गौतम गंभीर के बीच में कप्तानी छोड़ने और श्रेयस अय्यर के कमान संभालने के बाद भी दिल्ली की किस्मत नहीं बदली. बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों विभागों में उसके खिलाड़ी एक इकाई के रूप में खेलने में असफल रहे.
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नई दिल्ली : कोच बदला, कप्तान बदला, यहां तक कि पूरी टीम बदल डाली, लेकिन नहीं बदली तो दिल्ली की किस्मत जो इंडियन प्रीमियर लीग में लगातार छठे वर्ष प्लेऑफ की दौड़ से बाहर हो गयी तथा अब एक और संघर्षरत टीम बेंगलुरु के खिलाफ आज (12 मई) यहां अंतिम स्थान पर आने से बचने के लिए जोर आजमाइश करेगी. दिल्ली पिछले पांच वर्षों में शीर्ष पांच में जगह बनाने में नाकाम रही थी. इस बार उसने ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक रिकी पोंटिंग को कोच बनाया. कोलकाता को दो खिताब दिलाने वाले गौतम गंभीर को कमान सौंपी. आईपीएल की नई नीलामी में पूरी टीम बदल डाली, लेकिन परिणाम जस का तस रहा और लगातार छठे वर्ष टीम का अंतिम तीन स्थानों पर बने रहना लगभग तय लग रहा है.
गौतम गंभीर के बीच में कप्तानी छोड़ने और श्रेयस अय्यर के कमान संभालने के बाद भी दिल्ली की किस्मत नहीं बदली. बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों विभागों में उसके खिलाड़ी एक इकाई के रूप में खेलने में असफल रहे. फील्डिंग में उसने कई बार अक्षम्य गलतियां की और अब आलम यह है कि 11 मैचों में केवल तीन जीत से उसकी टीम लीग चरण के समाप्त होने से एक सप्ताह से भी अधिक समय पहले प्लेआफ की दौड़ से बाहर हो गई.
अब दिल्ली का सामना ऐसी टीम से जिसकी स्थिति कमोबेश उसी की तरह है. विराट कोहली की अगुवाई वाली बेंगलुरु पिछले साल आठवें और अंतिम स्थान पर रही थी. इस बार उसने भी तीनों महत्वपूर्ण विभागों में कभी कभार एकजुटता दिखायी और उसके भी तीन जीत से केवल छह अंक हैं. अंतर इतना है कि उसने दिल्ली से एक मैच कम खेला है और अगर-मगर की किसी धुंधली तस्वीर को जीवंत बनाए रखने के लिए आज वह दिल्ली का सामना करेगी.
बेंगलुरु के लिए अच्छी खबर यह है कि उसने 17 अप्रैल 2016 के बाद दिल्ली से कोई मैच नहीं गंवाया है और उसकी टीम अपने इस प्रतिद्वंद्वी पर लगातार पांचवीं जीत दर्ज करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी.
दिल्ली अपने आखिरी मैचों को घरेलू मैदान फिरोजशाह कोटला पर खेल रही है, लेकिन हैदराबाद के हाथों नौ विकेट की हार से उसकी धुंधली उम्मीदें भी समाप्त हो गई. ऋषभ पंत की नाबाद 128 रन की पारी भी टीम के काम नहीं आ पाई. शिखर धवन के नाबाद 92 और केन विलियमसन के नाबाद 83 रन के सामने उनका प्रयास बेकार चला गया. पंत का शतक आईपीएल की सबसे बड़ी ऐसी पारी बन गयी जो टीम को जीत नहीं दिला सकी.
असल में पिछले कुछ मैचों में दिल्ली की बल्लेबाजी पंत के इर्दगिर्द ही घूमती रही. इसके युवा विकेटकीपर बल्लेबाज के नाम पर अभी 11 मैचों में 521 रन दर्ज हैं. पिछले चार मैचों में से तीन में उन्होंने 50 से अधिक रन बनाए. वह बाकी बचे तीन मैचों में अपनी इस फार्म को जारी रखकर टूर्नामेंट के आखिर में 'ओरेंज कैप' के लिए दौड़ में बने रहने की कोशिश करेंगे.
ऋषभ पंत के अलावा कप्तान अय्यर (354) और युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ (छह मैचों में 214) ही अच्छा प्रदर्शन कर पाये हैं. ये तीनों बल्लेबाज अब कोहली के सामने अपने कौशल का अच्छा नमूना पेश करके भारतीय कप्तान को प्रभावित करना चाहेंगे.
बेंगलुरु के लिए भी कोहली (396 रन) सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं लेकिन वह भी एबी डिविलियर्स (286), मनदीप सिंह (232) और क्विंटन डिकॉक (201) की तरह टुकड़ों में ही अच्छा प्रदर्शन कर पाए हैं. कोहली का यह घरेलू मैदान है और वह जानते हैं कि यहां उन्हें दर्शकों का भरपूर समर्थन मिलेगा. आरसीबी का कप्तान अपने प्रशंसकों को निराश नहीं करना चाहेंगे.
दिल्ली की तरह पिछले दो मैच गंवाने के बाद इस मैच में उतर रही आरसीबी को भी गेंदबाजों और क्षेत्ररक्षकों ने निराश किया है. दिल्ली से अगर ट्रेंट बोल्ट (13 विकेट) को दूसरी तरफ से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला तो बेंगलुरु के उमेश यादव (14 विकेट) भी एक अदद साथी के लिए तरसते रहे हैं. बेंगलुरु के तुरूप के इक्के युजवेंद्र चहल इस बार अब तक खास कमाल नहीं दिखा पाए हैं.
कुल मिलाकर जिस तरह की परिस्थितियां हैं उसे देखते हुए कल जिस भी टीम का गेंदबाजी और फील्डिंग अच्छा रहेगा उसकी जीत की संभावनाएं बढ़ जाएंगी. वैसे भी कोटला की पिच पर बड़ा स्कोर खड़ा करना आसान नहीं है और ऐसे में गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में ढिलाई महंगी पड़ सकती है.