सचिन की 'प्लेइंग इट माई वे' लॉन्च, बीते दिनों को याद कर कहा- 'अखबार में पहली बार नाम तब छपा जब मेरा स्कोर 24 रन था'
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सचिन की 'प्लेइंग इट माई वे' लॉन्च, बीते दिनों को याद कर कहा- 'अखबार में पहली बार नाम तब छपा जब मेरा स्कोर 24 रन था'

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 24 साल के शानदार करियर के दौरान कई बार नाकाम रहने पर मीडिया की आलोचना झेलने वाले महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने स्कूल के दिनों से ही एक क्रिकेटर के तौर पर मिले सहयोग के लिए मीडिया की सराहना की है।

सचिन की 'प्लेइंग इट माई वे' लॉन्च, बीते दिनों को याद कर कहा- 'अखबार में पहली बार नाम तब छपा जब मेरा स्कोर 24 रन था'

मुंबई: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 24 साल के शानदार करियर के दौरान कई बार नाकाम रहने पर मीडिया की आलोचना झेलने वाले महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने स्कूल के दिनों से ही एक क्रिकेटर के तौर पर मिले सहयोग के लिए मीडिया की सराहना की है।

तेंदुलकर ने  कुछ चुनिंदा खेल पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, ‘मेरा मानना है कि जबसे मैं भारत के लिए खेल रहा हूं तब से ही नहीं, बल्कि स्कूल के दिनों से ही मुझे मीडिया का सहयोग मिला। मुझे याद है कि जब मैंने अपना पहला शतक लगाया था तो उस पर लेख लिखा गया।’ उन्होंने शुरूआती दिनों का एक वाकया बयां करते हुए कहा, ‘मुझे याद है कि पहली बार मेरा नाम अखबार में तब छपा जब मेरा स्कोर 24 रन था। स्कोर शीट निकालने और सभी अखबारों को देने वाले एक व्यक्ति ने मुझसे कहा कि अगर तुम अपने स्कोर में छह रन और जोड़ दो तो तुम्हारा नाम अखबारों में आ जाएगा।’’ मास्टर ब्लास्टर ने कहा, ‘यह मेरी जिंदगी का पहला मैच था और मैं नहीं जानता कि मैं क्या हूं। ऐसे में मैंने उससे कहा था कि अगर आप सोचते हैं कि यह सही है तो कर दीजिए और उसने ऐसा ही किया। परंतु मेरे सर (रमाकांत अचरेकर) ने मुझे पकड़ लिया और यह मेरी जिंदगी का बड़ा सबक था। सर ने मुझे बताया कि अगर तुम अपना नाम अखबार में देखना चाहते तो बेहतर होगा कि रन बनाओ।’

गौर हो कि कल सचिन तेंदुलकर की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माइ वे’ को भव्य समारोह में इस महान क्रिकेटर के कुछ पूर्व साथियों, सेलीब्रिटीज और परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में लांच किया गया। तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा की पहली प्रति अपनी मां रजनी को दी थी। तेंदुलकर ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच आत्मकथा का खुद विमोचन किया।

लांच के दौरान तेंदुलकर ने अपने मेंटर और बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर को अपनी बेटी सारा की मौजूदगी में किताब की प्रति दी। व्हीलचेयर पर आए आचरेकर को किताब की प्रति देने से पहले तेंदुलकर ने कहा, ‘मैं लांच के बाद पहली प्रति किसी ऐसे व्यक्ति को देना चाहता था जो मेरे जीवन में काफी विशेष है।’ किताब के विमोचन से पहले क्रिकेट विशेषज्ञ और कार्यक्रम के होस्ट हर्षा भोगले ने तेंदुलकर के टीम के पूर्व साथियों और परिवार के सदस्यों के साथ तीन पैनल चर्चा की। इस किताब में इनके बारे में विस्तृत जिक्र किया गया है। पहली पैनल चर्चा में पूर्व भारतीय कप्तानों सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, रवि शास्त्री और तेंदुलकर के करियर को ढालने में अहम भूमिका निभाने वाले मुंबई के पूर्व क्रिकेटर वासु परांजपे ने हिस्सा लिया।

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