Voyager 1 NASA: नासा का वोयेजर 1 स्पेसक्राफ्ट एक बार फिर काम करना शुरू कर दिया है. इसमें आई खराबी दूर होने के बाद यह अंतरिक्ष से जुड़े मूल्यवान डेटा भेज रहा है. नासा ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट ने नवंबर 2023 में डेटा भेजना बंद कर दिया था.
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Voyager 1 NASA: नासा का वोयेजर 1 स्पेसक्राफ्ट एक बार फिर काम करना शुरू कर दिया है. इसमें आई खराबी दूर होने के बाद यह अंतरिक्ष से जुड़े मूल्यवान डेटा भेज रहा है. नासा ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट ने नवंबर 2023 में डेटा भेजना बंद कर दिया था. खराबी दूर होने के बाद अब वोयेजर 1 एक्टिव मोड में है, इसके चारों डिवाइस पहले की तरह काम करने लगे हैं.
नासा ने कर दिखाया कमाल
बता दें कि नासा ने वोयेजर 1 को 5 सितंबर 1977 को लॉन्च किया था. पिछलने साल नवंबर से वोयेजर 1 अपने सामान्य बाइनरी कोड के बजाय विकृत डेटा भेज रहा था. यह वर्तमान में पृथ्वी से 15 अरब मील से भी अधिक दूरी पर है. स्पेसक्राफ्ट की 46 साल की यात्रा को देखते हुए इसमें आई खराबी पूरी तरह से अपेक्षित थी. वोयेजर 1 टीम ने इसमें आई समस्या का पता फ्लाइट डेटा सबसिस्टम (एफडीएस) में लगाया. एफडीएस ही डेटा को पैकेज कर नासा को भेजता था.
वोयेजर 1 अब पूरी तरह ठीक
स्पेसक्राफ्ट में दिक्कत सामने आई तो इसकी विस्तृत जांच की गई. जांच में परेशानी पैदा करने वाले सटीक चिप का पता चला. जिसके बाद टीम ने इसपर कई दिनों तक काम किया और समस्या का दूर कर दिया. जिसके बाद से वोयेजर 1 ने 20 अप्रैल, 2024 को फिर से डेटा भेजना शुरू कर दिया.
वोयेजर 1 का मिशन
1977 से 1980 तक वोयेजर 1 का मिशन बृहस्पति और शनि के फ्लाईबाई का आयोजन करना था. जिससे कि इन ग्रहों और उनके चंद्रमाओं पर डेटा एकत्र किया जा सके. 1980 के बाद वोयेजर 1 अपने प्राथमिक मिशन को खत्म कर अंतरतारकीय अंतरिक्ष की ओर अपनी यात्रा शुरू की. यह वर्तमान में सौर मंडल के बाहरी क्षेत्रों और अंतरतारकीय माध्यम के बारे में मूल्यवान डेटा नासा को भेज रहा है.
वोयेजर 1 का रखा जा रहा ख्याल
वोयेजर 1 के वापस ऑनलाइन होने के साथ ही टीम इसके प्रति गंभीर हो गई है. इसपर ध्यान केंद्रित करते हुए इसके टाइमकीपिंग सॉफ़्टवेयर को फिर से सिंक्रनाइज़ करना और प्लाज़मा तरंगों को मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डिजिटल टेप रिकॉर्डर को बनाए रखना शामिल होगा.
वोयेजर 1 की यात्रा
1979 में वोयेजर 1 ने बृहस्पति, उसकी रिंग और उसके चंद्रमाओं की विस्तृत तस्वीरें और डेटा भेजे. जिनमें ज्वालामुखी गतिविधि भी शामिल है. 1980 में वोयेजर 1 ने शनि और उसकी रिंग के साथ उसके सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन के अभूतपूर्व क्लोज-अप तस्वीर और डेटा नासा को भेजे.
वोयेजर 1 पर सूर्य का भी असर नहीं
1990 में वोयेजर 1 ने लगभग 6 बिलियन किलोमीटर की दूरी से पृथ्वी की एक खास तस्वीर ली थी. जिसने पृथ्वी को अंतरिक्ष की विशालता में एक छोटे से बिंदु के रूप में दिखाया. 25 अगस्त 2012 को वोयेजर 1 अंतरतारकीय अंतरिक्ष में प्रवेश करने वाला पहला स्पेसक्राफ्ट बन गया. अभी वोयेजर पृथ्वी से इतनी ज्यादा दूरी पर है कि उसपर सूर्य का भी कोई प्रभाव नहीं है.