टीम इंडिया का एक खिलाड़ी ऐसा भी था जिसका करियर रवींद्र जडेजा की वजह से ज्यादा चल नहीं पाया. ये खिलाड़ी एक समय टीम इंडिया का सबसे बड़ा हथियार था, लेकिन जब से महेंद्र सिंह धोनी टीम में जडेजा को लाए उनका करियर खत्म होता चला गया.
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नई दिल्ली: टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए किसी भी खिलाड़ी जमकर मेहनत करनी पड़ती है. कई बेहतरीन खिलाड़ियों का करियर तो बाहर बेंच पर ही बैठे-बैठे कट जाता है. टीम में सेलेक्शन होना जितना मुश्किल माना जाता है, उससे कई गुना ज्यादा मुश्किल खुद को टीम इंडिया में बरकरार रखना होता है, क्योंकि टीम के बाहर भी कई ऐसे खिलाड़ी होते हैं, जो अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर तगड़ा कॉम्पिटिशन देते हैं. लकिन टीम इंडिया का एक खिलाड़ी तो ऐसा है जो लंबे समय तक टीम का हथियार था, लेकिन वो कब टीम से बाहर हो गया किसी को पता भी नहीं चला.
कोई गेंदबाज किसी टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने जैसा जबरदस्त प्रदर्शन करे और उसके बाद उसका करियर खत्म हो जाए, तो आपको उस पर यकीन नहीं होगा. ऐसा एक उदाहरण बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) हैं, जिन्हें टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने के बावजूद टीम से ऐसा बाहर किया गया कि वो फिर कभी लौटकर ही नहीं आए. ये गेंदबाज कभी टीम इंडिया (Team India) का सबसे बड़ा हथियार था और रविचंद्रन अश्विन के साथ उनकी जोड़ी हिट मानी जाती थी. इस खिलाड़ी को पहले महेंद्र सिंह धोनी अपनी कप्तानी में नजरअंदाज करते रहे, धोनी के बाद कप्तान बनने वाले विराट कोहली ने भी इस खिलाड़ी का हाल नहीं पूछा.
बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) को 33 साल की उम्र में ही संन्यास की घोषणा करनी पड़ी थी और इसकी सबसे बड़ी वजह रवींद्र जडेजा बने. प्रज्ञान ओझा ने 14 नवंबर 2013 को अपना आखिरी टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था, जो सचिन तेंदुलकर का इंटरनेशनल क्रिकेट से विदाई मैच भी था. मुंबई में खेले गए इस टेस्ट मैच में प्रज्ञान ने दोनों पारियों में 40 रन पर 5 विकेट और 49 रन पर 5 विकेट चटकाते हुए 89 रन देकर 10 विकेट लेने का कारनामा किया था.
इसके बाद ओझा के एक्शन पर सवाल उठा दिए गए. इसी कारण उन्हें मजबूरन टीम इंडिया से बाहर बैठना पड़ा. इसके बाद उन्होंने एक्शन में सुधार के लिए जमकर मेहनत की और आईसीसी से क्लीन चिट भी हासिल कर ली, लेकिन तब तक तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की गुडबुक में शामिल रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर चुके थे. इस कारण दोबारा ओझा की टीम में कभी वापसी नहीं हो पाई और मजबूर होकर इस खिलाड़ी को संन्यास लेना पड़ा.
ओडिशा में 5 सितंबर, 1986 को जन्मे ओझा का आखिरी टेस्ट बहुत ही ऐतिहासिक था. न केवल ओझा ने इस टेस्ट में 10 विकेट लेने का कारनामा किया था बल्कि यह महान भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के करियर का भी अंतिम टेस्ट था. मुंबई में 14 नवंबर 2013 को शुरू हुए इस टेस्ट में प्रज्ञान की गेंदबाजी का कहर कैरेबियाई बल्लेबाजों पर इस कदर बरपा था कि 3 दिन में ही रिजल्ट आ गया था. लेकिन सचिन तेंदुलकर की विदाई के खुमार के बीच प्रज्ञान की यह जोरदार उपलब्धि दबकर रह गई. हालांकि वह इस टेस्ट मैच में 'मैन ऑफ द मैच' भी चुने गए थे.
मुंबई टेस्ट में तब प्रज्ञान ने दोनों पारियों में 40 रन पर 5 विकेट और 49 रन पर 5 विकेट चटकाते हुए 89 रन देकर 10 विकेट लेने का कारनामा किया, जो भारत-वेस्टइंडीज के बीच खेले गए 90 टेस्ट मैचों में छठा बेस्ट गेंदबाजी प्रदर्शन था. इतना ही नहीं भारत की तरफ से वेस्टइंडीज के खिलाफ एक टेस्ट मैच में यह तीसरे नंबर का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन था.
प्रज्ञान ओझा ने अपना टी-20 इंटरनेशनल करियर 2009 टी20 वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के खिलाफ मैच में किया था. इस मैच में ओझा ने 21 रन देकर 4 विकेट लिए थे और उन्हें 'मैन ऑफ द मैच' चुना गया था. इसके बावजूद उनका टी20 इंटरनेशनल करियर 6 मैच में 10 विकेट तक ही सिमटकर रह गया. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कभी भी उनकी बॉलिंग में पूरा विश्वास नहीं दिखा पाए. इसके अलावा ओझा ने 2009 में ही श्रीलंका के खिलाफ कानपुर टेस्ट में अपना इंटरनेशनल टेस्ट करियर शुरू किया था.