कोरोना काल में पृथ्वी से इतने प्रकाश वर्ष दूर हो रहा नए ग्रह का जन्म, सामने आई दुर्लभ तस्वीर
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कोरोना काल में पृथ्वी से इतने प्रकाश वर्ष दूर हो रहा नए ग्रह का जन्म, सामने आई दुर्लभ तस्वीर

वैज्ञानिकों ने इस नए ग्रह के बनने की दुर्लभ तस्वीरें यूरोपियन सदर्न ऑब्जर्वेटरी के बहुत बड़े टेलीस्कोप के जरिये कैद की हैं. 

इस रिसर्च टीम की अगुवाई पेरिस की पीएसएल यूनिवर्सिटी के खगोलविद एंथनी बोकालेटी ने की है.

नई दिल्ली: एक तरफ जहां पूरी दुनिया में कहर बरपा रहे कोरोना वायरस से लाखों लोग मौत की आगोश में आ चुके हैं, वहीं दूसरी तरफ पृथ्वी से 520 प्रकाश वर्ष दूर एक नए ग्रह का जन्म हो रहा है. वैज्ञानिकों ने इस नए ग्रह के बनने की दुर्लभ तस्वीरें यूरोपियन सदर्न ऑब्जर्वेटरी के बहुत बड़े टेलीस्कोप के जरिये कैद की हैं, जिसमें नए ग्रह की पहली झलक के साथ ब्रह्मांडीय चक्राकार का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है. 

टेलीस्कोप के जरिये ली गई तस्वीर में शोधकर्ताओं ने एक ऐसी चमकदार नारंगी चक्राकार जगह को देखा है, जहां नए ग्रह के बनने की संभावना जताई जा रही है. इस अवलोकन पर एस्ट्रॉनमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक, किसी ग्रह के वजूद में आने का ये पहला स्पष्ट प्रमाण हो सकता है. इस रिसर्च टीम की अगुवाई पेरिस की पीएसएल यूनिवर्सिटी के खगोलविद एंथनी बोकालेटी ने की है. ये टीम ब्रह्मांड की इस उदीयमान दुनिया को बेहद करीब से देखना चाहती थी, जिसमें अभी तक का सबसे शानदार बह्रमांडीय नजारा देखने को मिला है.

खगोलविदों ने बताया कि ये नवजात ग्रह ऑरिगा तारामंडल में मौजूद एबी ऑरिगी (AB Aurigae) नाम के युवा तारे के चारों ओर धूल और गैस का चक्र बना रहा है, जो कि पृथ्वी से करीब 520 प्रकाश वर्ष दूर है. वैज्ञानिक जानते हैं कि ग्रह का जन्म तब होता है, जब तारों के इर्दगिर्द मौजूद ठंडी गैस और धूल करोड़ों वर्ष तक एक दूसरे से टकराते हैं, जिसके बाद वहां धूल वाला चक्र या डिस्क बन जाता है. 

साफ है कि अब इन नए अवलोकन से वैज्ञानिकों को एक ग्रह के बनने की पूरी प्रक्रिया को समझने का अहम डेटा मिला है. अंतरिक्ष में बनती नई दुनिया के पिंड गैस डिस्क में लहरों जैसी तरंगें पैदा करते हैं, जो बाद में ग्रह के अपने तारे की परिक्रमा करने के दौरान सिकुड़कर चक्कर में बदल जाते हैं. चक्कर बनाने के साथ ही, नवजात ग्रह अपने बढ़ते शरीर में गैस को भी इकट्ठा करता है.

खगोलविद एंथनी बोकालेटी के मुताबिक, इस तरह से ग्रह गैस को बढ़ाते हैं और इकट्ठा करते हैं और इससे एक विशाल खोल बन जाता है जैसा कि हम सौरमंडल में मौजूद जुपिटर और सैटर्न ग्रहों में देखते हैं. गैस का वातावरण बनाने के लिए किसी जगह से गैस लाकर ग्रह पर डालने की जरूरत होती है. हमें यकीन है कि यही वो प्रक्रिया है जो इस तरह के ग्रहों के लिए काम कर रही है. 

खगोलविद बोकालेटी और उनके साथियों ने चिली के विशालकाय टेलिस्कोप पर मौजूद खास उपकरण स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्रिक हाई-कंट्रास्ट एक्सोप्लेनेट रिसर्च (SPHERE) के जरिए दिलचस्पी जगाने वाले बह्रमांड के इस रूप को और जानकारी के साथ कैमरे में कैद किया. SPHERE को सौर मंडल से बाहर मौजूद ऐसे ग्रहों की खोज के लिए डिजाइन किया गया है जो सूर्य के अलावा दूसरे तारों के परिक्रमा करते हैं. इसमें एक कोरोनाग्राफ भी होता है जो इन ग्रहों के मेजबान तारों की भटकाने वाली रोशनी को मिटा सकता है.

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