किस्सा-ए-कंज्यूमर: रुकावट के लिए 'कंज़्यूमर कोर्ट' है
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किस्सा-ए-कंज्यूमर: रुकावट के लिए 'कंज़्यूमर कोर्ट' है

अगर कोई कंपनी वारंटी पीरियड में सही सर्विस देने से इनकार करें तो तो कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में संकोच न करें. आपकी जीत दूसरे कंज्यूमर्स के लिए नज़ीर बनेगी.

किस्सा-ए-कंज्यूमर: रुकावट के लिए 'कंज़्यूमर कोर्ट' है

बड़े अरमान से आप घर में टीवी लाते हैं लेकिन चंद ही रोज में टीवी अपने रंग दिखाने लगता है. स्क्रीन बिगड़ने लगती है. कंपनी से शिकायत करते हैं तो कंपनी गोल गोल जवाब मिलता है. अब आप क्या करेंगे?  हैदराबाद के राम बाबू के साथ ऐसा ही हुआ, लेकिन राम बाबू ने हार नहीं मानी. इंसाफ लेकर ही दम लिया. 

हुआ क्या था?
राम बाबू टीवी लाए. 32 इंच वाला एलईईडी टीवी. कंपनी थी माइक्रोमैक्स. शुरू में तो सब ठीक चला लेकिन 3-4 महीने गुजरते-गुजरते स्क्रीन पर अजीब सी लाइनें आने लगीं, तस्वीरें गड़बड़ होने लगीं. राम बाबू परेशान. आनन-फानन में उन्होंने कंपनी की वेबसाइट खोली. टोल फ्री नंबर खोजा और मिला दिया फोन. कंपनी ने बात सुनी और सर्विस एक्जिक्यूटिव भेजे. सर्विसे वाले आए, टीवी चेक किया और सिर्फ इतना बोलकर निकल लिए कि बताएंगे आपको. 

कंपनी ने क्या किया?
हफ्ते भर बाद कंपनी ने जवाब दिया कि टीवी में 'फिजिकल डैमेज' हुआ है और गड़बड़ी उसी 'फिजिकल डैमेज' की वजह से है. राम बाबू दुहाइयां देते रहे, समझाने की कोशिश करते रहे लेकिन कोई फायदा नहीं. उन्होंने कई सारे ई-मेल भी किए लेकिन ना तो कंपनी ने सुना और ना ही कंपनी के ऑथराइज्ड सर्विस डीलर ने. वो बार-बार यही दोहराते रहे कि जो भी दिक्कत आ रही है वो 'फिजिकल डैमेज' के चलते है और ये वारंटी में कवर नहीं होता. आखिरकार राम बाबू ने हैदराबाद कंज्यूमर कोर्ट में जाने का फैसला किया. 

कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने जांच में पाया कि टीवी को बाहरी तौर पर कोई नुकसान नहीं हुआ. कोई 'फिजिकल डैमेज' नहीं था. दिक्कत पूरी तरह 'इंटरनल' थी. अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि कंपनी ने सर्विस में कोताही बरती, वारंटी पीरियड में होते हुए भी कंज्यूमर की जेनुइन शिकायत पर ध्यान नहीं दिया, लिहाजा कंपनी को इसकी सजा मिलेगी. कोर्ट ने हुक्म सुनाया कि कंपनी उस टीवी को मुफ्त में रिपेयर करेगी और जरूरत पड़ी तो पार्ट्स भी बदलेगी.  इतना ही नहीं, कंपनी राम बाबू को 2,000 रुपए का मुआवजा देगी और उनका जो खर्चा हुआ उसकी भरपाई के लिए 2,000 रुपए और चुकाएगी. मामला मई 2018 में मीडिया में आया. 

जानना जरूरी है 
टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी का फर्ज है कि वो कंज्यूमर की शिकायत का वारंटी पीरियड के भीतर निपटारा करे.  ज्यादा पैसे वसूलने के लिए कंपनी सर्विस में देरी नहीं कर सकती. अगर कोई कंपनी ऐसा करती है तो पहले कंपनी से संपर्क कीजिए, शिकायतों और कंपनी के जवाब का पूरा ब्योरा जमा करते जाइए. कंपनी को टैग करते हुए सोशल मीडिया पर अपनी बात रखिए. उम्मीद है शिकायत दूर हो जाएगी. और अगर फिर भी कंपनी ना-नुकुर करती है तो कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में संकोच न करें. आपकी जीत दूसरे कंज्यूमर्स के लिए नज़ीर बनेगी.

(लेखक गिरिजेश कुमार ज़ी बिज़नेस से जुड़े हैं.)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

 

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