बीसीसीआई में बदलावों के बीच श्रीनिवासन के करीबी भुलाएंगे मतभेद !
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बीसीसीआई में बदलावों के बीच श्रीनिवासन के करीबी भुलाएंगे मतभेद !

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन इस अनौपचारिक बैठक में शामिल होंगे या नहीं.

बीसीसीआई में बदलावों के बीच श्रीनिवासन के करीबी भुलाएंगे मतभेद !

नई दिल्ली : प्रशासकों की समिति द्वारा हाशिये पर लाये गए बीसीसीआई के तीन प्रमुख पदाधिकारी आपसी मतभेद भुलाकर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के अन्य करीबियों के साथ रविवार को यहां अनौपचारिक मुलाकात में भावी योजनाओं पर बात कर सकते हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि एन श्रीनिवासन इस अनौपचारिक बैठक में शामिल होंगे या नहीं.

  1. सीओए कर चुकी है शीर्ष अधिकारियों को बर्खास्त करने की सिफारिश
  2. बोर्ड के तीनों अधिकारियों के तमाम अधिकार छीन लिए गए हैं
  3. अभी भी लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू नहीं किया जा सका है
     

सीओए के सुझावों के मुताबिक बोर्ड के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना, कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी और सचिव अमिताभ चौधरी का कार्यकाल पूरा हो चुका है और उन्हें हटा दिया जाना चाहिये.

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एक प्रदेश ईकाई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कल कॉफी पर मिलने की योजना है और बीसीसीआई प्रशासन पर बात की जाये. मैं अभी नहीं बता सकता कि श्रीनिवासन इस बैठक में शामिल होंगे या नहीं और यह बैठक कहां होगी.’

विनोद राय के नेतृत्व वाले पैनल ने छीने अधिकार
दो सदस्यीय प्रशासकों की समिति और बीसीसीआई के तीन प्रमुख पदाधिकारियों के बीच की जंग और गहरी हो गई जब विनोद राय की अगुवाई वाली पैनल ने कार्यवाहक अध्यक्ष सी के खन्ना, कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरूद्ध चौधरी के तमाम कामकाजी अधिकार छीन लिए. सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह दाखिल सातवीं स्टेटस रिपोर्ट में वह पहले ही इनकी बर्खास्तगी की मांग कर चुके हैं.

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अब एक कदम आगे बढते हुए उन्होंने पदाधिकारियों को सर्वसम्मति से कोई भी फैसला लेने से रोक दिया. इसके अलावा लोढ़ा समिति से जुड़े मसलों में कानूनी खर्चो के लिये बीसीसीआई के धन का इस्तेमाल करने से भी उन्हें रोक दिया गया है. अब वे सीओए की अनुमति के बिना विभिन्न बैठकों में भाग लेने के लिये अपनी यात्रा और प्रवास की योजना नहीं बना सकते.

पहले भी होते रहे हैं ऐसे विवाद
बीसीसीआई पदाधिकारियों और सीओए के बीच रिश्ते काफी निचले स्तर पर पहुंच गये हैं. सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त समिति जहां लोढ़ा सुधारों को लागू करने में लगातार देरी करने के लिये पदाधिकारियों पर दोष मढ़ रही है वहीं पदाधिकारियों का मानना है कि राय एंड कंपनी को शीर्ष अदालत ने जो अधिकार सौंपे हैं वे उस दायरे से बाहर निकल रहे हैं.

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