INDvsSA: दक्षिण अफ्रीका की 5 कमियां, जिनकी वजह से होगा टीम इंडिया का पलड़ा भारी
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INDvsSA: दक्षिण अफ्रीका की 5 कमियां, जिनकी वजह से होगा टीम इंडिया का पलड़ा भारी

दक्षिण अफ्रीका ने इस साल अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में एक टेस्ट मैच खेला है. तब से वे मैदान पर नहीं उतरे हैं. जबकि भारत ने हाल ही में श्रीलंका के साथ टेस्ट और वन डे सीरीज खेली है. 

दक्षिण अफ्रीका अब तक हुई छह टेस्ट सीरीज में से 5 सीरीज जीत चुका है (File Photo)

नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका और भारत के बीच आगामी सीरीज का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. हालांकि, भारत के मुकाबले दक्षिण अफ्रीका का पलड़ा भारत के मुकाबले भारी नजर आता है, लेकिन इस बार टीम इंडिया के इरादे कुछ और हैं. दक्षिण अफ्रीका अब तक हुई छह टेस्ट सीरीज में से 5 सीरीज जीत चुका है. 2010 में खेली गई सीरीज 1-1 से ड्रॉ रही थी. दक्षिण अफ्रीका में खेले गए 17 टेस्ट मैचों में से भारत केवल दो टेस्ट में जीत हासिल कर सका है. भारत ने 8 टेस्ट हारे हैं और 7 टेस्ट मैच ड्रॉ रहे हैं. यानी टेस्ट मैचों में दक्षिण अफ्रीका के मैदान टीम इंडिया को बहुत ज्यादा रास नहीं आए हैं. जाहिर है भारत अपने रिकॉर्ड को बेहतर करना चाहेगा. लेकिन इसके लिए उन्हें मेजबान की कमजोरियों का फायदा उठाना होगा, तभी वह दक्षिण अफ्रीका में क्रिकेट का नया इतिहास रच सकते हैं. 

  1. 2010 में खेली गई सीरीज 1-1 से ड्रॉ रही थी
  2. दक्षिण अफ्रीका में खेले गए 17 टेस्ट 
  3. 17 में से दो ही टेस्ट मैचों में भारत जीता

ओपनिंग बल्लेबाजी में परेशानी
जहां तक ओपनिंग बल्लेबाजी का सवाल है तो दक्षिण अफ्रीका को अब तक डीन अल्गर को कोई जोड़ीदार नहीं मिला है. स्टीफन कुक ने वैकल्पिक रूप से न्यूजीलैंड दौरे (2017) अच्छा प्रदर्शन किया है. इसके बाद कुक को किनारे कर उनकी जगह हिनो कुहन ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया. उनका औसत भी चार टेस्ट मैचों में महज 14.12 का है. इसके बाद बांग्लादेश दौरे के लिए उन्हें टीम में नहीं चुना गया. कुहन की जगह एडेन मरक्राम को लाया गया. एडेन ने बांग्लादेश के खिलाफ डेब्यू मैच में शतक जमाकर शानदार शुरुआत की. उन्होंने एक सकारात्मकता के साथ टेस्ट में डेब्यू किया. लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि बांग्लादेश के मुकाबले भारत की गेंदबाजी कहीं ज्यादा बेहतर है. एडेन के लिए उसे खेलना आसान नहीं होगा. भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज उनके लिए एसिड टेस्ट साबित होगा. देखना होगा कि क्या वह सचमुच बड़े मंचों के बल्लेबाज हैं?

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ऑल राउंडर खिलाड़यों की कमी
दक्षिण अफ्रीका ने हमेशा ही ऐसे विश्व स्तरीय ऑल राउंडर दिए हैं, जिनका लोहा क्रिकेट जगत मानता है. ब्रायन मैकमिलन, शॉल पोलक, जैक कैलिस और लांस क्लूजनर ऐसे ही खिलाड़ी हैं जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका को टेस्ट सीरीज जितवाने में अहम रोल अदा किया है. जैक कैलिस खासतौर पर ऐसे खिलाड़ी रहे जिन्होंने ऑल राउंडर को दोबारा परिभाषित किया. वह भारत के खिलाफ न केवल रन बनाने में बल्कि विकेट लेने में भी हमेशा अव्वल रहे. प्लेइंग 11 में ऑल राउंडर की मौजूदगी अफ्रीकी टीम को एक संतुलन देती थी, लेकिन पिछले कई सालों से दक्षिण अफ्रीका इस तरह के ऑल राउंडर पैदा नहीं कर पा रहा है. क्रिस मोरिस बेशक ऑल राउंडर कहे जाते हैं लेकिन उनका बल्लेबाजी औसत सिर्फ 24.71 है. और गेंदबाजी में उनका औसत 38.25 है. वेन परनेल को भी बेहतरीन ऑल राउंडर नहीं माना जा सकता. उनका बल्लेबाजी औसत 16.75 और गेंदबाजी औसत 27.60 है. यह औसत भी उन्हें एक ऑल राउंडर नहीं बनाता. दक्षिण अफ्रीका के पास फिलवक्त कोई जेनुअन ऑल राउंडर नहीं है. इससे उनके टीम संतुलन पर बुरा असर पड़ता है. 

स्पिन गेंदबाजी में अभी हैं काफी कमियां 
भारत के खिलाफ तीन टेस्टों में केप टाउन, सेंचुरियन और जोहानसबर्ग की पिचें बेशक तेज गेंदबाजों को मदद करेंगी, लेकिन टेस्ट मैच के चौथे और पांचवें दिन स्पिनर की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता. केशव महाराज अपने टेस्ट करियर की शुरुआत शानदार ढंग से की थी. उन्होंने 13 टेस्ट मैचों में 51 विकेट लिए थे. लेकिन यह दिलचस्प है कि महाराज ने अब ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और बांग्लादेश के बल्लेबाजों के खिलाफ गेंदबाजी की है. इनमें बाग्लादेश को छोड़कर किसी टीम के पास स्पिनर को बेहतर ढंग से खेलने का कोई अनुभव नहीं है. ये सभी टीमें स्पिनर के खिलाफ संघर्ष करती दिखाई पड़ती हैं. इनके मुकाबले टीम इंडिया के बल्लेबाज स्पिनर को कहीं ज्यादा बेहतर ढंग से खेलते हैं. चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे और रोहित शर्मा के खिलाफ खुद महाराजा संघर्ष करते दिखाई पड़ेंगे. गेंदबाजी हमेशा ही दक्षिण अफ्रीकी टीम के लिए परेशानी का सबब रही है और आगामी सीरीज में भी ऐसा ही रहने की उम्मीद है. 

लंबे समय तक स्टेन और डिविलियर्स का टीम में न होना
दक्षिण अफ्रीकी टीम के दो लीजेंड खिलाड़ी डेल स्टेन और एबी डिविलियर्स काफी लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बाहर चल रहे हैं. ये दोनों ही भारत के खिलाफ सीरीज से वापसी करने वाले हैं. डेल स्टेन ने नवंबर 2016 में  दक्षिण अफ्रीका के लिए आखिरी बार मैच खेला था. इसके बाद वह चोट के कारण टीम से बाहर हो गए. हालांकि, उन्होंने घरेलू किक्रेट में वापसी के बाद अच्छा प्रदर्शन किया. लेकिन 34 वर्षीय स्टेन के लिए टेस्ट में अच्छा परफॉर्म करना आसान नहीं होगा. यह देखना भी दिलचस्प होगा कि किस तरह लगातार तीन टेस्ट मैचों से उनका शरीर तालमेल बिठा पाता है. क्या वह पंद्रह दिन तक फिट रह पाएंगे. यही स्थिति डिविलियर्स की है. वह पिछले दो साल से कोई टेस्ट मैच नहीं खेले हैं. उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट जनवरी 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था. लंबे समय तक का यह ब्रेक अफ्रीका के लिए फायदेमंद भी हो सकता है और नुकसानदेह भी. हालांकि डिविलियर्स सीमित ओवरों का किक्रेट खेलते रहे हैं, लेकिन टेस्ट और वन डे क्रिकेट में फर्क है. डिविलियर्स 33 साल के हो गए हैं. वह जल्द ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की सोच रहे होंगे. बेशक स्टेन और एबी दोनों ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार खिलाड़ी हैं. लेकिन लगातार चोटों ने दोनों को काफी समय क्रिकेट से दूर रखा है. ऐसे में देखना होगा कि ये दोनों भारत के खिलाफ कैसा प्रदर्शन कर पाते हैं. 

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अभ्यास की कमी
दक्षिण अफ्रीका ने इस साल अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में एक टेस्ट मैच खेला है. तब से वे मैदान पर नहीं उतरे हैं. जबकि भारत ने हाल ही में श्रीलंका के साथ टेस्ट और वन डे सीरीज खेली है. यानी टीम इंडिया के खिलाड़ी खेल के लगातार टच में हैं. टेस्ट के अभ्यास से दूर रहने के कारण संभव है कि दक्षिण अफ्रीका की टीम मैदान पर उतनी अच्छी न नजर आए. भारत को इसका लाभ मिल सकता है. यदि भारत दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहली टेस्ट सीरीज जीत लेता है, तो यह भारत के लिए एक ऐसा अवसर होगा जिसका इंतजार हम न जाने कब से कर रहे हैं.

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