Akhilesh Yadav के राजनीतिक गुरु कौन थे? किसने दिलाया उन्हें पहला चुनावी टिकट
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Akhilesh Yadav के राजनीतिक गुरु कौन थे? किसने दिलाया उन्हें पहला चुनावी टिकट

मुलायम सिंह यादव के तर्क पर जनेश्वर मिश्र ने कहा कि नेता जी यह लड़ाई सत्ता के परिवारवाद की नहीं बल्कि संघर्ष के परिवारवाद की है. हम जिस सीट पर अखिलेश यादव को टिकट देने के लिए कह रहे हैं, वो बहुत सुरक्षित सीट नहीं है. अगर टीपू संघर्ष नहीं करेंगे तो नहीं जीतेंगे.

Akhilesh Yadav के राजनीतिक गुरु कौन थे? किसने दिलाया उन्हें पहला चुनावी टिकट

आज सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव का जन्मदिन है. यूपी में 2022 के विधान सभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. अखिलेश यादव भी पूरी ताकत से सत्ता में वापसी की तैयारी कर रहे हैं. आज अखिलेश यादव सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और पार्टी के सारे फैसले ले रहे हैं. एक-एक टिकट वो खुद फाइनल कर रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि अखिलेश यादव को पहला चुनावी टिकट किसने दिया और यहां तक का सफर अखिलेश ने किसकी मदद से पूरा किया?

अधिकतर चर्चा इसी बात की रहती है कि स्वर्गीय अमर सिंह ही अखिलेश यादव को राजनीति में लेकर आए लेकिन यह अधूरा सच है.

मुलायम के अलावा कन्नौज से कौन लड़े चुनाव?

1999 में लोक सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव यूपी की 2 लोक सभा सीट (संभल और कन्नौज) से एक साथ चुनाव जीते थे. मुलायम सिंह यादव ने कन्नौज सीट से इस्तीफा दे दिया. मुलायम सिंह के इस्तीफे के बाद कन्नौज सीट खाली हो गई. अब समाजवादी पार्टी किसी ऐसे नेता की तलाश में थी, जो कन्नौज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सके और जीत की गारंटी हो. समाजवादी पार्टी उम्मीदवार की तलाश में जुटी हुई थी.

तब राजनीति से नहीं था अखिलेश यादव का सरोकार

उस वक्त तक अखिलेश यादव राजनीति से बेहद दूर थे. उन्हें राजनीति के गुणा भाग से ज्यादा सरोकार नहीं था. इसी बीच मुलायम सिंह यादव के साथ एक बैठक में हिस्सा लेने स्वर्गीय जनेश्वर मिश्र उनके घर पहुंचे. जनेश्वर मिश्र समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे और मुलायम सिंह यादव के सबसे विश्वासपात्र नेता थे. जनेश्वर मिश्र ने कन्नौज सीट पर उम्मीदवार की चर्चा मुलायम सिंह यादव के साथ शुरू की. मुलायम सिंह कुछ बड़े चेहरों की चर्चा जनेश्वर मिश्र के साथ कर रहे थे लेकिन जनेश्वर मिश्र किसी नाम पर सहमत नहीं दिखाई दिए. इस बैठक में जनेश्वर मिश्र सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह की बातों को सुनकर मुस्कुरा रहे थे लेकिन अपने पत्ते नहीं खोल रहे थे.

जनेश्वर मिश्र ने आगे किया 'टीपू' का नाम

मुलायम सिंह यादव ने पूछा ‘पंडित जी आप कुछ छिपा रहे हैं, आपकी यह मुस्कान बहुत कुछ कह रही है. मुझसे बेहतर आपको कोई नहीं समझ सकता है. आखिर आपने तो हमसे सारे नाम पूछ लिए, पंडित जी अब आप ही बताइए कन्नौज से कौन जीत सकता है? किसे टिकट दिया जाए’?

जनेश्वर मिश्र ने बिना देर किए तुरंत कहा कि टीपू को. मुलायम सिंह इस जवाब पर चौंके. उन्होंने पूछा टीपू- मतलब अखिलेश. जनेश्वर मिश्र ने कहा कि ‘हां, नेता जी… टीपू. अखिलेश यादव को इस बार कन्नौज से लोक सभा का उपचुनाव लड़ाना चाहिए’. मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मेरे ऊपर परिवारवाद का आरोप लगेगा अगर मैं अपने बेटे को लोक सभा उपचुनाव का टिकट दूंगा.fallback

 

अखिलेश यादव को करना होगा संघर्ष

मुलायम सिंह यादव के इस तर्क पर जनेश्वर मिश्र ने कहा, ‘नेता जी यह लड़ाई सत्ता के परिवारवाद की नहीं बल्कि संघर्ष के परिवारवाद की है. हम जिस सीट पर अखिलेश यादव को टिकट देने के लिए कह रहे हैं, वो बहुत सुरक्षित सीट नहीं है. अगर टीपू संघर्ष नहीं करेंगे तो नहीं जीतेंगे. लेकिन अखिलेश युवा हैं और वो कन्नौज में पूरी मेहनत करेंगे और सपा जीतेगी. नेताजी कन्नौज से आप अखिलेश का टिकट फाइनल करिए. आप मुझ पर भरोसा करिए, अखिलेश सपा को बहुत आगे ले जाएंगे’.

जनेश्वर मिश्र ने मुलायम के सामने रखा पहला प्रस्ताव

मुलायम सिंह ने जनेश्वर मिश्र से पूछा कि क्या आपकी अखिलेश से बात हो गई है? क्या अखिलेश चुनाव लड़ने के लिए तैयार है? जनेश्वर मिश्र ने कहा कि अभी मेरी बात नहीं हुई है. यह तो मेरा पहला प्रस्ताव है जो कि आपके सामने रखा है. आप तुरंत फैसला लीजिए, मैं अखिलेश से बात करूंगा. इस पर मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मुझे 1 महीने का समय दीजिए, मैं पार्टी में सभी से बात कर इस पर निर्णय लूंगा.

जब जल्दी फैसले के लिए अड़ गए जनेश्वर मिश्र

जनेश्वर मिश्र ने कहा, ‘नहीं नेता जी आपको 1 हफ्ते में फैसला लेना होगा’. मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अच्छा आप हमें 15 दिन का समय दीजिए. जनेश्वर मिश्र ने कहा कि आपको 10 दिन में ही इस पर फैसला करना है. मैं टीपू को अपने पास मिलने के लिए बुला रहा हूं. मुलायम सिंह ने कहा कि पंडित जी थोड़ा समय तो दीजिए, इस पर सभी से बातचीत करेंगे.

इधर मुलायम सिंह यादव ने जनेश्वर मिश्र से 10 दिन का समय मांगा और उधर जनेश्वर मिश्र ने अखिलेश यादव से बातचीत की. जनेश्वर मिश्र ने कहा, ‘हम चाहते हैं अखिलेश इस बार तुम कन्नौज से लोक सभा का उपचुनाव लड़ो’. यह सुनकर अखिलेश यादव चौंके और पूछा, ‘अंकल, चुनाव! मैं कैसे लड़ूंगा, आप ने नेताजी से पूछा’. जनेश्वर मिश्र ने कहा कि मैंने अभी किसी से बात नहीं की है, मैं चाहता हूं कि तुम कन्नौज से चुनाव लड़ो, अगर तुम तैयार हो तो मैं नेताजी से बात करूंगा.

पार्टी को है युवा चेहरे की जरूरत

जनेश्वर मिश्र ने अखिलेश यादव से कहा कि इस वक्त पार्टी को युवा चेहरे की जरूरत है जो समाजवादी विचारधारा को आगे लेकर जाए. तुम पढ़े लिखे हो, समझदार हो और इस वक्त पार्टी को तुम्हारी जरूरत है, मेरा राजनीतिक अनुभव यह कहता है कि तुम सपा को मजबूत करोगे. यह मैं तुम्हें बता नहीं रहा हूं, बल्कि यह मेरा आदेश है और आपको इस आदेश का पालन करना होगा, मैं नेताजी से बात करने जा रहा हूं. मैं नेताजी को बता दूंगा कि अखिलेश से मेरी बात हो चुकी है और वो चुनाव लड़ने को तैयार है.

यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि जनेश्वर मिश्र पहले ही मुलायम सिंह यादव से बात कर चुके थे और फिर अखिलेश यादव से मिले थे. मुलायम सिंह यादव ने जनेश्वर मिश्र से अखिलेश पर निर्णय करने के लिए 10 दिन का समय मांगा था लेकिन जनेश्वर मिश्र दूसरे दिन ही मुलायम सिंह यादव के पास पहुंच गए.

जनेश्वर मिश्र ने मुलायम सिंह यादव से कहा, ‘नेताजी अब आपको निर्णय लेना होगा. अखिलेश अगर कन्नौज से चुनाव लड़ता है तो ये उसके संघर्ष का चुनाव होगा. अकबर अहमद डंपी वहां पर चुनाव लड़ेगा, इतना आसान नहीं होगा. अखिलेश की भी अग्निपरीक्षा होगी कि क्या वो समाजवादी आंदोलन को आगे लेकर चल पाएगा या नहीं. आप अखिलेश को प्लेट में सजाकर राजनीति नहीं दे रहे हैं बल्कि चुनाव लड़ाएंगे और जनता को तय करना है.'

उन्होंने आगे कहा, 'मेरा मानना है कि अखिलेश के राजनीति में आने और चुनाव लड़ने से समाजवादी पार्टी की नई पीढ़ी तैयार होगी. सपा के साथ इस वक्त युवाओं को जोड़ना बहुत जरूरी है. आपको परिवारवाद के आरोपों से परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगर अखिलेश में क्षमता होगी तो वो आगे बढ़ेंगे. अब आप मेरी यह बात मान लीजिए और टीपू का टिकट कन्नौज से फाइनल करिए. वैसे भी कन्नौज ब्राह्मण बाहुल्य सीट है, आपकी पार्टी का ब्राह्मण चेहरा आपसे कह रहा है कि अखिलेश को टिकट दीजिए. मैं अखिलेश के लिए प्रचार करूंगा, आप चिंता मत करिए, टीपू मेरे बेटे जैसा है’.

काफी देर तक चर्चा होने के बाद मुलायम सिंह यादव के कहा कि पंडित जी आप बहुत जिद्दी हो, आप जो फैसला कराना चाहते हैं, वो करा ले जाते हैं. आप प्रोफेसर रामगोपाल यादव और अमर सिंह से बात कर लीजिए. फिर जनेश्वर मिश्र ने प्रोफेसर रामगोपाल यादव और मुलायम सिंह ने अमर सिंह से बात की. आखिर में जनेश्वर मिश्र अपने पहले मिशन में सफल रहे और कन्नौज लोक सभा उपचुनाव में अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी घोषित किए गए. मुलायम सिंह यादव ने कहा कि पंडित जी आप अखिलेश से नामांकन में जरूर शामिल होंगे और अमर सिंह, प्रोफेसर रामगोपाल यादव भी रहेंगे.

1999 में कन्नौज का उपचुनाव इतना आसान नहीं था. अखिलेश यादव के सामने अहमद अकबर डंपी चुनाव लड़ रहे थे. इस वक्त यूपी में सपा की सरकार भी नहीं थी. जनेश्वर मिश्र ने कन्नौज में अखिलेश के चुनाव की पूरी रणनीति तैयार की. जनेश्वर मिश्र कन्नौज में अखिलेश यादव के नामांकन में शामिल हुए. जनेश्वर मिश्र ने सपा कार्यालय से एसआरएस यादव को अखिलेश के चुनाव के मैनेजमेंट के लिए कन्नौज भेजा. अखिलेश यादव चुनाव के वक्त कन्नौज के भारत होटल में रुका करते थे. भारत होटल में अखिलेश और एसआरएस यादव एक कमरे में ही रहते थे. कन्नौज से राजनीति की पहली सीढ़ी चढ़ने में अखिलेश यादव सफल रहे. एक लंबे अंतर से अखिलेश यादव ने कन्नौज उपचुनाव जीता और पहली बार सांसद बने.

इस चुनाव के कुछ सालों बाद जनेश्वर मिश्र ने अखिलेश यादव को पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी. जनेश्वर मिश्र ने सपा के सभी युवा संगठनों का प्रभारी अखिलेश यादव को बना दिया. अखिलेश समाजवादी युवजन सभा, लोहिया वाहिनी, छात्र सभा और मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड के प्रभारी बना दिए गए. इस जिम्मेदारी को सौंपते हुए जनेश्वर मिश्र ने अखिलेश यादव से कहा था कि अब हमें सपा की छवि बदलनी है और इसकी जिम्मेदारी तुम्हारे कंधों पर है. ज़्यादा से ज्यादा युवाओं को पार्टी के साथ जोड़ो.

इसके बाद अखिलेश यादव लगातार कन्नौज से सांसद बनते रहे. 3 जून 2009 अखिलेश यादव के राजनीतिक करियर का टर्निंग प्वाइंट माना जाता है. इस दिन समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. इस जिम्मेदारी के पीछे भी जनेश्वर मिश्र का हाथ था. जनेश्वर मिश्र ने 2 जून को अखिलेश यादव से कहा था कि अब तुम्हें 2012 में यूपी में सपा की सरकार वापस लाना है. खूब मेहनत करो, साइकिल चलाओ, यात्रा करो और संगठन को इतना मजबूत बना दो कि सपा की सरकार यूपी में आ जाए.

जनेश्वर मिश्र ने जो जिम्मेदारी अखिलेश यादव को सौंपी थी, 2012 में अखिलेश यादव ने उसे पूरा किया था. 224 सीटों के साथ यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने. लेकिन इस पल के साक्षी जनेश्वर मिश्र नहीं बन पाए थे. 22 जनवरी, 2010 को ही जनेश्वर मिश्र का निधन हो गया था.

2016-17 में मेरी एक मुलाकात अखिलेश यादव से हुई थी. उस वक्त उनकी सरकार में जनेश्वर मिश्र के नाम पर कई योजनाएं चलती थीं. अखिलेश यादव ने यूपी का सबसे बड़ा पार्क लखनऊ में बनवाया, जिसका नाम जनेश्वर मिश्र पार्क रखा. मैंने उनसे पूछा कि आपके राजनीतिक जीवन में जनेश्वर मिश्र की क्या भूमिका रही है. अखिलेश यादव ने मुझे बताया था कि ‘वो मेरे राजनीतिक गुरु हैं, वो मेरे संरक्षक हैं और मुझे हमेशा सही गलत का फर्क बताया है’.

अभी कुछ दिनों पहले मेरी अखिलेश यादव से एक बार फिर मुलाकात हुई और जनेश्वर मिश्र पर बात हो रही थी. अखिलेश यादव ने 1999 में जनेश्वर मिश्र के कुछ शब्दों को याद करते हुए बताया, ‘जनेश्वर जी मुझसे कहते थे कि नया युवा, नया जोश और नई ताकत यही होगी अखिलेश की पहचान. वो मेरे पहले चुनाव में आए, मुझे टिकट दिलाया और मुझे चुनाव भी जितवाया’. अखिलेश ने कहा कि यह मेरा फर्ज है कि मैं उनके विचारों को आगे लेकर जाऊं. उनको मुझसे यह उम्मीद थी कि मैं समाजवादी आंदोलन को आगे बढ़ाने में मेहनत करता रहूंगा, मैं आज भी उनकी बातों और विचारों को अपनी राजनीति में साथ लेकर चलता हूं’.

उत्तर प्रदेश में 2022 में विधान सभा चुनाव हैं. अखिलेश यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती यूपी में सत्ता में वापसी करना है. अखिलेश यादव की लड़ाई सीधे बीजेपी से है. उत्तर प्रदेश के कन्नौज से शुरू हुआ अखिलेश का ये सफर क्या 2022 में कमाल कर पाएगा? इस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं. हालांकि अखिलेश यादव इन दिनों काफी मेहनत कर रहे हैं. कोविड के पहले चरण के बाद जब अनलॉक हुआ तो अखिलेश ने यूपी के सभी 75 जिलों का दौरा किया.

अखिलेश यादव ने 240 विधान सभा सीटों पर प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लिया. इस दौरान वो सपा के कार्यकर्ताओं के घर रात 12-1 बजे तक मिलने पहुंच जाते थे. वो हर जिले में प्रशिक्षण शिविर के दौरान लगभग 1,500 कार्यकर्ताओं के साथ वन टू वन बातचीत कर उनके साथ फोटो खिंचवाते थे. इसके अलावा अखिलेश यादव ने यूपी में सोशल इंजीनियरिंग पर काम शुरू कर रखा है. बीएसपी, कांग्रेस और बीजेपी के कई मजबूत नेताओं को सपा में शामिल करा चुके हैं. यानी चुनाव से पहले सारे कील कांटे दुरुस्त करने में अखिलेश जुटे हैं.

(लेखक विशाल पाण्डेय, ZEE NEWS के संवाददाता हैं. इस लेख में व्यक्त किए गए विचार उनके निजी विचार हैं)

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