निशानेबाज श्रेयसी सिंह के लिए अर्जुन पुरस्कार काफी नहीं, तय किए अगले ये लक्ष्य
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निशानेबाज श्रेयसी सिंह के लिए अर्जुन पुरस्कार काफी नहीं, तय किए अगले ये लक्ष्य

डबल ट्रैप निशानेबाज श्रेयसी का लक्ष्य अब ओलंपिक पदक और खेल रत्न है. उनका मानना है कि अर्जुन पुरस्कार पाना सम्मान की बात तो है लेकिन वे अब आगे की ओर देख रहीं हैं.

श्रेयसी सिंह अर्जुन अवार्ड पाने के बाद अगले लक्ष्यों की ओर ध्यान देना चाहती हैं.  (फोटो : PTI)

नई दिल्ली:  हाल ही में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित हुईं प्रतिबद्ध डबल ट्रैप की निशानेबाज श्रेयसी सिंह अब अपने करियर में आगे बढ़ने की योजना पर काम कर रहीं हैं. तोक्यो में दो साल बाद होने वाले ओलंपिक खेलों तक फिटनेस और खेल दोनों में ‘परफेक्ट’ बनने के लिए प्रतिबद्ध श्रेयसी सिंह ने अपने लिए लक्ष्य भी तय कर दिए हैं - 2020 में ओलंपिक पदक और उसके दम पर राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार हासिल करना. गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली 27 वर्षीय श्रेयसी को इस साल अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया लेकिन वे अपना नाम देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न पाने वाले खिलाड़ियों की सूची में देखना चाहती हैं. वे जानती हैं कि ओलंपिक पदक जीतने पर यह उपलब्धि हासिल करना उनके लिए आसान हो जाएगी. 

  1. गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता
  2. इस साल अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया
  3. अब वर्ल्डकप पर हैं श्रेयसी की निगाहें

श्रेयसी ने कहा, ‘‘कोई भी पुरस्कार आपको बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है. इससे मुझे खेल रत्न पाने के लिए प्रोत्साहन मिला है. इस पुरस्कार के बाद निश्चित तौर पर मेरा लक्ष्य खेल रत्न हासिल करना है जिसके लिए मुझे ओलंपिक पदक जीतना होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी ओलंपिक क्वालीफिकेशन की तैयारियों में लगी हूं. अपने कोच मनशेर सर (मनशेर सिंह, पूर्व निशानेबाज) के मार्गदर्शन में मैं लगातार बेहतर करने की कोशिश कर रही हूं. ओलंपिक में पदक हासिल करने के लिए मुझे हर तरह से परफेक्ट बनना होगा.’’ 

परिवार का गहरा नाता है निशानेबाजी से
निशानेबाजी श्रेयसी को विरासत में मिली है. उनके दादा कुमार सुरेंद्र सिंह और पिता दिग्विजय सिंह दोनों ही भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्होंने परिवार से कड़े अनुशासन की सीख ली है और जिसके दम पर उन्हें ओलंपिक पदक हासिल करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से सर्वश्रेष्ठ स्थिति में रहने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘‘ओलंपिक में पोडियम तक पहुंचना है तो कड़ी मेहनत करनी होगी. इसके लिए कड़े अनुशासन की जरूरत पड़ती है. मुझे परिवार से अनुशासित जिंदगी जीने की सीख मिली है. मैं ‘परफेक्ट’ बनने के लिएनिरंतर मेहनत कर रही हूं. निशानेबाजी में आपकी एकाग्रता बेहद अहम भूमिका निभाती है.’’ 

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श्रेयसी को कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल मिलने के पर अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. (फोटो : PTI)

अभी सबसले अहम वर्ल्डकप में कोटा हासिल करना
ओलंपिक के लिएट्रैप स्पर्धा में अभी 24 कोटा स्थान दांव पर लगे हैं. इनमें से आठ स्थान अगले साल होने वाले चार आईएसएसएफ विश्व कप और तीन स्थान एशियाई चैंपियनशिप के जरिये हासिल किये जा सकते हैं. श्रेयसी का लक्ष्य विश्व कप में कोटा हासिल करना है. उन्होंने कहा, ‘‘अभी सबसे महत्वपूर्ण देश के लिए कोटा स्थान हासिल करना है. हमें विश्व कप में इसका मौका मिलेगा जिसमें हमारा प्रदर्शन अब तक अच्छा रहा है. महासंघ (एनआरएआई) से हमें पूरा सहयोग और समर्थन मिल रहा है और उम्मीद है कि इस बार न सिर्फ हम पर्याप्त कोटा स्थान हासिल करेंगे बल्कि तोक्यो में पदक जीतने में भी सफल रहेंगे.’’ 

मजबूत पूल तैयार हो रहा है ओलंपिक के लिए
श्रेयसी ने युवा निशानेबाजों को बढ़ावा देने की भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) की नीति की भी तारीफ की जिससे कि आगे के ओलंपिक खेलों के लिए मजबूत ‘पूल’ तैयार हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘महासंघ ने सुमा शिरूर, जसपाल राणा, मनशेर सिंह जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को कोचिंग से जोड़ा. अपने सुपर सीनियर्स से हमें सीखने का मौका मिल रहा है. वे प्रतिस्पर्धा की जरूरतों को समझते हैं. महासंघ जिस तरह से जूनियर निशानेबाजों को तैयार कर रहा है उससे हमारे पास युवा खिलाड़ियों का अच्छा पूल तैयार हो गया है जिनसे हम 2028 ओलंपिक तक पदक की उम्मीद कर सकते हैं.’’

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