users) में ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumour) का कोई खतरा नहीं है, जिन्होंने कभी इसका इस्तेमाल नहीं किया है. इसके लिए शोधकर्ताओं ने यूके मिलियन वूमेन स्टडी के डेटा का इस्तेमाल किया. इस स्टडी में 1935 से 1950 के बीच पैदा हुई यूके की सभी चार महिलाओं में से एक पर शोध किया गया.
इस स्टडी में 2001 में लगभग 7,76,000 प्रतिभागियों ने मोबाइल फोन के इस्तेमाल के बारे में पूछे गए प्रश्नों का जवाब दिया. इनमें से लगभग आधी महिलाओं का 2011 में फिर से सर्वेक्षण किया गया था. इसमें विभिन्न प्रकार के ब्रेन ट्यूमर के जोखिम के संबंध में फोन के इस्तेमाल की जांच की गई. शोध में पता चला कि 2011 तक, 60 से 64 वर्ष की आयु की लगभग 75 प्रतिशत महिलाओं ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था. वहीं, 75 से 79 वर्ष की आयु की 50 प्रतिशत से कम महिलाओं ने मोबाइल फोन का यूज किया.
इस 14 साल के शोध के दौरान 3,268 महिलाओं को ब्रेन ट्यूमर हुआ. इससे शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वालों और नहीं करने वालों के बीच ब्रेन ट्यूमर होने के जोखिम में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं था. इसके अलावा जो लोग 10 साल से अधिक समय तक रोजाना कम से कम 20 तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते थे, उनमें किसी तरह का कोई ट्यूमर नहीं हुआ.
ऑक्सफोर्ड पॉपुलेशन हेल्थ के कैंसर एपिडेमियोलॉजी यूनिट के शोध के को-इंवेस्टिगेटर कर्स्टन पिरी ने कहा कि इस रिजल्ट से पता चलता है कि सामान्य परिस्थितियों में मोबाइल फोन के उपयोग से ब्रेन ट्यूमर होने का कोई खतरा नहीं है. हालांकि, शोधकर्ताओं ने स्वीकार किया कि यह स्पष्ट नहीं है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से जुड़े खतरे उन लोगों से भिन्न हैं, जो शोध में शामिल महिलाओं की तुलना में काफी अधिक मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं.
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शोध में केवल 18 प्रतिशत फोन यूजर्स ने बताया कि वह हर हफ्ते 30 मिनट या उससे अधिक समय तक मोबाइल फोन पर बात करते हैं. शोध में बच्चों या किशोरों को शामिल नहीं किया गया था. हालांकि, वैज्ञानिकों ने इन समूहों में मोबाइल फोन के उपयोग और ब्रेन ट्यूमर के जोखिम के बीच संबंध की जांच की है और कोई लिंक नहीं मिला.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स (Oxford University Hospitals) में मेडिकल फिजिक्स और क्लिनिकल इंजीनियरिंग के निदेशक प्रोफेसर मैल्कम स्पेरिन ने कहा कि यह शोध मोबाइल फोन से होने वाले खतरे को देखते हुए स्वागत योग्य है. इस शोध को अच्छी तरह से डिजाइन किया गया था. इससे मौजूदा चिंताओं को दूर करने में काफी मदद मिलेगी.
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