धरती पर रहने वालों की रुचि आकाश में बनी ही रहती है. विज्ञान की जानकारी हो चाहे नहीं, सोलर सिस्टम पर अलग से किताबें पढ़ी हों या नहीं, लेकिन अगर चांद-सितारों से जुड़ी कोई खबर सामने आ जाए तो दिलचस्पी अपने आप ही बढ़ जाती है.
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नई दिल्ली: धरती पर रहने वालों की रुचि आकाश में बनी ही रहती है. विज्ञान की जानकारी हो चाहे नहीं, सोलर सिस्टम (Solar System) पर अलग से किताबें पढ़ी हों या नहीं, लेकिन अगर चांद-सितारों से जुड़ी कोई खबर सामने आ जाए तो दिलचस्पी अपने आप ही बढ़ जाती है. ऐसा होना लाजिमी भी है. हमारे आस-पास या सामने जो है, वह तो हमें दिखाई दे ही रहा है मगर ऊपर आकाश में जो चीजें हैं, वे हमारी पहुंच से बहुत दूर हैं. हर उम्र व वर्ग के लोग उनके बारे में जानना चाहते हैं.
अंतरिक्ष में अकेले हैं कुछ ग्रह
यह तो आमतौर पर सभी जानते हैं कि सभी ग्रहों (planet) के अपने चांद-सितारे होते हैं, जिनके आस-पास वे चक्कर काटते रहते हैं. हम पृथ्वी ग्रह पर रहते हैं और हमारे अपने चांद-सितारे हैं, जिन्हें हम हर रात निहारते हैं. ऐसा ही दूसरे ग्रहों के साथ भी होता है. कोरोना काल में अगर आप अकेले रहकर बोर हो गए हैं तो जान लीजिए कि अंतरिक्ष में कुछ ऐसे ग्रह भी हैं, जो वहां अकेले ही घूम रहे हैं. दरअसल, उनके पास कोई मून या स्टार (सितारा) नहीं है. मिल्की वे में अकेले घूमने वाले इन ग्रहों को रोग प्लैनेट (rogue planet) कहा जाता है.
कैसे बनते हैं ये ग्रह?
सोलर सिस्टम/गैलेक्सी में ग्रहों के बनने की कहानी भी बेहद रोचक है. कई बार सितारों के आस-पास धूल और गैस से नए ग्रह बन जाते हैं तो कई बार कुछ ग्रह अपने आप भी बन जाते हैं. रोग प्लैनेट भी अपने आप बन जाने वाले ग्रहों की फेहरिस्त में शामिल हैं. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सितारे भी अपने आप ही बनते हैं. वैज्ञानिक अभी भी सितारों, ग्रहों व इनके बनने की प्रक्रिया के बारे में अद्भुत जानकारी जुटाने में लगे हुए हैं. इन रोग प्लैनेट्स को कभी टेलीस्कोप तो कभी स्पेस के अन्य यंत्रों के माध्यम से स्पॉट किया जाता है.
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