अब सूअर की 'फीलिंग्स' का भी चल सकेगा पता, वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला दावा
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अब सूअर की 'फीलिंग्स' का भी चल सकेगा पता, वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला दावा

सूअरों की भाषा (Pigs Language) समझना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका खोजा है, जिससे उनकी भाषा को डिकोड (Pigs Language Decode) करने में मदद मिली है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने 400 से अधिक सूअरों पर शोध (Research on Pigs) किया. 

फाइल फोटो

पेरिसः जानवरों की भाषा समझना काफी मुश्किल होता है. कुछ पालतू जानवरों को छोड़ दिया जाए, तो यह पता लगाना कठिन हो जाता है कि वह क्या महसूस करते हैं. इंसान सूअरों को पिछले काफी समय से पालते आया है. हालांकि, अभी भी यह अंदाजा लगाना असंभव है कि जब सूअर चिल्लाता है, तो क्या महसूस करता है. ऐसे में सूअरों की भाषा समझने (डिकोड) (Pigs Language Decode) के लिए वैज्ञानिकों काफी शोध किया, आखिरकार इसके लिए एक तरीका खोज निकाला. 

  1. वैज्ञानिकों ने सूअरों की भाषा को किया डिकोड
  2. भाषा और फीलिंग्स को समझने के लिए ढूंढा तरीका
  3. जानवरों को समझने में मिलेगी बेहतर मदद

कई देशों के वैज्ञानिकों ने किया शोध

सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, डेनमार्क (Denmark), स्विट्जरलैंड (Switzerland), फ्रांस (France), जर्मनी (Germany), नॉर्वे (Norway) और चेक गणराज्य (Czech Republic) के वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने सूअरों की भाषा को डिकोड (Pigs Language Decode) करने का एक तरीका खोजा है. साइंटिफिक रिपोर्ट्स में इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित शोध में, वैज्ञानिकों ने विभिन्न परिदृश्यों में सूअरों के गीतों को रिकॉर्ड करके उनकी भावनाओं को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है.

411 सूअर पर रिसर्च

शोधकर्ताओं ने 411 सूअरों पर शोध (Research on Pigs) किया और उनकी 7,414 आवाजों का इस्तेमाल करते हुए एक एल्गोरिदम डेवलप किया. इससे यह समझने में मदद मिली कि सूअर पॉजिटिव और निगेटिव भावना या बीच में कुछ अनुभव कर रहे थे. यह रिकॉर्डिंग सुअरों की पॉजिटिव और निगेटिव दोनों तरह स्थितियों में एकत्र की गई थी. इस दौरान, उनके पैदा होने से मरने तक निगरानी की गई.

पॉजिटिव और निगेटिव स्थिति पर शोध

पॉजिटिव स्थितियों में सूअर के बच्चों का मां को चूमना और अलग होने के बाद परिवार से मिलना शामिल था. जबकि, निगेटिव स्थितियों में दूर होना, सुअर के बच्चों में लड़ाई, बधियाकरण और उनको मारना शामिल था.

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पशुओं की देखभाल में मिलेगी मदद

शोध के को लीडर और कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर एलोडी ब्रीफर कहते हैं कि इस शोध से यह पता चलता है कि जानवरों की आवाज में उनकी भावनाओं की गहराईयां होती हैं. इससे यह साबित होता है कि सूअरों की भावनाओं को समझने के लिए एक एल्गोरिदम का उपयोग किया जा सकता है, जिससे बेहतर पशु कल्याण की दिशा में काफी मदद मिलेगी.

नये पैटर्न का चला पता

7000 से अधिक ऑडियो रिकॉर्डिंग का विश्लेषण करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या कुछ भावनाओं से गुजरने के दौरान आवाजों में कोई पैटर्न था, शोधकर्ताओं ने निगेटिव स्थितियों में जोर की आवाज, चीखना आदि पाया. आवाज की फाइलों के और गहन विश्लेषण के बाद शोधकर्ताओं ने एक नया पैटर्न पाया, जिससे पता चला कि सूअरों ने कुछ स्थितियों में और भी अधिक विस्तार से क्या अनुभव किया. यह शोध कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी (University of Copenhagen) और फ्रेंच नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर, फूड एंड एनवायरनमेंट के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था.
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