Gold Medal in Olympics: हरियाणा के छोरे ने लट्ठ गाड़ दिया, पढ़ें Neeraj Chopra की पूरी प्रोफाइल
Advertisement
trendingNow1959828

Gold Medal in Olympics: हरियाणा के छोरे ने लट्ठ गाड़ दिया, पढ़ें Neeraj Chopra की पूरी प्रोफाइल

टोक्यो ओलंपिक में भारत के नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने इतिहास रच दिया. उन्होंने जैवलिन थ्रो फाइनल में गोल्ड मेडल हासिल किया. एक छोटे से किसान परिवार से आते हुए हरियाणा के इस लड़के ने देश को 13 साल बाद गोल्ड दिलाया.

(FILE PHOTO)

नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक में भारतीय जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने गोल्ड पर निशाना लगाकर इतिहास रच दिया. जैवलिन थ्रो फाइनल में नीरज ने 87.58 की सर्वश्रेष्ठ दूरी तय करते हुए गोल्ड पर कब्जा किया. क्वालिफिकेशन राउंड में भी नीरज अपने ग्रुप में टॉप पर रहे थे.

  1. नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास
  2. जैवलिन थ्रो फाइनल में जीता गोल्ड मेडल
  3. 13 साल बाद ओलंपिक में देश को मिला गोल्ड 

एक किसान परिवार से आते हैं नीरज

नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव से आते हैं. उनका जन्म 24 दिसंबर 1997 को हुआ था. उनके पिता सतीश कुमार किसान हैं. खेतीबाड़ी से घर परिवार का खर्च चलता था. नीरज ने स्कूली शिक्षा चंडीगढ़ से पूरी की है. इन्हें पढ़ाई के साथ पिता और चाचा के साथ खेत पर जाकर उनके साथ काम करना पसंद था. नीरज चोपड़ा के मौजूदा कोच ओऊ हॉन हैं. नीरज चोपड़ा हफ्ते में छह दिन छह घंटे ट्रेनिंग करते हैं.

उन्होंने 2016 में पोलैंड में हुए IAAF वर्ल्ड U-20 चैम्पियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता था, जिसके बाद उन्हें आर्मी में जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर के तौर पर नौकरी मिल गई.

ऐसे शुरू हुआ था नीरज का जैवलिन थ्रोअर बनने का सफर

दरअसल नीरज (Neeraj Chopra) को पहले जैवलिन थ्रो का शौक नहीं था. वो बचपन में काफी मोटे हुआ करते थे और 11 साल की उम्र में घरवालों ने मोटापे को कम करने के लिए उन्हें खेलने के लिए कहा.पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में नीरज खेलने के लिए जाने लगे. वहां उन्होंने स्टेडियम में जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करते हुए खिलाड़ियों को देखा. जिसके बाद उनका मन इस खेल में आ गया. यहीं से नीरज चोपड़ा के जीवन में जेवलिन थ्रो की एंट्री हुई.

गोल्ड जीतने तक की जबर्दस्त मेहनत

चोपड़ा की पहली यादगार जीत 2012 में लखनऊ में नेशनल जूनियर चैंपियनशिप में आई थी. उस टूर्नामेंट में चोपड़ा ने अंडर-16 स्पर्धा में 68.46 मीटर भाला फेंककर राष्ट्रीय उम्र-समूह रिकॉर्ड बनाया था और स्वर्ण पदक जीता. 2013 नेशनल यूथ चैंपियनशिप में नीरज ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने दूसरा स्थान हासिल करते हुए उस वर्ष यूक्रेन में होने वाली आईएएएफ वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में जगह पक्की की.

ऑल-इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में नीरज ने साल 2015 में 81.04 भाला फेंककर इस एज ग्रुप का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. नीरज चोपड़ा साल 2016 में उस वक्त हाईलाइट हुए थे, जब उन्होंने जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंककर विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा किया था. 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में नीरज ने 86.47 मीटर भाला फेंका और गोल्ड मेडल अपने नाम किया.

इसके अलावा एशियन गेम्स 2018 में नीरज ने अपना बेस्ट प्रदर्शन करते हुए 88.06 मीटर भाला फेंका और जेवलिन थ्रो में पहला गोल्ड भारत को दिलाया.

क्वालिफिकेशन राउंड में भी टॉप पर रहे थे नीरज

टोक्यो ओलंपिक में जैवलिन थ्रो यानी भाला फेंक के क्वालिफिकेशन राउंड में भी नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) पहले नंबर पर रहे थे. उन्हें जैवलिन थ्रो में गोल्ड का दावेदार जरूर माना जा रहा था. जिस तरह इस खिलाड़ी ने प्रदर्शन किया, आज पूरा देश उनका मुरीद हो गया है.

नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास

जैवलिन थ्रो के फाइनल में नीरज चोपड़ा शुरुआत से ही सबसे आगे रहे. उन्होंने अपनी पहली ही कोशिश में 87.03 मीटर की दूरी तय की है. वहीं दूसरी बार में उन्होंने 87.58 की दूरी तय करी. इसी के साथ उन्होंने अपने क्वालिफिकेशन रिकॉर्ड से भी ज्यादा दूर भाला फेंका है. जैवलिन थ्रो में ये भारत का अब तक का सबसे पहला मेडल है. इतना ही नहीं एथलेटिक्स में भी ये भारत का पहला ही मेडल है. 

Trending news