एलिस्टर कुक ने संन्यास के बारे में सबसे पहले इन्हें बताया था, खूब बहाए थे आंसू
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एलिस्टर कुक ने संन्यास के बारे में सबसे पहले इन्हें बताया था, खूब बहाए थे आंसू

एलिस्टर  कुक ने कहा, ''मेरी मानसिक फुर्ती अधिक रही है. मैं हमेशा मानसिक रूप से मजबूत रहा हूं लेकिन अब मेरी मानसिक फूर्ती कम हो रही है और फिर से उस फूर्ती को पाना काफी मुश्किल है.'' 

इंग्लैंड के एलिस्टर कुक ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया (फाइल फोटो)

लंदन : इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज एलिस्टर कुक ने कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का फैसला इसलिए लिया क्योंकि उन्होंने उस मानसिक फुर्ती को खो दिया था, जिससे उन्होंने अपने करियर के दौरान आसानी से काम किया था. भारत के खिलाफ ओवल मैदान पर खेले जाने वाले मौजूदा टेस्ट सीरीज के पांचवें और आखिरी मैच के बाद उन्होंने संन्यास लेने की घोषणा की है. सीरीज में इंग्लैंड की टीम 3-1 से आगे है. 

  1. एलिस्टर कुक ने संन्यास का किया ऐलान
  2. लंदन में  भारत के खिलाफ ओवल टेस्ट आखिरी होगा
  3. 33 साल की उम्र में ही लिया है कुक ने संन्यास

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर पिछले 12 साल से इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व कर रहे कुक ने कहा, ''मेरी मानसिक फुर्ती अधिक रही है. मैं हमेशा मानसिक रूप से मजबूत रहा हूं लेकिन अब मेरी मानसिक फूर्ती कम हो रही है और फिर से उस फूर्ती को पाना काफी मुश्किल है.'' 

कुक ने कहा कि अगर साउथम्प्टन में मैच के बाद सीरीज का फैसला नहीं होता तो वह अपने संन्यास के फैसले को साझा नहीं करते. उन्होंने कहा, ''सच कहूं तो मेरे एक दोस्त ने यह जानने के लिए मुझे फोन किया कि मैं जिंदा हूं क्योंकि हर कोई ऐसे बात कर रहा जैसे मैं जिंदा नही हूं. जब आप अपने बारे में बहुत अच्छी बातें सुनते है तो अच्छा लगता है. उदाहरण के तौर पर, जब मैं गाड़ी चला रहा था और किसी ने मुझसे खिड़की के शीशे को नीचे करवा कर कहा कि 'बहुत बहुत धन्यवाद'. यह आपके अच्छे पलों में से एक है. उम्मीद है कि अलविदा कहने से पहले इस सप्ताह मैं कुछ रन बना सकूं.'' 

उन्होंने कहा, ''यह कहना मुश्किल है लेकिन पिछले छह महीनो से मैंने ऐसे संकेत दे दिए थे. मैंने पिछले मैच से पहले कप्तान जो रूट से और मैच के दौरान कोच ट्रेवर बेलिस को इस बारे में बता दिया था. आज के दौर और इस उम्र में सब कुछ छुपा कर रखना काफी मुश्किल है. अगर सीरीज 2-2 से बराबरी पर होती तो मैं अपने फैसले को साझा नहीं करता.'' 

एलिस्टर कुक ने अपने संन्यास के इस फैसले के बारे में सबसे पहले जो रूट को बताया था. उन्होंने कहा कि चौथे टेस्ट में भारत पर 60 रनों की जीत हासिल करने के बाद मैंने इस फैसले के बारे में साथी खिलाड़ियों को बताया था, लेकिन रूट को इस बारे में पहले ही बता चुका था.  

उन्होंने बताया कि, 'मैंने कुछ बीयर पी और इसकी मुझे जरूरत भी थी, अगर ऐसा ना करता तो मैं जितना रोया हूं उससे और ज्यादा आंसू बहाता. हालांकि, मैंने खुद को संभाले रखा. मैच के बाद मैंने कहा यह कुछ के लिए अच्छी खबर हो सकती है और कुछ के लिए दुख वाली, लेकिन अब समय आ चुका है. मैंने अपना योगदान दे दिया है, अगर मुझे अगले मैच के लिए चुना जाता है तो वो मेरा अंतिम मैच होगा. मैंने बस इतना कहा.'' 

कुक ने 59 टेस्ट और 92 एकदिवसीय में टीम में कप्तानी की है. जिसमें से उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में एशेज सीरीज में जीत (2010-10 में एंड्रयू स्ट्रॉस की कप्तानी में) के साथ अपनी कप्तानी में भारत में सीरीज जीत को करियर की सबसे बड़ी सफलता बताया.

उन्होंने कहा, ''विदेश में इन दोनों सीरीज में मैं 'मैन ऑफ द सीरीज' था और हम भारत तथा ऑस्ट्रेलिया में जीते थे. मेरे करियर के दौरान यह सर्वश्रेष्ठ क्षण था. हां, मैं कभी भी सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटर नहीं रहा हूं लेकिन अपनी क्षमता से मैंने सबकुछ पाया है.''

उन्होंने केविन पीटरसन के साथ विवाद पर खेद जताया क्योंकि उन्हें टीम से बाहर करने के फैसले में वह भी शामिल थे. उन्होंने कहा, ''निस्संदेह ऐसे प्रश्न हैं जिन पर आप सवाल करते हैं. स्पष्ट रूप से पीटरसन विवाद एक कठिन समय था, इसमें कोई संदेह नहीं है. उस फैसले से आयी गिरावट न तो इंग्लैंड क्रिकेट के लिए अच्छा थी न ही मेरे लिए.''

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