आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग: मयप्पन, कुंद्रा की दलीलों से अप्रभावित पैनल
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आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग: मयप्पन, कुंद्रा की दलीलों से अप्रभावित पैनल

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति पर गुरूनाथ मयप्पन की इस दलील का कोई असर नहीं पड़ा कि उसने 10 दिन जेल की सजा काटी, सट्टेबाजी में 60 लाख रूपये गंवाये और युवा होने के साथ उसने पहली बार अपराध किया है।

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति पर गुरूनाथ मयप्पन की इस दलील का कोई असर नहीं पड़ा कि उसने 10 दिन जेल की सजा काटी, सट्टेबाजी में 60 लाख रूपये गंवाये और युवा होने के साथ उसने पहली बार अपराध किया है।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढी की अगुवाई वाली समिति ने कहा, आपराधिक आरोपों का सामना करने और 10 दिन की जेल से साबित हो गया है कि उसका कसूर कितना संगीन था। रियायत के लिये उसकी अन्य दलीलों को खारिज करते हुए समिति ने कहा, उसे आईपीएल मैचों पर सट्टा लगाने की आदत थी जिससे पहली बार अपराधी होने की उसकी दलील बेमानी हो जाती है। इसके अलावा उसका सट्टेबाजी में 60 लाख रूपये गंवाना साबित करता है कि वह भारी सट्टा लगाता था।

पैनल ने कहा, यह उसकी बदकिस्मती थी कि वह इस सट्टेबाजी से पैसा नहीं बना सका। उसने खेल, आईपीएल और बीसीसीआई की छवि और साख को जो नुकसान पहुंचाया है, उसकी तुलना में मीडिया कवरेज के कारण उसे हुई परेशानी बहुत छोटी है। पैनल ने कहा, वह 40 साल का है। वह युवा नहीं है बल्कि अधेड़ उम्र है। यह स्वीकार करना मुश्किल है तो वह खेल के प्रति जुनूनी है। जिस व्यक्ति को वाकई खेल का जुनून होगा, वह सट्टेबाजी नहीं करेगा।

कुंद्रा को भी पैनल से कोई रियायत नहीं मिली। उसने इस आधार पर रियायत की मांग की थी कि उसने और उसके परिवार ने क्रिकेट से प्यार के लिये आईपीएल में इतना निवेश किया और उनका मकसद आर्थिक फायदा नहीं था। उसने यह भी कहा था कि वह फ्रेंचाइजी में अपना हिस्सा छोड़ने को भी तैयार है लेकिन न्यायालय ने कहा कि इससे उसके कदाचार की गंभीरता कम नहीं होती। कुंद्रा के बारे में समिति ने कहा कि राजस्थान रायल्स का सह मालिक होने के नाते उसे बीसीसीआई के नियमों और आचार संहिता का पालन करना चाहिये था।

समिति ने कहा, ब्रिटिश नागरिक होने के नाते उस पर यह सुनिश्चित करने की बड़ी जिम्मेदारी थी कि उसकी हरकतें और गतिविधियां दूसरे देश के कानून के खिलाफ ना हों। भारतीय दंड संहिता के तहत सट्टेबाजी अपराध है। बीसीसीआई के नियमों और आचार संहिता में भी यह भ्रष्टाचार के दायरे में आता है।

 

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