27 साल लंबे करियर को अलविदा कहेगा ये दिग्गज क्रिकेटर, संन्यास की घोषणा
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27 साल लंबे करियर को अलविदा कहेगा ये दिग्गज क्रिकेटर, संन्यास की घोषणा

इंग्लैंड के पूर्व सलामी बल्लेबाज मार्कस ट्रेस्कोथिक ने गुरुवार को इस सीजन के आखिर में संन्यास लेने की घोषणा की.

(फोटो साभार: Marcus Trescothick/Twitter)

लंदन: इंग्लैंड के पूर्व सलामी बल्लेबाज मार्कस ट्रेस्कोथिक ने गुरुवार को इस सीजन के आखिर में संन्यास लेने की घोषणा की जिससे उनका समरसेट काउंटी की तरफ से 27 साल तक चले करियर का भी समापन हो जाएगा. इंग्लिश पूर्व कप्तान मार्कस वैसे तो इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास 2006 में ही ले चुके थे लेकिन उसके बावजूद क्रिकेट से पूरी तरह से दूर नहीं हुए थे. पिछले करीब 16 साल से मार्कस अपने ही देश में काउंटी क्रिकेट खेल रहे हैं. इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद समरसेट के लिए खेलते हुए नज़र आए.

इस 43 वर्षीय सलामी बल्लेबाज ने 76 टेस्ट और 123 वनडे इंटरनेशनल मैच खेले हैं. उन्होंने समरसेट की तरफ से 1993 में डेब्यू किया और प्रथम श्रेणी मैचों में अब तक 26,234 रन बनाये हैं.

समरसेट की वेबसाइट के अनुसार ट्रैस्कोथिक ने कहा, ‘‘ये 27 साल अविश्वसनीय रहे और मैंने इसके हर पल का लुत्फ उठाया, लेकिन हर चीज का अंत होता है. मैंने क्लब और अपने परिजनों के साथ भविष्य को लेकर चर्चा की और हमें लगता है कि यह घोषणा करने के लिये ये सबसे उपयुक्त समय है. ’’

मार्कस ने इंग्लैंड की तरफ से खेलते हुए 200 से अधिक मैचों में हिस्सा लिया, जिसमें से 76 टेस्ट में 43.8 की औसत से 5825 रन और साथ ही 123 वनडे में 4335 रन बनाए.

फर्स्ट क्लास और लिस्ट 'ए' करियर को मिला दें तो इस इंग्लिश बल्लेबाज ने करीब 37000 हजार से भी ज़्यादा रन बनाए हैं. मार्कस 2005 एशेज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी भी बने. साथ ही सबसे तेज टेस्ट 5000 रनों को बनाने बाले बल्लेबाज भी बने.

समरसेट के लिए खेलते हुए ट्रेस्कोथिक ने 7374 रन बनाए हैं जो कि समरसेट क्लब के लिए किसी भी प्लेयर के द्वारा बनाये गए हुए सबसे अधिक रन हैं.

मार्कस का मानना है कि इस सीजन के खत्म होते होते वह काफी कुछ हासिल कर लेंगे. समरसेट टीम और इसके खिलाड़ी उनके लिए काफी मायने भी रखते हैं. ट्रेस्कोथिक ने 1993 में समरसेट के लिए डेब्यू किया था, जिसके बाद उनका वह उसी का हिस्सा बने रहे.  

मार्कस ट्रेस्कोथिक का करियर खुद उनके लिए इतना आसान नहीं रहा. कई बार उन्हें डिप्रेशन का सामना भी करना पड़ा, जिसकी वजह से उन्हें भारत का 2006 का दौरा भी बीच में ही छोड़ना पड़ गया था.

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