Mars Mission: असल में एस्ट्रोनॉट्स ने कृत्रिम तरीके से बने मंगल ग्रह जैसे वातावरण में 378 दिनों का वक्त बिताया. ऐसे एक्सपेरिमेंट को एनालॉग मिशन कहा जाता है, जिसमें धरती पर मंगल ग्रह जैसे हालात तैयार किए गए.
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NASA Mars Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के 4 अंतरिक्ष यात्री एक साल से ज्यादा समय तक मंगल ग्रह पर बिताकर वापस लौटे हैं. हालांकि इसके लिये वो ना तो किसी स्पेसक्राफ्ट में सवार हुए और ना ही कभी पृथ्वी से बाहर गए. चौंकिये मत. असल में एस्ट्रोनॉट्स ने कृत्रिम तरीके से बने मंगल ग्रह जैसे वातावरण में 378 दिनों का वक्त बिताया. ऐसे एक्सपेरिमेंट को एनालॉग मिशन कहा जाता है, जिसमें धरती पर मंगल ग्रह जैसे हालात तैयार किए गए. इसे नासा ने अमेरिका के ह्यूस्टन में अपने जॉनसन स्पेस सेंटर में तैयार किया था.
6 जुलाई को पूरा हुआ पहला फेज
असल में तीन मिशन की एक सीरीज है जिसका पहला फेज 6 जुलाई को पूरा हुआ है. आप इसे मंगल ग्रह पर मानव मिशन भेजने की तैयारी का पहला चरण कह सकते हैं. 1700 स्क्वॉयर फुट इलाके में मंगल ग्रह जैसा वातावरण तैयार किया गया था जहां पर चारों एस्ट्रोनॉट्स के स्वास्थ्य और परफॉर्मेंस से जुड़ा डेटा इकट्ठा किया गया. नासा का मंगल ग्रह वाला एनालॉग मिशन 25 जून 2023 को शुरू हुआ और 6 जुलाई 2024 तक चला. आगे ऐसे ही मिशन 2025 और 2026 में भी होंगे.
थ्री डी प्रिंटिंग करके एस्ट्रोनॉट्स के रहने के लिये कमरे, किचन, बाथरूम और सब्जी उगाने के लिये खेत बनाए गए थे ताकि वहां रहनेवाले लोगों को एहसास हो कि वो धरती नहीं बल्कि मंगल ग्रह पर ही हैं. भविष्य में मंगल या दूसरे ग्रहों पर थ्री डी प्रिंटिंग से ही स्ट्रक्चर बनाने की प्लानिंग है.
क्यों लॉन्च होते हैं एनालॉग मिशन
आप सोच रहे होंगे कि ऐसा करने की जरूरत क्या है. नासा के मुताबिक सभी एक्सपेरिमेंट अंतरिक्ष में जाकर नहीं किए जा सकते. इसलिये एनालॉग मिशन लॉन्च किये जाते हैं. धरती पर ऐसे मिशन कम समय और कम बजट में ही पूरे हो जाते हैं. इसलिए नासा ने समुद्र, रेगिस्तान के साथ उत्तर और दक्षिण ध्रुव जैसे इलाकों में भी एनालॉग मिशन के स्टेशन तैयार किए हैं.
मंगल पर लगा सकते हैं 9 फुट तक छलांग
मंगल ग्रह से पृथ्वी की दूरी करीब 14 करोड़ किलोमीटर है. मंगल की ग्रैविटी धरती के मुकाबले एक तिहाई है. यानी अगर आप धरती पर 3 फुट लंबी छलांग लगा सकते हैं तो मंगल पर आप 9 फुट तक छलांग लगा पाएंगे. और मंगल पर जाने से पहले वहां रहने के हालात में मिशन पूरा करके एस्ट्रोनॉट्स को कम खर्च में ही पूरी ट्रेनिंग दी जा रही है.