NISAR Mission: ISRO बनेगा 'हनुमान'! ले जाएगा सबसे अडवांस Geosynchronous Satellite; कभी NASA ने किया था बैन
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NISAR Mission: ISRO बनेगा 'हनुमान'! ले जाएगा सबसे अडवांस Geosynchronous Satellite; कभी NASA ने किया था बैन

Geosynchronous Satellite: NASA को इस सैटेलाइट के लिए एक विशेष S-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रेडार (SAR) की जरूरत थी जो भारत ने उपलब्ध कराया है. इसके साथ ही SUV के आकार की इस सैटेलाइट को पूरा करने की अहम कड़ी को जोड़ लिया गया. दिलचस्प बात यह है कि ISRO का जो रॉकेट इस सैटेलाइट को लेकर जाएगा 1992 में अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाया था.

NASA-ISRO SAR

नई दिल्ली: भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) और अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) एक साथ मिलकर 1.5 अरब डॉलर की कीमत की एक सैटलाइट साल 2022 में लॉन्च करने वाले हैं. NASA को इस सैटेलाइट के लिए एक विशेष S-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रेडार (SAR) की जरूरत थी जो भारत ने उपलब्ध कराया है. इसके साथ ही SUV के आकार की इस सैटेलाइट को पूरा करने की अहम कड़ी को जोड़ लिया गया.

  1. ISRO 'हनुमान' बन ले जाएगा सबसे अडवांस्ड इमेजिंग सैटेलाइट
  2. कभी NASA ने लगाया था प्रतिबंध
  3. 0.4 इंच तक तेज निगाह

नासा ने किया था बैन

गौरतलब है कि इस सैटेलाइट में अब तक का सबसे बड़ा रिफ्लेक्टर ऐंटेना लगाया गया है. दिलचस्प बात यह है कि ISRO का जो रॉकेट इस सैटलाइट को लेकर जाएगा 1992 में अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाया था. 2200 किलो वजन की NASA-ISRO SAR (NISAR) को दुनिया की सबसे महंगी इमेजिंग सैटेलाइट माना जा रहा है और यह कैलिफोर्निया में NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी में तैयार की जा रही है.

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क्या कहा NASA ने 

NISAR, धरती की सतह पर ज्वालामुखियों, बर्फ की चादरों के पिघलने और समुद्र तल में बदलाव और दुनिया भर में पेड़ों-जंगलों की स्थिति में बदलाव को ट्रैक किया जाएगा. NASA ने बयान में कहा है, 'धरती की सतह पर होने वाले ऐसे बदलावों की मॉनिटरिंग इतने हाई रेजॉलूशन और स्पेस-टाइम में पहले कभी नहीं की गई है.'

0.4 इंच तक मूवमेंट

इस सैटेलाइट में 40 फुट के तार के जाल वाले रेडार रिफ्लेक्टर ऐंटेना का इस्तेमाल किया जाएगा जो 30 फुट के बूम पर लगा होगा. इससे धरती की सतह से रेडार सिग्नल भेजे और रिसीव किए जाएंगे. NISAR हर 12 दिन में पूरी धरती को स्कैन किया जाएगा और यह एक टेनिस कोर्ट के आधे हिस्से में 0.4 इंच तक मूवमेंट तक को डिटेक्ट कर सकेगा. आपको बता दें कि यह पहला ऐसा सैटेलाइट मिशन होगा जो दो अलग-अलग रेडार फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करेगा और धरती की सतह पर एक सेंटीमीटर दूर तक होने वाले बदलाव को नाप सकेगा.

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हाई रेजॉलूशन रेडार

ये हाई रेजॉलूशन रेडार बादलों और घने जंगल के आर-पार भी देख सकेगा. इस क्षमता से दिन और रात दोनों के मिशन में सफलता मिलेगी. इसके अलावा बारिश हो या धूप, कोई भी बदलाव ट्रैक कर सकेगा. आपको बता दें कि अमेरिका और भारत ने 2014 में NISAR ये समझौता किया था. उस समय पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 1992 में ISRO पर प्रतिबंध लगाए थे और रूस को दिल्ली के साथ क्रायोजेनिक इंजिन टेक्नॉलजी देने से रोक दिया था. अमेरिका को डर था कि भारत उसका इस्तेमाल लंबी दूरी की मिसाइल बनाने के लिए करेगा. अब उसी Geosynchronous Satellite Launch Vehicle रॉकेट से इस सैटेलाइट को लॉन्च किया जाएगा.

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