ओरेगॉन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम ने चींटी दांतों पर रिसर्च की जिससे यह पता लगाया जा सके कि ये कैसे काम करते हैं.
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नई दिल्ली: आकार में बेहद छोटे और मजबूती वाले उपकरणों के निर्माण की जरूरत को देखते हुए वैज्ञानिकों ने चींटी के दांतों का अध्ययन किया है. चींटी के दांत आकार में बेहद सूक्ष्म होने के बावजूद बेहद मजबूत और धारदार होते हैं. ये इंसानों के बालों से भी पतले होते हैं, लेकिन बेहद छोटे दांत मजबूत पत्तियों को पूरी ताकत से काट सकते हैं.
वैज्ञानिकों ने इमेजिंग से पता लगाया कि छोटे जीव अपने सूक्ष्म दांतों या दूसरी चीजों को तेज करने के लिए Zinc Atom का उपयोग करते हैं. जिंक की परत (Atoms of zinc) चींटी के दांतों को सख्त एवं धारदार औजार बना देती है. इससे किसी चीज को काटते समय जीवों को मदद मिलती है. आपने अनुभव किया होगा कि चीटियां आपको कितनी जोर से काटती हैं. घरों में भी चींटी, दीमक और ऐसे दूसरे छोटे जीवों में लकड़ियों को चबाने की क्षमता होती है.
टेक एक्सप्लोरिस्ट की खबर के मुताबिक, पॉकेट-साइज इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्माण के लिए वैज्ञानिक प्रकृति से जुड़ी इन चीजों पर रिसर्च कर रहे हैं. ये हैरान करता है कि बेहद छोटे जीवों के जबड़े और दांत ज्यादा सख्त और मजबूत होते हैं. चींटी के दांतों को Mandibular Teeth भी कहा जाता है.
ऐसे जीवों के जबड़े विशिष्ट प्रोटीन और पॉलीसेकेराइड पॉलीमर काइटिन से बने होते हैं. और ये काइटिन माइक्रोफाइब्रिल्स के प्रोडक्शन के लिए हाइड्रोजन बॉन्ड से जुड़े होते हैं.
इंजीनियर्स को इस बायोलॉजिकल ट्रिक से मदद मिल सकती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब 8 प्रतिशत जिंक मिलता है, तो काइटिन काफी सख्त हो जाता है, जिससे चींटी के दांत जैसी तेज एवं टिकाऊ संरचनाएं बनती हैं. ओरेगॉन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने चींटी के दांतों पर रिसर्च की जिससे यह पता लगाया जा सके कि ये कैसे काम करते हैं. वैज्ञानिक इस कोशिश में लगे हैं कि क्या इनकी नकल करके बड़े पैमाने पर ऐसे ही उपकरण तैयार किए जा सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रकृति से सीखकर कैसे चीजों को मजबूत और डैमेज रेसिस्टेंट बनाया जा सकता है.