'इंदौर के मिल्खा सिंह' जीत चुके हैं कई मेडल्स, लेकिन आर्थिक तंगी ने तोड़ी कमर
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'इंदौर के मिल्खा सिंह' जीत चुके हैं कई मेडल्स, लेकिन आर्थिक तंगी ने तोड़ी कमर

एथलीट कार्तिक जोशी में टैलेंट की कोई कमी नहीं है, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ चुका है.

कार्तिक त्यागी (फाइल फोटो)

इंदौर: मध्यप्रदेश के कार्तिक जोशी को लोग 'इंदौरी मिल्खा सिंह' के नाम से जाने जाते हैं. उन्होंने 39 घंटे में 262 किलोमीटर तक दौड़ने का रिकॉर्ड बनाया है. वो महज 19 साल की उम्र में देशभर में अपने कदमों की छाप छोड़ चुके हैं.

  1. 'इंदौरी मिल्खा सिंह' के नाम से मशहूर
  2. दौड़कर बनाए हैं कई सारे रिकॉर्ड्स
  3. कार्तिक को सरकार से मदद की उम्मीद

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कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद दुनियाभर के खेल पर ब्रेक लग गया था और कई खिलाड़ी आर्थिक तंगी का शिकार हो गए थे, कार्तिक जोशी भी इससे अछूते नहीं रहे हैं. अगर उनके घर की दीवारों को देखें तो बेशुमार मेडल्स टंगे हुए हैं. लेकिन उनकी रोजी-रोटी पर संकट पैदा हो चुका है

कार्तिक जोशी जो 19 राज्यों में छोड़ चुका अपनी छाप
इंदौर के कार्तिक जोशी जो चेहरे पर हल्की मुसकुराहट लिए हवा की गति से धरती पर फर्राटे भरते हैं.  कार्तिक 19 साल की उम्र में हिंदुस्तान के 19 राज्यों की धरती पर अपने कदमों की छाप छोड़ चुके हैं. रेगिस्तान की गर्मी से लेकर उत्तराखंड की बर्फबारी तक में दौड़ लगाकर कार्तिक जोशी रिकॉर्ड बना चुका है.लेकिन कार्तिक और उसका परिवार इस वक्त बुरे वक्त से गुजर रहा है.

इंदौरी मिल्खा सिंह कोरोना काल के चलते आर्थिक बेढ़ियों में जकड़ा हुआ है. घर की हालत ऐसी है कि थकने के बाद पैर फैलाकर सो भी न सके. कार्तिक जोशी का 5 सदस्यीय परिवार 10/8 के कमरे  में रहता है. पिता चाय की दुकान चला कर अपने परिवार का पेट भरते थे, कोरोना के कारण वो दुकान भी बंद हो गई.

कार्तिक का कहना है कि उसने प्रधानमंत्री से लेकर स्थानीय सांसद तक सबको चिट्ठी लिखकर मदद मांगी है, लेकिन अब तक कुछ भी मदद नहीं मिली है. हालांकि एक निजी कंपनी ने कार्तिक के टेलेंट को देखते हुए उसे स्पॉन्सर किया है लेकिन वहां से भी ज्यादा मदद नहीं मिल पाती है. 

अपनी रनिंग के बारे में कार्तिक बताते हैं कि उसके पिता ओमप्रकाश जोशी एक चाय की दुकान चलाते थे. जिससे होने वाली आमदनी से ही ये 5 सदस्यों वाला परिवार चलता था. जो लॉकडाउन की वजह से बंद हो गई. कार्तिक के पिता को अब ऑनलाइन शॉपिंग के एजेंट का काम कर अलग-अलग दुकानों पर कपड़े पहुंचाने का काम करना पड़ रहा है.

सरकार से मदद की उम्मीद
कार्तिक के जज्बे और मेहनत को देखकर हर कोई चौंक जाता है.बिना किसी कोच की मदद के खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए कार्तिक और उसका पूरा परिवार कोई कसर नही छोड़ रहा है.उन्हें उम्मीद है कि एक दिन जरूर ऐसा आएगा जब सरकार और प्रशासन खुद आगे आकर उनकी मदद करेंगे.

कार्तिक के नाम हैं ये बड़े रिकॉर्ड 
(1) 39 घंटे में 262 किलोमीटर दौड़कर के जीता गोल्डन टिकट (USA)

(2) 17 घंटे में 114 किलोमीटर दौड़कर देश में पहला स्थान पाया

(3) 21 घंटे में 141 किलोमीटर दौड़कर जीता गोल्ड मेडल

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