मीडिया से झगड़कर क्या हासिल कर लेंगे ट्रंप?
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मीडिया से झगड़कर क्या हासिल कर लेंगे ट्रंप?

ट्रंप मेनस्ट्रीम मीडिया को ‘फेक न्यूज’ करार दे चुके हैं और जिन मीडिया संस्थानों पर ट्रंप लगातार निशाना साधते रहे हैं उनमें सीएनएन, वॉशिंगटन पोस्ट, एमएसएनबीसी, न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट प्रमुख हैं.

मीडिया से झगड़कर क्या हासिल कर लेंगे ट्रंप?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मीडिया के बीच तल्खी बढ़ती ही जा रही है. ट्रंप ने अब गूगल न्यूज पर अपनी छवि खराब करने का आरोप लगाया है. ट्रंप का आरोप है कि गूगल न्यूज पर जब उनसे संबंधित खबरें सर्च की जाती हैं तो सर्च में अधिकतर खबरें ‘फेक न्यूज मीडिया’ की आती हैं. ट्रंप ने कहा कि ये सर्च रिजल्ट अधिकतर वामपंथी मीडिया संस्थानों के होते हैं. दरअसल, ट्रंप मेनस्ट्रीम मीडिया को ‘फेक न्यूज’ करार दे चुके हैं और जिन मीडिया संस्थानों पर ट्रंप लगातार निशाना साधते रहे हैं उनमें सीएनएन, वॉशिंगटन पोस्ट, एमएसएनबीसी, न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट प्रमुख हैं.

अब तक 18 महीनों से अधिक के अपने कार्यकाल में राष्ट्रपति ट्रंप दर्जनों बार सार्वजनिक तौर पर अमेरिकी मीडिया पर निशाना साध चुके हैं. ट्रंप और मीडिया के रिश्तों की तल्खी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों 350 से अधिक छोटे-बड़े अमेरिकी अखबारों ने ट्रंप के मीडिया विरोधी रवैये के खिलाफ संपादकीय लिखा. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और मीडिया के बीच कड़वाहट का जो मौजूदा स्तर है, ऐसा किसी अन्य बड़े लोकतांत्रिक देश में नजर नहीं आता.

रियल एस्टेट कारोबारी से राष्ट्रपति बनने वाले ट्रंप का मानना है कि चुनाव में मेनस्ट्रीम मीडिया ने उन्हें हराने की पूरी कोशिश की थी लेकिन सोशल मीडिया जैसे ‘ओपन प्लेटफॉर्म’ होने के चलते ही वह प्रभावी ढंग से अपनी बात जनता तक पहुंचा पाए और राष्ट्रपति चुनाव भी जीते. यही वजह है कि ट्रंप रिपोर्टर्स को व्हाइट हाउस में दिए जाने मीडिया भोज का भी बहिष्कार कर चुके हैं और किसी नई सरकारी घोषणा के लिए परंपरागत प्रेस कॉन्फ्रेंस के बजाय ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को तरजीह देते हैं. 

मेनस्ट्रीम मीडिया को लेकर अपनी इस टीस के चलते ही ट्रंप राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से उसके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. व्हाइट हाउस के एक कार्यक्रम से सीएनएन के रिपोर्टर को बाहर किया जाना भी इसी का हिस्सा था. ट्रंप मेन स्ट्रीम मीडिया के लिए 'लोगों का दुश्मन', 'बीमार और खतरनाक' और 'मनुष्यों में सबसे निम्न' जैसे शब्दों का प्रयोग कर चुके हैं. निश्चित तौर पर सत्ता और मीडिया के बीच दोस्ती लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है लेकिन ट्रंप और मीडिया के बीच जो 'दुश्मनी' खड़ी हुई है, वह लोकतंत्र और मीडिया की आजादी के लिए बेहद खतरनाक है. मीडिया से झगड़कर ट्रंप को कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि यह झगड़ा दुनिया के सबसे ताकतवर लोकतंत्र की छवि को ही धूमिल करेगा. 

(जयशंकर बैरागी दिल्ली नगर निगम में जनसंपर्क अधिकारी हैं)

(डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

 

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