Road on Moon ESA Project: चांद पर इंसानी बस्ती बसाने के NASA के प्रोजेक्ट से तो आप वाकिफ होंगे. लेकिन अब दूसरी स्पेस एजेंसी ने चांद की सतह पर सड़क और अंतरिक्ष यान के लिए लैंडिंग पैड बनाने का मन बना लिया है.
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Road on Moon ESA Project: चांद पर इंसानी बस्ती बसाने के NASA के प्रोजेक्ट से तो आप वाकिफ होंगे. लेकिन अब दूसरी स्पेस एजेंसी ने चांद की सतह पर सड़क और अंतरिक्ष यान के लिए लैंडिंग पैड बनाने का मन बना लिया है. वैज्ञानिकों ने इसपर काम भी शुरू कर दिया है. अभी प्रोजेक्ट को लेकर योजना तैयार की जा रही है. इस योजना को अमली-जामा पहनाने में कितना वक्त लगेगा, अभी इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है. आइये आपको बताते हैं इस चौंका देने वाले मून मिशन के बारे में.
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) चांद पर सड़क और लैंडिंग पैड बनाना चाहती है. ईएसए चंद्रमा की सतह को अधिक रहने योग्य बनाने के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू भी कर दी है. इस प्रोजेक्ट को PAVER नाम दिया गया है. इस पहल का उद्देश्य एक शक्तिशाली लेजर का उपयोग करके चंद्रमा की धूल को पिघलाकर कांच जैसी ठोस सतह में तब्दील करके सड़कों और लैंडिंग पैड सहित चंद्रमा पर गतिविधि के क्षेत्रों को मजबूत करना है.
PAVER परियोजना, जर्मनी के BAM इंस्टीट्यूट ऑफ मैटेरियल्स रिसर्च एंड टेस्टिंग, आलेन यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रिया में LIQUIFER सिस्टम्स ग्रुप और जर्मनी के क्लॉस्टल यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के नेतृत्व में, जर्मन एयरोस्पेस सेंटर, DLR के अंतरिक्ष में सामग्री भौतिकी संस्थान के समर्थन से है. इन चुनौतियों का जवाब.
बता दें कि चांद की धूल की वजह से कई मून मिशन को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. चांद की धूल बेहद महीन और चिपचिपी होती है. अपोलो 17 मून मिशन चांद की धूल की वजह से खटाई में पड़ गया था. चांद की धूल एक महत्वपूर्ण बाधा साबित हुई, डिवाइस को अवरुद्ध करने और स्पेससूट को नष्ट करने वाली साबित हुई. अपोलो 17 चंद्र रोवर ने अपना पिछला फेंडर खो दिया था. साथ ही इसके यह धूल में इतना ढक गया कि इसके अत्यधिक गर्म होने का खतरा भी बढ़ गया था.
इसी तरह सोवियत संघ के लूनोखोड 2 रोवर के साथ भी हुआ. लूनोखोड 2 चांद की धूल की वजह से अत्यधिक गर्म होने के कारण नष्ट हो गया. रोवर का रेडिएटर धूल से ढक गया था. अब आपको बताते हैं स्पेस एजेंसी को चांद पर सड़क बनाने का ख्याल कैसे आया. टीम ने नकली चंद्रमा की धूल को पिघलाकर एक ठोस सतह बनाने के लिए 12 किलोवाट कार्बन डाइऑक्साइड लेजर का उपयोग किया. जिससे चंद्रमा पर पक्की सतहों के निर्माण के लिए एक संभावित समाधान तैयार हुआ.