NASA ने ढूंढा पृथ्वी का 'बड़ा भाई'!, जीवन जीने लायक मिली दूसरी धरती
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NASA ने ढूंढा पृथ्वी का 'बड़ा भाई'!, जीवन जीने लायक मिली दूसरी धरती

नासा ने गुरुवार रात बिल्कुल धरती जैसा नया ग्रह मिलने की घोषणा है। खगोलविदों ने करीब धरती के आकार का पहला ग्रह तलाशा है। केपलर अंतरिक्ष दूरबीन से मिले ग्रह को केपलर 452बी नाम दिया है। सौर मंडल से बाहर मिला यह ग्रह हमारी धरती की तरह है। केपलर-452बी नाम का यह ग्रह जी2 जैसे सितारे की परिक्रमा जीवन के लायक क्षेत्र में कर रहा है। जी2 तारा भी हमारे सूर्य के जैसा है। धरती की तरह ही इसका अपना सूरज है।

तस्वीर के लिए साभार - NASA/JPL-Caltech/T. Pyle

वाशिंगटन: नासा ने गुरुवार रात बिल्कुल धरती जैसा नया ग्रह मिलने की घोषणा है। खगोलविदों ने करीब धरती के आकार का पहला ग्रह तलाशा है। केपलर अंतरिक्ष दूरबीन से मिले ग्रह को केपलर 452बी नाम दिया है। सौर मंडल से बाहर मिला यह ग्रह हमारी धरती की तरह है। केपलर-452बी नाम का यह ग्रह जी2 जैसे सितारे की परिक्रमा जीवन के लायक क्षेत्र में कर रहा है। जी2 तारा भी हमारे सूर्य के जैसा है। धरती की तरह ही इसका अपना सूरज है।

धरती से बाहर जीवन ढूंढ़ने की नासा की कोशिशों में इस खोज को अहम कदम माना जा रहा है। नासा ने कहा है कि धरती के जैसी नई दुनिया में जीने की पर्याप्त परिस्थिति मौजूद है। बताया गया है कि यदि पौधों को वहां ले जाया जाए तो वे वहां भी जिंदा रह सकते हैं।  नासा के मुताबिक हमारी धरती के जैसी परिस्थिति में अपने सितारे का चक्कर काट रहा ग्रह जीवन की सभी परिस्थितियों और संभावनाओं को समेटे हुए है।

नासा ने अभी तक 12 निवास योग्य ग्रहों की खोज की है और दूसरी धरती की खोज इस दिशा में एक मील का पत्थर है। नासा के साइंस मिशन डाइरेक्टरेट के सहायक प्रशासक जॉन ग्रुंसफेल्ड ने कहा कि इस उत्साहवर्द्धक परिणाम ने हमें अर्थ 2.0 की खोज के करीब पहुंचा दिया है। नया ग्रह ऐसे क्षेत्र में है जिसे निवास योग्य या गोल्डीलॉक्स जोन के रूप में जाना जाता है। तारे के आसपास का यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां परिक्रमा करने वाले ग्रह की सतह पर तरल पानी काफी मात्रा में मौजूद रह सकता है।

नासा के मुताबिक जीवन के लायक क्षेत्र में परिक्रमा करने वाला पहला छोटा ग्रह है लेकिन आकार में धरती से बड़ा है। इसकी आकार धरती की तरह और वर्ष की लंबाई भी करीब समान है। एलियन के वहां मौजूद होने के बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि वहां पेड़-पौधे भेजे गए तो वह जिंदा रह सकते हैं। ज्यादातर जो बातें सामने आई है उससे यह साफ होता है कि वहां भी जीवन की भरपूर संभावनाएं है।

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