FIFA World Cup : फुटबॉल में यहां पाकिस्तान से बहुत पीछे है भारत, हैरान करने वाली है वजह
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FIFA World Cup : फुटबॉल में यहां पाकिस्तान से बहुत पीछे है भारत, हैरान करने वाली है वजह

फुटबॉल निर्माण और आपूर्ति के मामले में भारत पाकिस्तान और चीन यहां तक कि अब वियतनाम तक से पीछे हो गया है. 

फीफा वर्ल्डकप में फुटबॉल को लेकर भारत में अलग तरह की समस्याएं हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली :  रूस में चल रहे फीफा वर्ल्डकप 2018 का नॉकआउट दौर में पहुंच गया है. दुनिया भर में फुटबॉल के इस महाकुंभ की वजह से फुटबॉल फीवर छाया हुआ है. जो देश इस खेल का हिस्सा नहीं हैं वे भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं हैं. भारत में भी फीफा वर्ल्डकप का बुखार यहां के फैंस में सर चढ़कर बोलता है. लेकिन खेल, खिलाड़ी और फैंस के  अलावा भी कुछ ऐसे पहलू हैं जो भारत के लिए फीफा वर्ल्डकप के लिहाज से खास हैं. 

  1. फुटबॉल गेंद के निर्माण में पाकिस्तान है आगे
  2. फीफा आधिकारिक खेलों केलिए एडिडास बनाती है गेंद
  3. फीफा नही करवा रहा है भारत से इन गेंदों का निर्माण

अब  फुटबॉल के इस स्कोर कार्ड पर ही नजर डालें, पाकिस्तान 2- भारत 0 , चीन 1- भारत 0. यह स्कोर कार्ड है तो फुटबॉल का लेकिन फुटबॉल खेल का नहीं है बल्कि इसका संबंध एशिया के इन देशों और रूस में चल रहे फीफा वर्ल्डकप से जरूर है. ऐसा स्कोर कार्ड खेलों का सामान बनाने वाले समूहों का है. दरअसल भारत चीन, पाकिस्तान और अन्य एशियाई देशों की खेलों का सामान बनाने वाली कम्पनियां इस बार फीफा वर्ल्डकप में फुटबॉल सहित इस खेल ने अन्य सामान की आपूर्ति करने के लिए मैदान में थीं. इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक इनमें भारत के मुकाबले चीन और पाकिस्तान ने बाजी मार ली है.

इसमें भी सबसे आगे पाकिस्तान रहा जिसने इस बार भी फीफा वर्ल्डकप की  खास चिप लगी आधिकारिक गेंद टेल्स्टार 18 के उत्पादन के अधिकार हासिल किए तो वहीं चीन ने यूरोप के देशों को फुटबॉल गेंदों की आपूर्ति के मामले में भारत को पछाड़ दिया.  इसके अलावा वियतनाम जैसे देश ने भी कई बड़े आपूर्ति के ऑर्डर हासिल करने में कामयाबी हासिल कर ली. 

भारत ने कभी भी फीफा वर्ल्डकप की आधिकारिक मैचों के लिए गेंद के उत्पादन के लिए ऑर्डर हासिल नहीं किया है. लेकिन देश में फुटबॉल गेंदों की मांग कम नहीं है और हर बार फीफा वर्ल्डकप के दौरान इसमें काफी उछाल भी आता है लेकन खबर के अनुसार, जालंधर के एक फुटबॉल उत्पादक का कहना है पिछली बार की तुलना में इस बार मांग मे बड़ी गिरावट आई है. रतन ब्रदर्स के डायरेक्टर तिलक खिंदर का कहना है कि जहां पिछले फीफा वर्ल्डकप में जहां 400,000 गेंदे बनाई थीं जिसमें से केवल फीफा से ही 80,000 गेदों का ऑर्डर था. लेकिन हैरानी की बात है कि इस साल कुल मिलाकर केवल 20,000 गेंदों का ही आर्डर मिला है खिंदर को. 

भारतीय फुटबॉल निर्माताओं की मुसीबतें पहले से ही कम नहीं हैं. क्षमताओं और कुशल श्रम में कमी, खराब बुनियादी ढांचा, और रुपये का मूल्य जैसी समस्याएं पहले ही इस उद्योग के लिए बड़ी चुनौतियां के रूप में ही मौजूद हैं. इसमें जीएसटी की वजह से एक्साइज ड्यूटी की रीफंड में कमी ने परेशानी बढ़ा दी हैं. स्पोर्ट्स साधन बनाने वाली एक निर्माता और वितरण कंपनी सॉकर इंटरनेशनल  के एमडी विकास गुप्ता का कहना है कि जीएसटी के बाद एक्साइज पर रीफंड 10.5 प्रतिशत से एक प्रतिशत तक रह गया है.
 
रूपया कमजोर होने के बाद भी दूसरे देशों को ज्यादा फायदा
जालंधर के ही शांत स्पोर्ट्स इंडस्ट्री के अमन चोपड़ा का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत भी एक खास मसला है. भारत में जहां डॉलर 69 रुपये का है, वहीं पाकिस्तान में यह 122 रुपये के करीब है. गुप्ता का कहना है कि भारत में फुटबॉल सिलने वाले कुशल श्रमिकों में खासी गिरावट आई है.  युवा फुटबॉल सिलने के बजाए मॉल में काम करना ज्यादा पसंद करते हैं. पुरानी पीढ़ी ने इसे काफी पहले छोड़ दिया है लेकिन उसे आगे ले जाने वाला कोई नहीं है.

पाकिस्तान के सियालकोट के एक प्रमुख फुटबॉल निर्माता कंपनी ने बताया कि एडिडास ने चीन की कंपनी को छोड़कर उनकी कंपनी को चुना लेकिन इस बार उनके भी ऑर्डर में कमी है. इसका कारण यह बताया जा रहा है कि मशीन की सिली हुई गेंदों की मांग ज्यादा है जो कि वास्तव में सिली हुई नही बल्कि पैनल्स को चिपकाकर बनाई हुई गेंद होती है. 

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