लड़कियों को देवी नहीं इंसान समझिए
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लड़कियों को देवी नहीं इंसान समझिए

जब लड़कियों के साथ होने वाले शोषण की बात करेंगे, समाज में उनकी स्थिति की बात करेंगे तो समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा ये बताने में जुट जाएगा कि हमारे यहां तो बेटियां देवियां होती हैं, मां के पैरों में जन्नत होती है, धर्म ग्रंथों में औरतों को बहुत बड़ा रुतबा है लेकिन असलियत क्या है, ज़मीनी हक़ीक़त क्या है. 

लड़कियों को देवी नहीं इंसान समझिए

हमें बेटियां चाहिए पूजने के लिए या फिर रौदने के लिए. ये बात आपकी बुरी लग सकती है शायद बहुत बुरी और लगनी भी चाहिए क्योंकि यही तो सच है हमारे तथाकथित सभ्य समाज का. नवरात्र के नौ दिन बेटियों को ढूंढ ढूंढकर कन्या भोज कराया जाता है, उनके पैर पूजे जाते हैं उनको पूजा जाता है. लेकिन अब हम इस तस्वीर के पीछे का सच भी देख लें कि आखिर हमारे समाज में बेटियों की हालत क्या है, लोग कितना सम्मान करते हैं बेटियों का, कितनी सुरक्षित हैं बेटियां. जगह जगह इंसानों के रूप में वहशी मिल जाते हैं, घर में, घरों से बाहर, बाज़ारों में, दफ़्तरों में, धार्मिक स्थलों पर हर जगह गिद्ध की नज़र लड़कियों पर होती है. महिला अत्याचार,शोषण की बात कुछ नई नहीं है लेकिन पिछले कुछ दिनों में जो तस्वीरें और खबरें सामने आई हैं तो आइना दिखा रही हैं समाज को, हमारी व्यवस्था को. 

सबसे पहले बात करते हैं सोशल मीडिया पर वारयल होने वाले एक वीडियो की, जो बुलंदशहर का था. वीडियो को देखकर मेरे रौंगटे खड़े हो गए और रूह कांप गई. पेड़ से टंगी एक महिला को एक आदमी बेल्ट से इस कदर मारता है जैसे वो उसकी जान लेकर ही रहेगा. मारते मारते जब वो शख्स पसीना में तर ब तर हो जाता है तो वो अपनी जैकेट उतारकर फिर से उस महिला को पीटने लगता है.  वीडियो में सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि जब महिला को बेरहमी से पीटा जा रहा था वहां दर्जनो लोग तमाशबीन बने हुए थे जिसमें कुछ महिलाएं भी थीं. महिला चीख रही थी मदद की गुहार लगा रही थी लेकिन मजाल है किसी को उस पर रहम आया हो.

वीडियो वायरल होने के बाद खुलासा हुआ कि मामला बुलंदशहर का है और महिला की पिटाई करने वाला शख्स उसका पति है. कहा जा रहा है कि महिला के किसी और के साथ प्रेम संबंध थे और वो उसके साथ चली गई थी. और जब वो अपने पति के हत्थे चढ़ी तो उसे इस तरह सबक सिखाया गया. दर्जनों लोगों की भीड़ में एक महिला को सिर्फ़ इसलिए बेरहमी से पीटा जा रहा था क्योंकि उसने समाज के बनाए नियमों को तोड़ा था वो अपने पति से बेवफ़ाई कर रही थी. जिसकी सज़ा उसे सरेआम दी जा रही थी . तमाशबीन लोगों के लिए शायद ये नई बात नही थी कि एक औरत को इस तरह पीटा जा रहा था क्योंकि औरतें तो पिटने के लिए बनी होती हैं, फिर चाहे वो घर के अंदर हों या सड़क पर. 

लड़कियों का शरीर कोई पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं है

सोशल मीडिया पर वायरल दूसरी तस्वीर दिल्ली की है, जहां जेएनयू की छात्राएं अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही होती हैं, उनकी मांगों में 9 छात्राओं का यौन शोषण करने वाले प्रोफेसर अतुल जौहरी की गिरफ़्तारी की मांग भी शामिल है. प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने जिस तरह से छात्राओं के साथ बर्ताव किया वो हमें शर्मिंदा करता है. पुलिस ने महिला पत्रकार के साथ बदसूलीकी की, उसका कैमरा तोड़ने की कोशिश और जब दूसरी महिला पत्रकार बचाव में आई तो उसकी छाती दबाई गई. इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें पत्रकारों को भी चोटें आई हैं.

महिला पत्रकार के साथ बदसलूकी के मामले ने तूल पकड़ा और पत्रकारों ने विरोध किया तो पुलिस की तरफ़ से बयान आया कि पुलिसकर्मी को नहीं मालूम था कि वो पत्रकार है छात्रा नहीं. लेकिन सवाल यही खड़ा हो रहा है कि अगर वो छात्रा होती तो क्या उसकी छाती दबाई जा सकती है ? क्या उसके साथ बदसलूकी की जा सकती है ?  दिल्ली की तस्वीरें में एक और तस्वीर है जब महिला पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारी छात्रा के टॉप को बुरी तरह से पकड़ती है और उसको बेहरमी से मारते नज़र आ रही है. स्टूडेंट्स अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन दिल्ली पुलिस का जो बर्बर चेहरा सामने आया वो हमें शर्मिंदा करता है.अब इस पर राजनीति भी शुरु हो गई.

पर्दे पर दिखने वाली खूबसूरती के पीछे का सच

तीसरी तस्वीर गोवाहाटी की है जो सोशल मीडिया पर तैर रही है, जिसमें कुछ लोग सरे बाज़ार दो लड़कियों को बेरहमी से पीट रहे हैं. कहा जा रहा है कि वो दोनों बहनें हैं और एक दुकान में सामान लेने गईं थी, जहां दुकानदार ने उनके साथ बदसलूकी की, लड़कियों ने जब विरोध किया तो दुकानदार ने बाकी साथियों के साथ मिलकर उनकी बेरहमी से पिटाई की और बाकी बाज़ार के लोग तमाशबीन बने रहे. 

जेएनयू के प्रोफेसर अतुल जौहरी के द्वारा छात्राओं के यौन उत्पीड़न की खबर के बीच केरल के कोझिकोड़ के फारूख कॉलेज में छात्राओं ने टॉपलेस होकर स्तनों की जगह तरबू़ज़ लगाकर प्रदर्शन किया. छात्राओं ने ये इसलिए किया क्योंकि कॉलेज के प्रोफेसर जौहर मुनव्वर अकसर लड़कियों के स्तनों पर टीका-टिप्पणी करते थे. प्रोफेसर जौहर मुनव्वर ने कहा कि 'मैं एक कॉलेज का शिक्षक हूं जहां 80 फीसदी लड़कियां हैं और उनमें से अधिकतर मुस्लिम, वो धार्मिक परंपरा के अनुसार कपड़े नहीं पहनती हैं, लड़कियां अपने स्तनों को हिजाब से नहीं ढंकती बल्कि लाल तरबूज़ के टुकड़े की तरह दिखाती हैं . सीना महिलाओं का ऐसा हिस्सा है जो पुरुषों को आकर्षित करता है' प्रोफेसर जौहर का ये बयान बेहद घिनौना और शर्मनाक है. हालांकि प्रोफेसर जौहर से लोग हमारे समाज में भरे पड़े हैं. फिर जाहे वो पढ़े लिखे जाहिल हों या फिर अनपढ़. किसी को लड़कियां पेट्रोल लगती हैं, किसी को लगता है कि लड़कियों के जीन्स पहनने से लड़के उत्तेजित होते हैं. इस तरह की बेहुदा बयानबाज़ी लोगों की सोच को सामने लाती है कि लोगों के लिए लड़कियां सिवाए जिस्म के कुछ नज़र नहीं आती हैं. बलात्कार तक को लोग जस्टीफाई करने लगते हैं, कि लड़की आधी रात को क्यों निकली, अकेली क्यों निकली, यहां क्यों गई, वहां क्यों गई। 

सवाल आपको खुद से करने है, अपनी सोच को थोड़ा खुला करना होगा. लड़कियां सिर्फ़ देवियां नहीं होती हैं कि आप सिर्फ़ उन्हें पूजे. लड़कियां हाड़ मांस की तरह आपकी ही तरह होती हैं. जब लड़कियों के साथ होने वाले शोषण की बात करेंगे, समाज में उनकी स्थिति की बात करेंगे तो समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा ये बताने में जुट जाएगा कि हमारे यहां तो बेटियां देवियां होती हैं, मां के पैरों में जन्नत होती है, धर्म ग्रंथों में औरतों को बहुत बड़ा रुतबा है लेकिन असलियत क्या है, ज़मीनी हक़ीक़त क्या है. ज़मीनी सच ऊपर लिखी घटनाएं हैं, वो सोच है जो प्रोफेसर जौहर और जौहरी जैसे लोगों की है. आप बेटियों के सम्मान की सिर्फ़ दुआई मत दीजिए अगर कुछ करना है तो बेटियों को सिर्फ़ इंसान समझिए अपने जैसा. उनको कोख में मारना, उनको पढ़ने ना देना, उनको दहेज के लिए मारना बंद करिए. हालांकि मैं ये किसी सपने के जैसी बात कर रही हूं लेकिन कोशिश की जाए तो पूरा सपना हक़ीकत में तब्दील भले ना हो लेकिन थोड़ा बहुत को हम उसे सच कर ही सकते हैं. बेटियों को सिर्फ़ पूजिए नहीं उनकी हमेशा इज्जत करिए वरना एक दिन बेटियां देवियां बनने से इंकार कर देंगी. 

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