सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने रविवार को कहा कि अपने 24 साल के करियर के एक बड़े हिस्से को उन्होंने तनाव में रहते हुए गुजारा है. वो बाद में इस बात को समझने में कामयाब रहे कि मैच से पहले तनाव उनकी तैयारी का एक अहम हिस्सा था.
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नई दिल्ली: सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने अपने 2 दशक से भी लंबे करियर में कई कामयाबियां हासिल की और बल्लेबाजी के कई वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अपने नाम किए, लेकिन मास्टर ब्लास्टर के लिए ये सफर आसान नहीं था. उन्होंने अपने करियर को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है.
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने रविवार को कहा कि अपने 24 साल के करियर के एक बड़े हिस्से को उन्होंने तनाव में रहते हुए गुजारा है. वो बाद में इस बात को समझने में कामयाब रहे कि मैच से पहले तनाव उनकी तैयारी का एक अहम हिस्सा था.
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कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के दौरान बायो-बबल (Bio Bubble) में ज्यादा वक्त बिताने से खिलाड़ियों के दिमागी सेहत पर पड़ रहे असर के बारे में बात करते हुए मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि इससे निपटने के लिए इसकी स्वीकार्यता जरूरी है.
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने ‘अनअकेडमी’ द्वारा आयोजित एक चर्चा में कहा, ‘वक्त के साथ मैंने महसूस किया कि खेल के लिए शारीरिक रूप से तैयारी करने के साथ आपको खुद को मानसिक रूप से भी तैयार करना होगा. मेरे दिमाग में मैदान में प्रवेश करने से बहुत पहले मैच शुरू हो जाता था. तनाव का लेवल बहुत ज्यादा रहता था.’
इंटरनेशनल क्रिकेट में शतकों का शतक लगाने वाले इस इकलौते पूर्व खिलाड़ी ने कहा, ‘मैंने 10-12 सालों तक तनाव महसूस किया था, मैच से पहले कई बार ऐसा हुआ था जब मैं रात में सो नहीं पता था. बाद में मैंने यह स्वीकार करना शुरू कर दिया कि यह मेरी तैयारी का हिस्सा है. मैंने वक्त के साथ इस बात को मान लिया कि मुझे रात में सोने में परेशानी होती थी. मैं अपने दिमाग को सहज रखने के लिए कुछ और करने लगता था.’ उन्होंने कहा इस ‘कुछ और’ में बैटिंग प्रैक्टिस, टीवी देखना और वीडियो गेम्स खेलने के अलावा सुबह चाय बनाना भी शामिल था.
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— Unacademy (@unacademy) May 16, 2021
रिकार्ड 200 टेस्ट मैच खेल कर 2013 में रिटायरमेंट लेने वाले इस महान खिलाडी ने कहा, ‘मुझे मैच से पहले चाय बनाने, कपड़े आयरन करने जैसे काम से भी खुद को खेल के लिए तैयार करने में मदद मिलती थी. मेरे भाई ने मुझे यह सब सिखाया था, मैं मैच से एक दिन पहले ही अपना बैग तैयार कर लेता था और यह एक आदत सी बन गई थी. मैंने भारत के लिए खेले अपने आखिरी मैच में भी ऐसा ही किया था.’
तेदुलकर ने कहा कि खिलाड़ी को मुश्किल समय का सामना करना ही पड़ता है लेकिन यह जरूरी है कि वह बुरे समय को स्वीकार करें. उन्होंने कहा, ‘जब आप चोटिल होते है तो डॉक्टर या फिजियो आपका इलाज करते हैं दिमागी सेहत के मामले में भी ऐसा ही है. किसी के लिए भी अच्छे-बुरे समय का सामना सामान्य बात है.’
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने कहा, ‘इसके लिए आपकों चीजों को स्वीकार करना होगा. यह सिर्फ खिलाड़ियों के लिए नहीं है बल्कि जो उसके साथ है उस पर भी लागू होती है. जब आप इसे स्वीकार करते है तो फिर इसका समाधान ढूंढने की कोशिश करते है.’
सचिन ने चेन्नई के एक होटल कर्मचारी का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी किसी से भी सीख सकता है. उन्होंने बताया, ‘मेरे कमरे में एक कर्मचारी डोसा लेकर आया और उसे टेबल पर रखने के बाद उसने मुझे एक सलाह दी. उसने बताया कि मेरे एल्बो गार्ड के कारण मेरा बल्ला पूरी तरह से नहीं चल रहा, यह वास्तव में सही तथ्य था. उसने मुझे इस समस्या से निजात दिलाने में मदद की.’