'डियर जिंदगी' को इन दिनों जो ईमेल, पत्र और संदेश मिल रहे हैं, उसमें एक-दूसरे को माफ न कर पाने की पीड़ा का भाव अधिकांश पाठकों में मिल रहा है . पाठक लिखते हैं कि कितना अच्‍छा होता, उसे माफ कर दिया होता!


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इनमें कुछ ऐसे हैं, जिनके मित्र दुबारा मिले ही नहीं. कुछ अचानक दुनिया को अलविदा कह गए. कुछ रूठकर इतने दूर निकल गए कि उनको माफ करने का अवसर दुबारा मिलना संभव नहीं. रिश्‍तों के पुल जिंदगी के बड़े इम्‍तिहान तो पार कर लेते हैं, लेकिन कई बार 'नदी' का थोड़ा सा पानी भी 'पुल' पर आ जाए तो दरार पड़ जाती है!


एक ऐसे ही प्रसंग की ओर हमारे एक पाठक ने ध्‍यान दिलाया. यह किस्‍सा है ,भारतीय सिनेमा के सुपरस्‍टार राजेश खन्‍ना और अपनी खास संवाद अदाएगी के लिए मशहूर शत्रुघ्न सिन्‍हा का. शत्रुघ्न सिन्‍हा अपनी बायोग्राफी 'एनीथिंग बट खामोश' में लिखते हैं कि वह अभिन्‍न मित्र राजेश खन्‍ना के खिलाफ चुनाव में खड़े नहीं होना चाहते थे, लेकिन भाजपा के वरिष्‍ठ नेता लालकष्‍ण आडवाणी को मना नहीं कर सके. वह आडवाणी को अपना गाइड और गुरु मानते थे, जिनकी बात टालना उनके लिए संभव नहीं था.


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सुपरिचित फिल्‍म आलोचक भावना सोमाया ने कुछ दिन पहले रेडियो पर एक किस्‍सा सुनाते हुए बताया कि राजेश खन्‍ना और शत्रुघ्न सिन्‍हा की गहरी दोस्‍ती बॉलीवुड में किसी से छुपी नहीं थी. दोस्‍ती में उस समय बड़ी दरार आ गई, जब  उन्‍होंने राजेश खन्‍ना के खिलाफ 1992 में दिल्‍ली से चुनाव लड़ने का फैसला किया. बॉलीवुड के अनेक दिग्‍गजों ने उन्‍हें ऐसा नहीं करने की सलाह दी, क्‍योंकि इससे बॉलीवुड के दो खेमों में बंटने का डर था. लेकिन शत्रु नहीं माने. वह लड़े. उसके बाद उन्‍हें दोनों जगह हार मिली.
*  शत्रुघ्न राजेश खन्‍ना से चुनाव हार गए. 
* राजेश खन्‍ना से उनकी दोस्‍ती हमेशा के लिए टूट गई. राजेश खन्‍ना ने उन्‍हें इसके लिए कभी माफ नहीं किया.


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इस 'डियर जिंदगी' को लिखने से पहले मैंने शत्रुघ्न सिन्‍हा के यू-ट्यूब पर कई वीडियो देखे. एक वीडियो ऐसा भी मिला, जिसमें वह अपने खिलाफ चुनाव लड़ने वाले अभिनेता शेखर सुमन को माफ करते हुए, गर्मजोशी से रिश्‍ते बहाल करते हुए दिख रहे हैं. इसी वीडियो में वह इस बात के लिए दुखी भी हैं कि कैसे एक राजनीतिक निर्णय ने हमेशा के लिए उनसे एक दोस्‍त छीन लिया. शेखर सुमन का शत्रुघ्न से वही रिश्‍ता रहा है, जो कभी सिन्‍हा और खन्‍ना का था. इस रिश्‍ते में भी दरार चुनाव से आई, लेकिन सुमन के प्रयास, शत्रुघ्न के बड़प्‍पन से रिश्‍ते कई बरस बाद ही सही पर सामान्‍य हो गए.


मैं जिन वीडियो की बात कर रहा हूं , इसमें शत्रु दोनों की दोस्‍ती टूटने की बात कर रहे हैं. उनके मन में गहरी टीस, पीड़ा दिखती है. इसी बात को भावना विस्‍तार से बताती हैं कि शत्रुघ्न ने इस रिश्‍ते को जोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन राजेश खन्‍ना उस चुनाव के बाद उनसे कभी मिलने को तैयार नही हुए. यहां तक कि एक बार जब खन्‍ना बहुत ज्‍यादा बीमार थे, तब भी यह मुलाकात संभव नहीं हो सकी.


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इस बात का सिन्‍हा साहब को आज तक गहरा दुख है. आज जब राजेश खन्‍ना हमारे बीच नहीं हैं, जहां कहीं होंगे, शायद उनको भी लगता होगा कि माफ कर दिया जाता तो अच्‍छा होता! इस किस्‍से को साझा करते हुए केवल दो बातें कहना चाहता हूं. माफी दिखती हमेशा दो तरफा है, लेकिन असल में इससे सबसे अधिक सुकून में वही रहता है, जो माफ कर देता है. उसके मन में सुकून गहरा होता जाता है. वह उस टीस से उबर जाता है, जो दूसरे के दिल में हूक बनकर बैठी रहती है.


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माफी न मिलना तो आपके बस में नहीं है, लेकिन माफ करना तो आपका अधिकार है! इससे खुद को वंचित मत रखिए!


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