James Webb Telescope: ब्रह्मांड में नए ग्रह कैसे बनते हैं? जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने उठाया रहस्य से पर्दा
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James Webb Telescope: ब्रह्मांड में नए ग्रह कैसे बनते हैं? जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने उठाया रहस्य से पर्दा

James Webb Telescope News: NASA के जेम्स वेब टेलीस्कोप की मदद से वैज्ञानिकों ने एक नौजवान तारे के चारों तरफ मौजूद गैस और धूल की डिस्क का अध्ययन किया. उनकी खोज ने हमें नए ग्रहों के निर्माण के बारे में अहम जानकारी दी है.

James Webb Telescope: ब्रह्मांड में नए ग्रह कैसे बनते हैं? जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने उठाया रहस्य से पर्दा

James Webb Space Telescope: अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने ब्रह्मांड में नए तारों के निर्माण से जुड़ी अहम खोज की है. इसके लिए उन्होंने NASA के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की मदद ली. नीदरलैंड्स की ग्रोनिंगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक युवा तारे के चारों तरफ मौजूद गैस और धूल से भरी डिस्क पर नजर डाली. इस नौजवान तारे का द्रव्यमान काफी कम है. वैज्ञानिकों को वहां कार्बन की मौजूदगी वाले अणु इतनी भारी मात्रा में मिले, जो अभी तक ऐसी किसी डिस्क में नहीं देखे गए थे. इन अणुओं का तारे के चारों ओर बनने वाले किसी भी ग्रह की संभावित संरचना पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.

गैस दानवों की तुलना में, कम द्रव्यमान वाले तारों के चारों तरफ चट्टानी ग्रहों के बनने की संभावना अधिक होती है. हमारी आकाशगंगा में अधिकतर तारों के चारों तरफ ऐसे ग्रह सबसे आम हैं. हालांकि, हमें इन ग्रहों की रासायनिक संरचना के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता. शायद वहां की केमिस्ट्री भी पृथ्‍वी जैसी हो, शायद नहीं.

ग्रहों के निर्माण की प्रक्रिया समझना चाहते हैं वैज्ञानिक

वैज्ञानिक JWST की मदद से उन डिस्क्स पर नजर डाल रहे हैं जिनसे ऐसे ग्रह बनते हैं. इससे वह ग्रहों के बनने की प्रक्रिया और उसकी संरचना को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे. बेहद कम द्रव्यमान वाले तारों के चारों तरफ मौजूद ग्रह बनाने वाली डिस्क की स्टडी करना काफी मुश्किल होता है. उनका साइज काफी छोटा होता है और बड़े तारों की तुलना में उनकी रोशनी भी बेहद हल्की रहती है.

जेम्स वेब टेलीस्कोप पहले के इंफ्रारेड स्पेस टेलीस्कोप्स के मुकाबले कहीं ज्यादा सेंसिटिव और स्पेक्ट्रल रेजोल्यूशन वाला है. JWST से ऐसे कम द्रव्यमान वाले तारों के चारों तरफ मौजूद डिस्क की स्टडी की जा सकती है. धरती से इन तारों की निगरानी संभव नहीं क्योंकि हमारा वायुमंडल डिस्क के एमिशंस को ब्लॉक कर देता है.

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बनने वाले ग्रहों में होगी कार्बन की कमी!

अपनी स्टडी में वैज्ञानिकों ने ISO-ChaI 147 नाम के तारे पर फोकस किया. यह 10-20 लाख पुराना तारा है जिसका द्रव्यमान हमारे सूर्य का सिर्फ 0.11 गुना है. जेम्स वेब टेलीस्कोप ने इसकी डिस्क में अब तक की सबसे समृद्ध हाइड्रोकार्बन केमिस्ट्री का खुलासा किया. इस तारे की डिस्क में 13 अलग-अलग कार्बन-युक्त अणुओं की पहचान की गई. स्टडी के मुताबिक, ये अणु हमारे सौरमंडल में पहले ही पाए जा चुके हैं.

नई खोज से पता चलता है कि डिस्क में मौजूद गैस कार्बन से इतनी समृद्ध है कि ठोस पदार्थों, जिनसे ग्रह बनेंगे, में बहुत कम कार्बन बचा होगा. यानी इस तारे के आसपास जो ग्रह बनेंगे, वहां पृथ्वी की तरह कार्बन की कमी होगी.

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