इस दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी ने वनडे में भारत के खिलाफ किया डेब्यू, 5 विकेट लेकर बनाया रिकॉर्ड
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इस दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी ने वनडे में भारत के खिलाफ किया डेब्यू, 5 विकेट लेकर बनाया रिकॉर्ड

एलन डोनाल्ड को 'व्हाइट लाइटनिंग' कहा जाता है. वह अपने गालों और नाक पर जिंक क्रीम लगाते थे. बाद में डोनाल्ड की आत्मकथा भी इसी नाम से प्रकाशित हुई.

एलन डोनाल्ड ने 300 से अधिक विकेट लिए हैं (PIC : Reuters)

नई दिल्ली : तेज, आक्रामक, बेखौफ चेहरे पर जिंक लोशन लगाए, वह दुनिया का सबसे तेज और खतरनाक गेंदबाज रहा है. एलन एंथनी डोनाल्ड का जन्म 20 अक्तूबर 1966 को हुआ था. डोनाल्ड दक्षिण अफ्रीका के उन पांच गेंदबाजों में शामिल हैं, जिन्होंने 300 से अधिक विकेट लिए हैं. डोनाल्ड ने अपने 10 वर्ष के लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में टेस्ट मैचों में 330 और एकदिवसीय मैचों में कुल 272 विकेट लिए हैं. वह इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका की टीम से भी बतौर गेंदबाजी कोच जुड़ चुके हैं .उन्होंने स्टार तेज गेंदबाजों मोर्न मॉर्केल, डेल स्टेन समेत अनेक गेंदबाजों को गेंदबाजी के गुर सिखाए हैं.

  1. एलन डोनाल्ड का अंतरराष्ट्रीय करियर 10 साल रहा
  2. डोनाल्ड को 'व्हाइट लाइटनिंग' कहा जाता है
  3. डोनाल्ड के लिए कोलकाता में डेब्यू यादगार था

आइए जानते हैं गेंदबाजी लीजेंड के बारे में कुछ दिलचस्प बातें: 

व्हाइट लाइटनिंग: डोनाल्ड को 'व्हाइट लाइटनिंग' कहा जाता है. वह अपने गालों और नाक पर जिंक क्रीम लगाते थे. बाद में डोनाल्ड की आत्मकथा भी इसी नाम से प्रकाशित हुई. 

अफ्रीकान्स: हालांकि, डोनाल्ड के नाम में अंग्रेजी की ध्वनि आती है लेकिन उनकी पहली भाषा अफ्रीकान्स है. वास्तव में प्रतिबंध के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करने के बाद डोनाल्ड, फेनी डीविलियर्स, केपलर वेसल्स, हंसी क्रोनिए अफ्रीकान्स बोलने वाले क्रिकेटर के रूप में जाने जाते थे. जब पहली बार डोनाल्ड ने वारविकशायर के की तरफ से खेलना शुरू किया तो उन्होंने थोड़ी बहुत अंग्रेजी खेलनी शुरू की, अब वह बढ़िया अंग्रेजी बोलते हैं. 

रग्बी या क्रिकेट: दक्षिण अफ्रीका में रग्बी नंबर वन गेम है. युवावस्था में डोनाल्ड इस दुविधा में थे कि रग्बी खेले या क्रिकेट. एक अखबार डोनाल्ड ने कहा था, रग्बी लंबे समय पहले नंबर पर रहा है, इसके बाद क्रिकेट और फुटबॉल का नंबर आता है. पहले मैं भी रग्बी खेलना पसंद करता था लेकिन बाद में मैंने क्रिकेट को ही अपनी करियर चुना. 

शुरुआतः डोनाल्ड ने 1984 में ओरेंज फ्री स्टेट की तरफ से खेलना शुरू किया और अंकलस स्कूल के खिलाफ 16 रनों पर 9 विकेट लिए. बाद में ग्रोअन इंजरी की वजह से इंतजार करना पड़ा, लेकिन इसके एक साल बाद डोनाल्ड ने फर्स्ट क्लास में डेब्यू किया. 

फर्स्ट क्लास डेब्यू: नवंबर 1985 में ट्रांसवाल के खिलाफ 19 साल डोनाल्ड को अंतिम मिनटों में ओरेंज फ्री स्टेट टीम में शामिल किया गया. डोनाल्ड की टीम हार गई और उन्हें केवल एक विकेट मिला, जिमी कुक का. बाद में वही डोनाल्ड के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में साथी बने. 

दक्षिण अफ्रीका की यादगार अंतरराष्ट्रीय वापसी: 10 नवंबर 1991 वह तारीख है, जिसे दक्षिण अफ्रीका कभी भूल नहीं सकता. यही वह दिन था जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करते हुए उन्होंने पहला गेम खेला. ईडन गार्ड्न्स में इस वन डे से पहले डोनाल्ड ने इंटरव्यू में कहा था, हम भारत पहुंचे, वहां एयरपोर्ट से होटल तक लोगों की भीड़ थी. हमने ये सोचा कि ये भीड़ हमारे लिए नहीं हो सकती. बाद में पता चला कि ये सारी भी़ड़ हमारे स्वागत के लिए ही थी. हमारा जितना भव्य स्वागत हुआ था वह चकित करने वाला था. 

यादगार इंटरनेशनल डेब्यू: डोनाल्ड के लिए कोलकाता में डेब्यू यादगार था. टॉस जीतने के बाद भारत ने दक्षिण अफ्रीका को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया. अफ्रीका 177 रन ही बना पाया. 25 साल के डोनाल्ड ने खतरनाक गेंदबाजी करते हुए 8.4 ओवरों में 29 रन देकर 5 विकेट लिए. इस मैच में किशोर सचिन तेंदुलकर ने 73 गेंदों पर शानदार 62 रन बनाए. प्रवीण आमरे ने भी इस मैच में डेब्यू किया था और सचिन के साथ अच्छी पारी खेली. तेंदुलकर और आमरे दोनों को 'मैन ऑफ द मैच' घोषित किया गया.

वर्ल्ड कप 1992: वर्ल्ड कप 1992 में डोनाल्ड को अपनी पहली ही गेंद पर विकेट मिल सकती थी. ज्योफ मार्श के बल्ले छूती हुई गेंद लग कर गई थी. लेकिन अम्पायर ने गेंदबाज के पक्ष में निर्णय नहीं दिया. दक्षिण अफ्रीका के वर्ल्ड कप अभियान का अंत बारिश ने कर दिया. डोनाल्ड ने इस वर्ल्ड कप में 4.21 की दर से 13 विकेट लिए.

टेस्ट डेब्यूः वर्ल्ड कप के कुछ दिनों बाद ही डोनाल्ड ने टेस्ट में डेब्यू किया. ब्रिजटाउन टेस्ट मैच को कर्टली एम्ब्रोस की शानदार गेंदबाजी के लिए याद रखा जाता है. लेकिन डोनाल्ड ने इस मैच में 144 रन देकर 6 विकेट लिए. इनमें से एक विकेट युवा ब्रायन लारा की भी थी. 

1999 वर्ल्ड कप में रन आउटः 1999 के वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका दुनिया की सबसे अच्छी टीम थी. ऐसा लग रहा था कि यह टूर्नाटमेंट जीत लेगी. लेकिन डोनाल्ड सेमीफाइनल में हार का सबसे बड़ा दोषी पाया गया. लांस क्लूजनर और डोनाल्ड क्रीज पर थे. दक्षिण अफ्रीका को जीतने के लिए 3 गेंदों में केवल एक रन बनाना था. ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव वॉ ने सारे फील्डरों को करीब खड़ा कर दिया. डोनाल्ड क्रीज छोड़कर बाहर निकले और रन आउट हो गए. मैच टाई हो गया, लेकिन लीग में ऑस्ट्रेलिया दक्षिण अफ्रीका को हरा चुका था, इसलिए वह टूर्नामेंट से बाहर हो गया. यह दक्षिण अफ्रीका की ऐसी हार थी जिसे वे कभी नहीं भुला सकते.

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