'धोनी भाई हमेशा बताते हैं क्या होती है एक गेंद की कीमत'
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'धोनी भाई हमेशा बताते हैं क्या होती है एक गेंद की कीमत'

चेन्नई जब दो साल के प्रतिबंधित कर दी गई थी जब दीपक चहर उसके स्थान पर आई राइजिंग पुणे सुपरजाएंट के साथ खेले थे.इन दो वर्षों में महेंद्र सिंह धोनी भी उनके साथ थे.

दीपक चहर आईपीएल 2018 में चेन्नई सुपरकिंग्स के तरफ से खेले थे (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: पहली बार चेन्नई सुपर किंग्स की जर्सी में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2018) में उतरे 25 साल के युवा तेज गेंदबाज दीपक चहर ने कहा है कि चेन्नई के प्रशंसक पूरे देश में इतने हैं कि हर मैदान टीम के लिए घरेलू मैदान था. तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी नदी के जल वितरण विवाद के कारण चेन्नई को आईपीएल में अपने घरेलू मैच पुणे में खेलने पड़े थे. दीपक ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली टीम का तारीफ करते हुए कहा कि यह टीम और इसका माहौल आईपीएल की बाकी टीमों से जुदा, जिसके बारे में उन्होंने सिर्फ सुना था लेकिन यहां आकर यह बात महसूस भी की.

चेन्नई जब दो साल के प्रतिबंधित कर दी गई थी जब दीपक उसके स्थान पर आई राइजिंग पुणे सुपरजाएंट के साथ खेले थे.इन दो वर्षों में धोनी भी उनके साथ थे. अब इस सीजन में दीपक को धोनी के साथ कुल तीन साल हो गए है. इन तीन वर्षों में उन्होंन धोनी से क्या सीखा तो इस युवा गेंदबाज ने कहा, "जब आप धोनी जैसे इंसान के साथ तीन साल का समय बिताते हैं तो आपको सीखने को काफी कुछ मिलता है. जब वो आपकी तारीफ करते हैं तो अच्छा लगता है. उन्होंने मेरी गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों की तारीफ की है. इस स्तर पर आपको आत्मविश्वास की ही जरूरत है."

उन्होंने कहा, "महेंद्र सिंह धोनी भाई हमेशा कहते हैं कि सिर्फ एक गेंद मायने रखती है. अगर आपने पांच छक्के खा लिए और आखिरी गेंद खाली निकाल दी तो वो भी मायने रखती है. उससे सीखना चाहिए."

धोनी भाई ने जानबूझ के बनाई थी ऐसी टीम
फाइनल में शेन वॉटसन ने 57 गेंदों में 117 रनों की तूफानी पारी खेल चेन्नई को तीसरा आईपीएल खिताब दिलाया. वॉटसन के बारे में उन्होंने कहा कि फाइनल में ऐसी पारी एक अनुभवी और बड़ा खिलाड़ी ही खेल सकता है. उन्होंने कहा, ऐसी पारी फाइनल में बड़ा बल्लेबाज ही खेल सकता है. शुरू के 10 गेंदों में उन्होंने एक रन बनाया था लेकिन उसके बाद शानदार बल्लेबाजी की. इसके लिए अनुभव चाहिए. हमारी टीम जब बनी थी तो सबने कहा था कि बूढ़ों की टीम है, लेकिन ऐसी टीम धोनी भाई ने जानबूझ के बनाई थी क्योंकि इस प्रारुप में अनुभव भी काफी मायने रखता है. वॉटसन ने जब खाली गेंदें निकालीं तो उन्हें पता था कि वह बाद में कवर कर सकते हैं यही अनुभव होता है. वॉटसन के पास अनुभव है. उन्होंने अपने खेल से काफी मैच जिताएं हैं.

'हम सर्वश्रेष्ठ फील्डिंग टीम न बन सकें, लेकिन हमें स्मार्ट बनना है'
आईपीएल से पहले चेन्नई को बूढ़ों की टीम कहा जा रहा था. इस बारे में कभी ड्रेसिंग रूम में बात हुई? इस पर दीपक ने कहा, इस तरह की बातें होती थीं. माही भाई कहते थे कि हमारी उम्र ज्यादा है तो हम सर्वश्रेष्ठ फील्डिंग टीम न बन सकें, लेकिन हम स्मार्ट बन सकते हैं. फील्डिंग में अतिरिक्त रन नहीं दें. बैकअप अच्छे से करें. हमें आसान कैच नहीं छोड़ने,आसान फील्डिंग नहीं छोड़नी है. उनको पता है कि कैसे टीम को चलाना है.

'हर मैदान ही घरेलू मैदान था'
दीपक ने एक इंटरव्यू में कहा, चेन्नई जब भी खेली है हर बार प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई किया है. इस टीम का माहौल बाकी टीमों से अलग ही है. यह सब मैंने सुना था, लेकिन जब मैं वहां पर गया तो पता चला की वाकई ऐसा है. वहां के ड्रेसिंग रूम का वातावरण, टीम प्रबंधन का सपोर्ट बाकी टीमों से बिल्कुल अलग है. चेन्नई की फैन भी बाकी टीमों से ज्यादा हैं और अलग हैं. हम जिस भी मैदान पर जा रहे थे उस मैदान पर दूसरी टीम से ज्यादा समर्थन हमें मिल रहा था. हमारे लिए हर मैदान ही घरेलू मैदान था. इसलिए खेल के मजा आया.

'चेन्नई से पुणे जाना निजी तौर पर फायदेमंद था'
दीपक ने कहा कि चेन्नई से पुणे जाना निजी तौर पर उनके लिए फायदेमंद था और कुछ हद तक विदेशी खिलाड़ियों के लिए भी जिन्हें चेन्नई की गर्मी परेशान कर सकती थी. बकौल दीपक, मेरे लिए तो यह अच्छी बात थी. क्योंकि चेन्नई का विकेट फ्लैट था पुणे का विकेट थोड़ा बहुत तेज गेंदबाजों के मुफीद था. मैं, शार्दूल वहां दो साल से खेल रहे थे. हमें इस विकेट का फायदा ही हुआ. चेन्नई से पुणे जाने में ज्यादा घाटा नहीं हुआ क्योंकि जो विदेशी खिलाड़ी थे वो चेन्नई के अंदर संघर्ष करते. क्योंकि वहां गर्मी बहुत थी.

आईपीएल के 11वें सीजन के फाइनल में चेन्नई का सामना सनराइजर्स हैदराबाद से था. हैदराबाद ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवरों में छह विकेट के नुकसान पर 178 रन बनाए थे. हैदराबाद के मजबूत गेंदबाजी आक्रमण को देखकर लग रहा था कि चेन्नई के लिए यह बेहद मुश्किल होगा. इस पर दीपक ने कहा कि विकेट को देखकर उनकी टीम को पता था कि वह 200 का लक्ष्य भी हासिल कर लेगी.

'अगर हमें 200 का लक्ष्य भी मिला तो हम हासिल कर लेंगे'
25 साल के इस युवा ने कहा, विकेट बहुत अच्छा था. वो वानखेड़े का विकेट जैसा होता है वैसा ही था. हमें पता था कि अगर हमें 200 का लक्ष्य भी मिला तो हम हासिल कर लेंगे. उससे पहले क्वालीफायर-1 में विकेट बल्लेबाजों के लिए अच्छा नहीं था. ऐसे में हैदराबाद की टीम अच्छा करती है. बेशक उनका गेंदबाजी आक्रमण शानदार था, लेकिन वो वहां डिफेंड अच्छे से कर पा रहे थे जहां विकेट गेंदबाजों के लिए ज्यादा मददगार था. लेकिन वानखेड़े का विकेट ऐसा नहीं था.

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'चोट से दूर रहना चाहता हूं'
आईपीएल में अपनी गेंदबाजी से सभी को प्रभावित करने वाले युवा तेज गेंदबाज दीपक चहर का कहना है कि आने वाले दिनों में उनकी कोशिश चोट से दूर रहने की होगी. दीपक का करियर चोटों से काफी प्रभावित रहा है. आईपीएल के दौरान ही वह चोट के कारण दो सप्ताह तक नहीं खेल पाए थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने शानदार वापसी की और टीम को खिताब दिलाने में अहम रोल निभाया.
दीपक ने कहा, "मुझे मेरी फिटनेस पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि मुझे चोटें ज्यादा लगती हैं. मेरी कोशिश रहेगी की मुझे चोटें कम लगें. साथ ही मैं डेथ ओवरों में अपनी गेंदबाजी को और बेहतर करना चाहता हूं. आप जब खेल रहे हो तो सीखने की गुंजाइश हमेशा रहती है चाहे गेंदबाजी हो, या बल्लेबाजी या फील्डिंग. खिलाड़ी को हमेशा सीखते रहना चाहिए."

आईपीएल के दौरान दीपक को 28 मई को मुंबई इंडियंस के खिलाफ खेले गए मैच के दौरान मांसपेशियों में खिंचाव की परेशानी हो गई थी और वह सिर्फ 2.1 ओवर फेंक कर ही बाहर चले गए थे. उनसे जब इस चोट से उबरने के बाद वापसी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे पता था कि इसमें दो सप्ताह का समय लगेगा. बकौल दीपक, "मुझे बहुत सारी चोटें लग चुकी हैं तो मुझे काफी चीजें पता हैं मेरे शरीर और चोट के बारे में. जब मैं उस मैच में बाहर आ रहा था तभी मैंने कह दिया था कि इसे ठीक होने में दो सप्ताह का समय लगेगा. उस दौरान अच्छी बात यह रही की हमको ज्यादा मैच नहीं खेलने पड़े, हमें आराम मिला हुआ था."

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