20 की उम्र में उमेश यादव नहीं जानता थे कि चमड़े की गेंद से कैसे गेंदबाजी करनी है
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20 की उम्र में उमेश यादव नहीं जानता थे कि चमड़े की गेंद से कैसे गेंदबाजी करनी है

गेंदबाज उमेश यादव ने कहा कि वह शुरू से ही जानते थे कि अपनी रफ्तार हासिल करने की क्षमता से उच्च स्तर पर आगे बढ़ने में मदद मिलेगी.

उमेश यादव अब तक टेस्ट में 92 और वनडे में 98 विकेट हासिल कर चुके हैं. (फाइल फोटो)

कैंडी: उमेश यादव का कहना है कि जब 20 वर्ष की उम्र में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने आगाज किया था तो उन्हें लाल रंग की एसजी टेस्ट गेंद से खेलने का अंदाजा नहीं था लेकिन भारत के इस प्रमुख तेज गेंदबाज ने गुरुवार (10 अगस्त) को कहा कि वह शुरू से ही जानते थे कि अपनी रफ्तार हासिल करने की क्षमता से उच्च स्तर पर आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. अपने अंतरराष्ट्रीय पदार्पण के सात साल बाद भारत के मुख्य तेज गेंदबाज को लगता है कि वह अंतत: अपनी काबिलियत के मुताबिक गेंदबाजी कर रहे हैं. अभी तक 33 टेस्ट और 70 वनडे खेल चुके यादव ने शनिवार (12 अगस्त) से यहां श्रीलंका के खिलाफ शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट से पहले ‘बीसीसीआई डॉट टीवी’ से कहा, ‘आप बचपन से क्रिकेट खेल रहे हो तो आपको खेल के बारे में काफी चीजें पता चल जाती हैं. लेकिन अगर आपको अचानक से कुछ अलग चीज करने को कहा जाये तो आपके लिये मुश्किल हो सकती है.’

टेस्ट में 92 और वनडे में 98 विकेट हासिल कर चुके इस गेंदबाज ने कहा, ‘मैंने टेनिस और रबड़ की गेंद से खेलना शुरू किया और जब तक मैं 20 साल का नहीं हो गया तब तक मैंने क्रिकेट में आमतौर पर इस्तेमाल की जानी वाली गेंद नहीं पकड़ी थी. एक तेज गेंदबाज के लिये यह काफी देर से हुआ था. इसलिये जब ऐसा हुआ तो मुझे नहीं पता था कि इस गेंद से क्या करूं.’ और इसके साथ गेंदबाजी करने को समझने में उन्हें करीब दो साल लग गये. उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानता था कि गेंद को कहां पिच करूं, पहले दो वर्षों में मैं यह नहीं समझ सका कि कब गेंद बाहर जायेगी और कब यह अंदर या फिर सीधी जायेगी.’ यादव ने कहा, ‘तब मेरे कोचों ने मेरी मदद की. उन्होंने मुझे बताया कि अगर आपको गेंद पर नियंत्रण बनाने में मुश्किल हो रही है तो यह बिलकुल सामान्य सी बात है. अभी केवल अपनी लेंथ पर ध्यान दो. इसके बाद मैंने अपने एक्शन पर काम करना शुरू किया और मुझे पता चला कि एक्शन में बायें हाथ की भूमिका अहम होती है. इसके बाद से उमेश यादव हमेशा के लिये बदल गया.’

नागपुर में जन्में यादव ने अपने शुरूआती दिनों को याद करते हुए कहा, ‘मैं शुरू से ही जानता था कि मेरी रफ्तार मेरी मदद करेगी और मेरी पहचान बनेगी.’ पिछले 12 महीने के अपने प्रदर्शन से यादव ने उन आलोचकों को चुप कर दिया है जो उनकी लाइन एवं लेंथ को लेकर कई बार आलोचनायें करते रहे थे. इतनी आलोचनाओं के बावजूद इस 29 वर्षीय गेंदबाज ने अपनी रफ्तार से समझौता नहीं किया और अपना सर्वश्रेष्ठ करने के लिये प्रतिबद्ध रहे. उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा ही तेज गेंदबाजी करना चाहता था. जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ, मैंने तेज गेंदबाजी के बारे में काफी चीजें सीखीं. मैं जिस जगह से आता हूं, वह तेज गेंदबाजों को पैदा करने के लिये मशहूर नहीं है.’

यादव ने कहा, ‘मैं जानता था कि ऐसे कई गेंदबाज थे जो 130-135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करते थे. मैं जानता था कि अगर आप हर गेंद 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से करोगे तभी आप कुछ अलग हो सकते हो और तभी आपको मौका मिल सकता है.’ उन्होंने मई 2010 में जिम्बाब्वे के खिलाफ एक वनडे से भारतीय टीम में करियर शुरू किया. उन्होंने कहा, ‘जब मैं शुरू में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने आया तो रफ्तार बनाये रखना आसान था लेकिन जैसे जैसे मैंने खेलना जारी रखा तो मैंने फिटनेस बनाये रखने के लिये काफी चीजें सीखीं और यह भी कि मैच के बाद कैसे उबरा जाये. अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो आप बतौर तेज गेंदबाज नहीं बने रह सकते.’

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