भारत की रुबीना फ्रांसिस ने पेरिस पैरालिंपिक में ब्रॉन्ज जीतकर भारत की झोली में पांचवां मेडल डाला. रुबीना ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 इवेंट में यह मेडल अपने नाम किया. इससे पहले शूटिंग में ही भारत को तीन और मेडल मिल चुके हैं.
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Rubina Francis : भारत की रुबीना फ्रांसिस ने पेरिस पैरालिंपिक में ब्रॉन्ज जीतकर भारत की झोली में पांचवां मेडल डाला. रुबीना ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 इवेंट में यह मेडल अपने नाम किया. इससे पहले शूटिंग में ही भारत को तीन और मेडल मिल चुके हैं. बता दें कि रुबीना पिस्टल इवेंट में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पैरा-शूटिंग एथलीट बनी हैं. रुबीना ने फाइनल में 211.1 अंक हासिल कर ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया.
भारत के खाते में आया 5वां मेडल
रुबीना ने भारत को पैरालंपिक का पांचवां मेडल दिलाया है. पेरिस पैरालंपिक के दूसरे दिन भारतीय निशानेबाजों ने देश के लिए पदकों की झड़ी लगा दी और वैश्विक मंच पर अपना दबदबा दिखाया. अवनी लेखरा ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 इवेंट में अपना खिताब डिफेंड करते हुए पैरालंपिक में लगातार दूसरी बार गोल्ड मेडल जीता. अवनी के साथ पोडियम पर मोना अग्रवाल भी थीं, जिन्होंने इसी इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता. भारत के प्रभावशाली प्रदर्शन में मनीष नरवाल भी शामिल रहे, जिन्होंने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 इवेंट में सिल्वर मेडल हासिल किया. चौथा मेडल प्रीति पाल ने दिलाया, जिन्होंने महिलाओं की T35 100 मीटर इवेंट में 14.21 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ ब्रॉन्ज जीता.
रुबीना ने दिखाया शानदार खेल
25 साल की रुबीना फाइनल में ज्यादा समय टॉप-4 में रहीं और फिर पोडियम फिनिश किया. इस भारतीय निशानेबाज ने अपने 19वें और 20वें शॉट के साथ खुद को टॉप-2 में जरूर पहुंचाया, लेकिन वह अपनी पोजीशन बरकरार नहीं रख सकीं.वह 211.1 अंकों के साथ ईरान की सरेह जावनमर्डी और तुर्किये की आयसेल ओजगन से पीछे रहीं, जिन्होंने क्रमशः 236.8 और 231.1 अंक हासिल किए. 19-22वें शॉट में रुबीना, सरेह को तगड़ा कॉम्पिटिशन दे रहीं थीं. हालांकि, टोक्यो पैरालिंपिक चैंपियन सरेह ने बाकी प्रतियोगियों को पछाड़ते हुए गोल्ड मेडल के लिए अंतिम समय में बढ़त हासिल की.
— SAI Media (@Media_SAI) August 31, 2024
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कौन हैं रुबीना फ्रांसिस?
मध्य प्रदेश के जबलपुर की प्रतिष्ठित पैरा शूटर रुबीना फ्रांसिस ने अपने खेल के शिखर तक पहुंचने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया है. लोअर मिडिल क्लास परिवार में जन्मी रुबीना को लेग डिस्फंक्शन की समस्या से जूझना पड़ा. उनके पिता साइमन फ्रांसिस, जो एक मैकेनिक हैं, उन्होंने आर्थिक तंगी के बीच शूटिंग के प्रति उनके बढ़ते जुनून को सहारा देने के लिए संघर्ष किया. रुबीना की शूटिंग में यात्रा 2015 में शुरू हुई. वित्तीय बाधाओं के बावजूद उनके दृढ़ संकल्प ने उन्हें 2017 में अपने पिता के अथक प्रयासों से पुणे की गन फॉर ग्लोरी अकादमी में पहुंचाया.
बनीं पहली महिला पिस्टल पैरा शूटर
उनके करियर में महत्वपूर्ण मोड़ 2018 फ्रांस वर्ल्ड कप के दौरान आया, जहां रुबीना को पैरालंपिक कोटा हासिल करने के महत्व का एहसास हुआ, जिसने उन्हें अपने ट्रेनिंग को और तेज करने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद उन्होंने नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर कई मेडल जीते और इस दौरान वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाए. उन्हें सबसे बड़ी उपलब्धि लीमा 2021 वर्ल्ड कप में मिली, जहां उन्होंने P2 श्रेणी में पैरालंपिक कोटा हासिल किया, जिससे 2021 टोक्यो पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया. भारत की पहली महिला पिस्टल पैरा शूटर के रूप में रुबीना की कहानी हर किसी के लिए एक प्रेरणा है.