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वॉशिंगटन: कोरोना वायरस (Coronavirus) की पहचान अभी तक ज्यादातर एंटीजन (Antigen Test) और RTPCR टेस्ट से की जा रही है. लेकिन साइंटिस्ट ने दावा किया है कि उन्होंने कुछ Doggies को ट्रेन किया है, जो इंसान के पेशाब को सूंघकर बता देगें कि वह कोरोना संक्रमित है या नहीं. यह टेस्ट 96 फीसदी तक सही होगा. हो सकता है अब आपको मुंह और नाक में स्वैब टेस्ट किट (Swab Test Kit) की स्टिक (Stick) नहीं डलवानी पड़े.
यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया स्कूल ऑफ वेटरनरी मेडिसिन वर्किंग डॉग सेंटर (UPSVMWDC) की डायरेक्टर सिंथिया ने कहा, 'अभी Doggies की मदद से कोरोना टेस्ट करवाने का तरीका प्रैक्टिकली लागू होना मुश्किल है. क्योंकि जानवरों (Animals) के लिए काम करने वाली संस्थाएं इसका विरोध कर सकती हैं.'
सिंथिया ने कहा, 'Doggies अलग-अलग प्रकार की खुशबू को पहचान सकते हैं. वो अलग-अलग बीमारियों की खुशबू को भी पहचान सकते हैं. कोरोना की गंध तो पसीने और थूक के सैंपल में भी होती है. Doggies इसे आसानी से पहचान सकते हैं. जान लें कि दुबई (Dubai) एयरपोर्ट पर कोरोना संक्रमितों (Corona Infected) की पहचान करने के लिए स्निफिंग डॉग्स (Sniffing Dogs) को तैनात किया गया है.'
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उन्होंने आगे कहा, 'अभी तक ऐसा नहीं हुआ था कि Doggies ने किसी शख्स का पेशाब सूंघकर संक्रमित होने की जानकारी दी हो. इसीलिए हमारी टीम ने पहले 8 Labrador Retrievers और 1 Belgian Malinois को ट्रेनिंग दी. इस दौरान हमने Doggies को यूनिवर्सल डिटेक्शन कंपाउंड (Universal Detection Compound) सुंघाया. इसकी खुशबू प्राकृतिक तौर पर (Naturally) नहीं मिलती है. इसकी खुशबू 12 अलग-अलग गंधों को मिलाकर बनाई जाती है. इसीलिए ये Doggies अब यूनिवर्सल डिटेक्शन कंपाउंड की गंध को पहचान लेते हैं.'
सिंथिया ने कहा कि जैसे ही Doggies यूनिवर्सल डिटेक्शन कंपाउंड की खुशबू को पहचानने लगे, तो हमने Doggies को अलग-अलग लोगों का पेशाब सूंघने के लिए ट्रेन करना शुरू किया. हमने इन्हें 7 अलग-अलग कोरोना (Corona) संक्रमितों के पेशाब के सैंपल (Urine Sample) से ट्रेन किया. इन 7 लोगों में 2 वयस्क और 5 बच्चे थे. ट्रेनिंग में 6 कोरोना निगेटिव (Negative) बच्चों को भी शामिल किया गया.
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बता दें कि ट्रेनिंग के दौरान दो अलग-अलग जगहों पर संक्रमित लोगों के पेशाब के सैंपल और निगेटिव सैंपल रखे गए. Doggies को पॉजिटिव सैंपल अपनी तरफ खींचता है जबकि निगेटिव सैंपल उन्हें भटकाता है. रिसर्चर्स ने पाया कि 3 सप्ताह की ट्रेनिंग के बाद Doggies 96 फीसदी तक सटीक रिपोर्ट देने लगे. वे कोविड पॉजिटिव सैंपल को पहचानने लगे. गौरतलब है कि जो लोग टेस्ट में कोरोना निगेटिव के रूप में शामिल हुए थे, बाद में उनमें से कुछ लोग संक्रमित हो गए थे. Doggies ने उन्हें भी पहचान लिया.
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