Opinion: अनचाही कॉल्स पर ट्राई का ट्रायल, टेलीमार्केटर्स को सजा क्यों नहीं?
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Opinion: अनचाही कॉल्स पर ट्राई का ट्रायल, टेलीमार्केटर्स को सजा क्यों नहीं?

सवाल यह है कि जब निजी ऐप में अनचाही कॉलो का स्पैम आ जाता है तो फिर ट्राई का सिस्टम अनचाही कॉलो को रोकने में क्यों विफल रहा?

Opinion: अनचाही कॉल्स पर ट्राई का ट्रायल, टेलीमार्केटर्स को सजा क्यों नहीं?

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अनचाहे कॉल्स से निजात पाने के लिए नए ड्राफ्ट रेगुलेशंस पर जनता से कमेंट्स मांगा है. ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा कि अनचाही कॉल्स पर पूरी बंदिश संभव नहीं है क्योंकि सरकार डाल-डाल तो नियम तोड़ने वाले पात-पात है. सवाल यह है कि टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई यदि डीएनडी के नियमों को लागू नहीं कर सका तो फिर नए नियमों से 100 करोड़ से ज्यादा मोबाइल ग्राहकों को अनचाही कॉल्‍स से राहत कैसे मिलेगी. 

'डू नॉट डिस्टर्ब' का नियम क्यों विफल हुआ
ट्राई ने सन् 2010 में डू-नॉट-डिस्टर्ब यानि डीएनडी सुविधा से अनचाही कॉलो पर बैन लगाया था. इसके तहत 23.54 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों ने रजिस्ट्रेशन कराकर खुद को अनचाही कॉलो से मुक्त रखने की मंशा भी जारी की, जिसके बावजूद ट्राई उन ग्राहकों के हितों की रक्षा नहीं कर सका. अनचाही कॉलो से बचने के लिए लोगों ने ट्रू कॉलर जैसे निजी एप्स का इस्तेमाल शुरू कर दिया. सवाल यह है कि जब निजी ऐप में अनचाही कॉलो का स्पैम आ जाता है तो फिर ट्राई का सिस्टम अनचाही कॉलो को रोकने में क्यों विफल रहा?

टेलीमार्केटर्स की मनमानी पर रोक क्यों नहीं
ट्राई द्वारा 29 मई को जारी प्रेस नोट के अनुसार गैर-पंजीकृत टेलीमार्केटिंग नम्बरों से अनचाही कॉलो की संख्या बढ़ रही है. नियमों के अनुसार सिर्फ रजिस्ट्रर्ड टेलीमार्केटिंग कंपनियों द्वारा ही ग्राहकों को मार्केटिंग के लिए कॉल की जा सकती है. अक्टूबर 2016 के आंकड़ों के अनुसार देश में 11,350 टेली मार्केटिंग कम्पनियाँ ट्राई के साथ रजिस्टर्ड हैं जबकि 2.86 लाख गैर-पंजीकृत टेलीमार्केटर्स को ट्राई द्वारा नोटिस भेजी गई. इतने बड़े पैमाने पर टेलीमार्केटिंग का गैर-कानूनी कारोबार टेलीकॉम कंपनियों के सहयोग के बगैर सम्भव नहीं है, पर उनके खिलाफ ट्राई द्वारा सख्त कारवाई क्यों नहीं होती?

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टेलीमार्केटर्स द्वारा निजी डाटा का गैर-कानूनी कारोबार
आंकड़ों के अनुसार ट्राई ने गैर-कानूनी टेलीमार्केटर्स के 10.91 लाख टेलीफोन कनेक्शन काटने का आदेश देते हुए उनसे 1317.62 करोड़ की वसूली भी की, पर मर्ज बढ़ता गया. टेलीमार्केटिंग का गैर-कानूनी कारोबार डाटा के अवैध लेन-देन पर निर्भर है. गैर-कानूनी टेलीमार्केटिंग से ग्राहकों को परेशानी उठाने के साथ उनका निजी डाटा बाजार में नीलाम हो रहा है. सवाल यह है कि ट्राई ने टेलीमार्केटिंग के गैर-कानूनी कारोबार पर नोटिस जारी करने के साथ डाटा के अवैध कारोबार पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाए?

टेलीमार्केटर्स द्वारा प्राइवेसी पर हमला
सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने प्राइवेसी को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया. बगैर रजिस्ट्रेशन के लाखों मोबाइलों द्वारा टेलीमार्केटिंग के देशव्यापी कारोबार की रीढ़ टूट जाए, यदि उन्हें आम जनता के निजी डाटा को हासिल करने से रोका जा सके. ट्राई के पुराने डीएनडी नियम के अनुसार लोग अनचाही कॉलो को पूरी तरह से ब्लॉक कर सकते थे. पर नये प्रस्तावित नियमों के अनुसार ग्राहकों की डिजीटल सहमति से टेलीमार्केटिंग का आंशिक कारोबार हो सकता है. सवाल यह है कि जब 23 करोड़ से ज्यादा लोगों ने डू-नॉट-डिस्टर्ब की गुहार लगाई है तो फिर टेलीमार्केटिंग कंपनियों को चोर दरवाजे से आंशिक कॉल करने की अनुमति का माहौल बनाने की कोशिश क्यों हो रही है?

ब्लैकलिस्टिंग के साथ सजा क्यों नहीं
कॉल ड्रॉप के खिलाफ ट्राई ने मुआवजे का प्रावधान किया था जो अदालती हस्तक्षेप से लागू नहीं हो सका. इस बारे में केन्द्र सरकार ने ट्राई को और अधिक कानूनी अधिकार देने पर मौन रखा हुआ है पर अनचाही कॉलो पर लगाम लगाने के लिए ट्राई के पास सभी जरुरी कानूनी अधिकार हैं. ट्राई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 14 पंजीकृत टेलीमार्केटिंग कंपनियों को 2011 से 2016 के बीच ब्लैकलिस्ट किया गया. दूसरी ओर 2014 से 2016 के दौरान सिर्फ दो सालों में 3.39 लाख गैर-पंजीकृत टेलीमार्केटर्स को अनचाही कॉलो के प्रसार के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया. देश में मोबाईल ग्राहकों ने अनचाही कॉलो के खिलाफ पांच साल में 14.01 लाख शिकायतें दर्ज कराईं. अनचाही कॉलों से बैंकिंग फ्रॉड के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हो रही है. ट्राई द्वारा ब्लैकलिस्टिंग के साथ यदि दोषी लोगों को सजा दिलाने की शुरुआत की जाती तो फिर जनता को अनचाही कॉलो के साथ ट्राई के इस नए ट्रायल से भी मुक्ति मिल जाती.

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