स्पेस स्टेशन पर 'काई' क्यों उगा रहे एस्ट्रोनॉट? NASA की फ्यूचर प्लानिंग जानकर दंग रह जाएंगे
Advertisement
trendingNow12545832

स्पेस स्टेशन पर 'काई' क्यों उगा रहे एस्ट्रोनॉट? NASA की फ्यूचर प्लानिंग जानकर दंग रह जाएंगे

International Space Station News: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर मौजूद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के एस्ट्रोनॉट वहां सूक्ष्म शैवाल (Micro-algae) उगाने की कोशिश कर रहे हैं.

स्पेस स्टेशन पर 'काई' क्यों उगा रहे एस्ट्रोनॉट? NASA की फ्यूचर प्लानिंग जानकर दंग रह जाएंगे

Science News in Hindi: नासा के एस्ट्रोनॉट्स इन दिनों इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर 'माइक्रोएलगी' उगाने में लगे हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने गुरुवार को एस्ट्रोनॉट निक हेग की फोटो भी शेयर की जिसमें वे Arthrospira C पर काम करते दिख रहे हैं. यह एक पायलट है जो स्पेस स्टेशन में माइक्रोएलगी यानी सूक्ष्म शैवाल उगाने के लिए सर्वोत्तम प्रकाश स्थितियों की टेस्टिंग कर रहा है. 

NASA के इस अजीब प्रयोग के पीछे भविष्य की प्लानिंग है. दरअसल इस प्रयोग की सफलता हमें लंबे मिशनों के दौरान राशन पर निर्भरता को कम कर देगी. NASA ने बताया कि अंतरिक्ष में शैवाल उगाने से एक बंद अंतरिक्ष यान में कार्बन डाइऑक्साइड का प्रकाश संश्लेषण हो सकता है और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन उगाया जा सकता है.

NASA की फ्यूचर प्लानिंग के लिए है यह प्रयोग

ISS पर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए हवा और पानी का कुछ हिस्सा, और सारा भोजन, कार्गो रीसप्लाई मिशन के जरिए पृथ्वी से अंतरिक्ष में लाया जाता है. ऐसा करना काफी महंगा है और अंतरिक्ष मिशनों को सहायता के लिए पृथ्वी के संसाधनों पर बहुत अधिक निर्भर बनाता है. भविष्य में पृथ्वी की निचली कक्षा (जैसे, चंद्रमा और मंगल) से परे लंबी दूरी के मिशनों के लिए, एस्ट्रोनॉट्स को लंबे समय तक यात्रा में रहना पड़ेगा.

यह भी पढ़ें: सूर्य जैसे तारे की परिक्रमा कर रहे हैं रुई जितने हल्के ग्रह! नई खोज की 5 बड़ी बातें

अगर मिशन काफी दूर और लंबा हो तो एस्ट्रोनॉट्स को बार-बार राशन सप्लाई करना न तो व्यावहारिक होगा, न ही शायद संभव हो पाए. ऐसे में अंतरिक्ष एजेंसियां हवा और पानी को रीसायकल करने और बायोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष में भोजन का उत्पादन करने के विभिन्न तरीकों की खोज कर रही हैं.

एलगी या शैवाल क्या होते हैं?

माइक्रो-एलगी या सूक्ष्म शैवाल वे शैवाल हैं जो नंगी आंखों से दिखाई नहीं देते हैं. ये आम तौर पर मीठे पानी और समुद्र से जुड़े सिस्टमों में पाए जाने वाले फाइटोप्लांकटन हैं, जो पानी और तलछट दोनों में रहते हैं. वे एककोशिकीय प्रजातियां हैं जो व्यक्तिगत रूप से, या श्रृंखलाओं में या समूहों में मौजूद होती हैं.

यह भी देखें: एक बार चार्ज किया तो हजारों साल तक छुट्टी! हीरे से बनी दुनिया की सबसे ताकतवर बैटरी

अक्सर एलगी का मतलब 'काई' समझ लिया जाता है, जबकि काई पौधे हैं, जबकि कवक (शैवाल) न तो पौधे हैं और न ही जानवर. शैवाल और काई के बीच मुख्य अंतर यह है कि वे अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते, जबकि काई बना सकते हैं.

विज्ञान के क्षेत्र की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Latest Science News In Hindi और पाएं Breaking News in Hindi देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

Trending news