Celestial Events 2025: शनि के छल्‍ले हो जाएंगे 'गायब', क्रॉस और धनु पर टिकेंगी निगाहें
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Celestial Events 2025: शनि के छल्‍ले हो जाएंगे 'गायब', क्रॉस और धनु पर टिकेंगी निगाहें

Rings of Saturn: शनि और उसके खूबसूरत वलयों को दूरबीन से देखना हमेशा रोमांचकारी होता है. चाहे आप उन्हें पहली बार देख रहे हों या सौवीं बार, मन भरता ही नहीं है. 

Celestial Events 2025: शनि के छल्‍ले हो जाएंगे 'गायब', क्रॉस और धनु पर टिकेंगी निगाहें

हर रात आसमान में तारों की आंख मिचौली या नक्षत्रों की वार्षिक परेड के साथ साथ हमेशा रोमांचक घटनाएं होती हैं. वर्ष 2025 कोई अपवाद नहीं है और नए साल में भी ऐसी रोमांचक घटनाएं होनी हैं. रात का आकाश बेहद खूबसूरत होता है और आप यहां उल्लिखित घटनाओं को देख सकते हैं, भले ही आप कई अन्य लोगों की तरह प्रकाश-प्रदूषित शहर में रहते हों. अधिकतर घटनाओं के लिए आपको दूरबीन या दूरबीन की आवश्यकता नहीं होती.

2025 में होने वाली प्रमुख खगोलीय घटनाएं
शनि और उसके खूबसूरत वलयों को दूरबीन से देखना हमेशा रोमांचकारी होता है. चाहे आप उन्हें पहली बार देख रहे हों या सौवीं बार, मन भरता ही नहीं है. हालांकि 2025 की शुरुआत में छल्लों के समतल से पृथ्वी के गुज़रने पर ये छल्ले गायब हो जाएंगे. यह घटना शनि की सूर्य के चारों ओर 29 साल की परिक्रमा के दौरान दो बार होती है. यानी लगभग 15-15 साल के अंतराल पर. बहरहाल, यह घटना 24 मार्च को होगी लेकिन हम इसे देख नहीं पाएंगे क्योंकि इस दिन शनि सूर्य के बेहद करीब होगा.

इससे पहले फरवरी के मध्य तक शाम को और मार्च के अंत से सुबह में हम शनि को काफी संकीर्ण, झुके हुए छल्लों के साथ देख पाएंगे. शनि को उसके छल्लों के साथ या उसके बिना देखने के लिए एक छोटी दूरबीन की आवश्यकता होती है. 

उल्कापात
वर्ष में दो मुख्य उल्कापात एटा एक्वेरिड और जेमिनिड होने हैं. 2025 में, एटा एक्वेरिड बुधवार सात मई की सुबह सबसे अच्छी तरह से दिखाई देंगे, जबकि जेमिनिड रविवार 14 दिसंबर और सोमवार 15 दिसंबर की सुबह सबसे अधिक दिखाई देंगे. इस वर्ष, दोनों उल्कापात के लिए देखने की परिस्थितियां अनुकूल हैं, क्योंकि सात मई और 14 दिसंबर को सुबह आकाश में कोई चमकीला चंद्रमा नहीं होगा. उन्हें देखने के लिए, भोर से पहले उत्तर-पूर्व (एटा एक्वेरिड) और उत्तर (जेमिनिड) की ओर देखें.

आसमान जितना गहरा होगा, उतना अच्छा होगा. स्ट्रीट लाइट या किसी अन्य रोशनी से दूर रहें, तभी चमचमाती बरसती उल्काओं का आनंद लिया जा सकेगा.

चंद्र ग्रहण
सोमवार आठ सितंबर की सुबह चंद्र ग्रहण शुरू होगा जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में चला जाएगा. हल्के झुकाव वाली लाल रोशनी दिखेगी क्योंकि उस समय हम सूर्योदय और सूर्यास्त के प्रतिबिंब को देख रहे होंगे. पूर्ण चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण से अधिक सामान्य है और इसे पृथ्वी के उन सभी क्षेत्रों से देखा जा सकता है जहां रात होती है. सूर्य ग्रहणों के विपरीत, चंद्र ग्रहण को बिना किसी सहायता के आंखों से देखना सुरक्षित है. वे फ़ोटोग्राफ़ी के लिए भी सुरक्षित हैं. एक तिपाई, एक कैमरा या फ़ोन जो समयबद्ध एक्सपोज़र ले सकता है, उसकी ही जरूरत होगी.

ग्रहण की शुरुआत पृथ्वी की छाया से होती है जो लगभग एक घंटे में धीरे-धीरे चंद्रमा को ढक लेती है. इसी तरह, पूर्णता के बाद पृथ्वी की छाया को चंद्रमा से दूर होने में लगभग एक घंटा लगता है. ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट से देखा जाए तो पूर्ण ग्रहण 8 सितंबर को सुबह तीन बज कर 30 मिनट से चार बज कर 53 मिनट तक रहेगा. न्यूज़ीलैंड में यह सुबह पांच बज कर 30 मिनट से चंद्रास्त तक होगा. दक्षिण ऑस्ट्रेलिया या उत्तरी क्षेत्र से, सुबह तीन बजे से चार बज कर 23 मिनट तक और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया से देर रात डेढ़ बजे से दो बज कर 53 मिनट तक यह ग्रहण होगा.

इससे पहले 14 मार्च, शुक्रवार की शाम को, एओटेरोआ, न्यूज़ीलैंड के लोग सूर्यास्त के ठीक बाद क्षितिज से ऊपर उगते हुए पूर्ण रूप से ग्रहणग्रस्त चंद्रमा को देख पाएंगे. पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के दर्शकों को भी चंद्रोदय के बाद आंशिक रूप से ग्रहणग्रस्त चंद्रमा की एक संक्षिप्त झलक मिलेगी. इसे सिडनी से 34 मिनट, ब्रिसबेन से 43 मिनट और केर्न्स से 16 मिनट के लिए ही देखा जा सकेगा.

जनवरी, अप्रैल, अगस्त में होगा पांच ग्रहों का क्रांतिवृत्त
सौर मंडल में पांच ग्रह - बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि - आकाश में एक रेखा के साथ चलते हैं जिसे क्रांतिवृत्त कहा जाता है. इन ग्रहों को आप सामान्यत: आंखों से देख सकते हैं. जैसे-जैसे ग्रह चलते हैं, तो वे कभी-कभी एक-दूसरे के करीब से गुजरते हुए दिखाई देते हैं और दिलचस्प पैटर्न लेते हैं. बेशक, वे केवल हमारे दृष्टिकोण से ही करीब दिखाई देते हैं. वास्तव में ये ग्रह दसियों या सैकड़ों या हजारों किलोमीटर दूर हैं.

वर्ष 2025 में 18-19 जनवरी को सबसे चमकीला ग्रह शुक्र, शाम के आकाश में वलय वाले ग्रह शनि के करीब होता है. इसके बाद एक से 15 अप्रैल तक बुध, शुक्र और शनि सूर्योदय के समय पूर्वी आकाश में धीरे-धीरे बदलते कॉम्पैक्ट समूह का निर्माण करते हैं.

सौर मंडल के दो सबसे चमकीले ग्रह शुक्र और बृहस्पति 12 और 13 अगस्त को सुबह के आकाश में केवल दो चंद्रमा-चौड़ाई (टू मून विड्थ) से अलग होते हैं. जून और अगस्त में तारों की जमावट भी अलग अलग रूप में दिखती है. जैसे-जैसे साल आगे बढ़ता है, शाम के आसमान में अलग-अलग नक्षत्र दिखाई देते हैं. 2024 में आकाश में ओरियन और स्कॉर्पियस (शिकारी और बिच्छू) की आंख मिचौली दिखी.

दक्षिणी क्रॉस और सैजिटेरियस यानी धनु (धनुर्धारी) पर नजरें 
अब 2025 में, दक्षिणी क्रॉस (खगोलविद इसे क्रूक्स कहते हैं) और सैजिटेरियस यानी धनु (धनुर्धारी) पर नक्षत्र प्रेमियों की नजरें टिकेंगी. दक्षिणी क्रॉस दक्षिणी आकाश में सबसे प्रसिद्ध नक्षत्र है. इसे ढूंढना आसान है, क्योंकि यह क्रॉस के आकार में चमकीले तारों के एक कॉम्पैक्ट समूह से बना है. सेंटॉरस के पड़ोसी नक्षत्र, सेंटॉर के दो पॉइंटर सितारे भी इसकी स्थिति को दिखाने में मदद करते हैं. सिडनी और आगे दक्षिण से, दक्षिणी क्रॉस हमेशा क्षितिज से ऊपर होता है. हालांकि इसे जून के आसपास शाम को सबसे अच्छा देखा जा सकता है, जब यह दक्षिणी आकाश में ऊंचा होता है.

स्कॉर्पियस यानी वृश्चिक के बाद धनु अर्थात सैजिटेरियस नक्षत्र है. यह अगस्त में शाम को सबसे अच्छा नजर आता है क्योंकि वर्ष के उस समय यह सीधे ऊपर होता है. नक्षत्र के सबसे चमकीले तारों को बिंदुओं से जोड़कर देखने पर एक चायदानी यानी टी-पॉट का आभास होता है और इसे अक्सर इसी नाम से संदर्भित किया जाता है. सैजिटेरियस यानी धनु ऑस्ट्रेलियाई खगोलविदों के लिए एक महत्वपूर्ण नक्षत्र है, क्योंकि इसमें मिल्की वे आकाशगंगा का केंद्र शामिल है.

(लेख: निक लोम्ब, दक्षिणी क्वींसलैंड विश्वविद्यालय )
(साभार: द कन्वरसेशन)

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