विराट कोहली की बेंगलुरू टीम और अजिंक्य रहाणे की राजस्थान टीम शुरुआती तीन-तीन मैच हार चुकी हैं.
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नई दिल्ली: इंडियन टी20 लीग (IPL-12) का मौजूदा सीजन शुरू हुए अभी 10 दिन भी नहीं हुए हैं. अभी तो नौ दिन में महज 12 मैच ही खेले गए हैं. इतने कम समय में यह कयास लगाना जल्दबाजी होगी कि कौन सी टीम खिताबी रेस में आगे बढ़ गई है या कौन रेस से बाहर हो गई है. लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि विराट कोहली की कप्तानी वाली बेंगलुरू टीम (Royal Challengers) और अजिंक्य रहाणे की राजस्थान टीम (Royals) इस रेस में पिछड़ गई हैं. ये दोनों ही टीमें अपने शुरुआती तीनों मैच हार चुकी हैं और प्वाइंट टेबल में सबसे नीचे हैं. ऐसे में उनके लिए आगे का रास्ता बहुत मुश्किल होने जा रहा है.
आईपीएल का मौजूदा सीजन (IPL 2019) 23 मार्च को चेन्नई (Super Kings) और बेंगलुरू (Royal Challengers) के मुकाबले के साथ शुरू हुआ था. लीग में 31 मार्च तक 12 मैच हुए हैं. सभी टीमें तीन-तीन मैच खेल चुकी हैं. एमएस धोनी की कप्तानी वाली गत चैंपियन चेन्नई सुपरकिंग्स ने अपने तीनों ही मैच जीते हैं. उसे छोड़ दें तो कोई भी टीम अपने सभी मैच नहीं जीत सकी है.
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आईपीएल में कुल आठ टीमें खेलती हैं. इनमें से छह टीमों ने एक या इससे अधिक मैच जीते हैं. लेकिन बेंगलुरू और राजस्थान की टीमें अब तक एक भी मैच नहीं जीत सकी हैं. ऐसे में उन पर खिताबी रेस से बाहर होने का खतरा मंडराने लगा है. हालांकि, इन दोनों ही टीमों को अभी कम से कम 11-11 मैच खेलने हैं. अगर इन टीमों को खिताबी रेस बनाए रखनी है, तो कम से कम 7-8 मैच जीतने होंगे.
आईपीएल के पिछले पांच साल के आंकड़ों को देखें तो दो बार ऐसे मौके आए, जब कोई टीम सात मैच जीतकर भी नॉकआउट राउंड में प्रवेश करने में कामयाब रही. साल 2018 में राजस्थान (Royals) और 2014 में मुंबई (Indians) ने सात मैच जीतकर नॉकआउट में प्रवेश किया था. लेकिन सात जीत के साथ तभी कोई टीम नॉकआउट राउंड में प्रवेश कर पाती हैं, जब लीग की सभी टीमें 4-5 मैच जीतें. अगर कुछ टीमें इससे कम मैच जीतती हैं, तो नॉकआउट राउंड की रेस और कठिन हो जाती है.
वैसे इस बात की भी गारंटी नहीं है कि कोई टीम अगर आठ मैच जीत ले तो वह नॉकआउट राउंड में प्रवेश कर जाएगी. साल 2013 में ऐसा हो चुका है. तब बेंगलुरू की टीम नौ मैच जीतकर भी नॉकआउट राउंड से बाहर रह गई थी. तब टॉप-4 की सभी टीमों ने 10 या इससे अधिक मैच जीते थे. 2012 में भी राजस्थान और पंजाब की टीमें आठ मैच जीतकर भी टॉप-4 में जगह नहीं बना सकी थीं. दूसरी ओर, 2010 में दो टीमें (मुंबई, बेंगलुरू) सिर्फ सात-सात मैच जीतकर नॉकआउट राउंड में पहुंच गई थीं.