अब सकलैन तारिक का एक ही सपना है कि भारत के लिए वह गोल्ड मेडल जीतकर ला सके. सकलैन अपने इस सपने को सच करने के लिए दिन-रात मेहनत भी कर रहे हैं.
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रमेश बाली/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर का पुंछ जिले में कभी आतंकवादियों का दबदबा रहा था. आए दिन यहां पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी भी होती रहती है, लेकिन यहां के नौजवानों के हौसलों में कभी कमी नहीं आई. यहां के नौजवान देश के लिए कुछ करने के जज्बे में कभी कोई कमी नहीं आई. अपने इसी जज्बे के साथ पुंछ के रहने वाले सकलैन तारिक राज्य के पहला अंतराष्ट्रीय वालीबॉल खिलाड़ी बन गए हैं. सकलैन तारिक हाल ही में ब्रिक्स वालीबॉल टूर्नामेंट (BRICS Volleyball tournament) में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद पुंछ लौटे हैं. पूंछ में सकलैन का शानदार स्वागत हुआ.
पुंछ जिले के आतंकवादग्रस्त गांव सैलानी के औरंगजेब ने अपनी जान देश के नाम कुर्बान कर दी और पुंछ का नाम रोशन करते हुए आंतकवाद के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा था. वहीं, अक्सर पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी से प्रभावित रहने वाले पुंछ नगर के युवक सकलैन तारिक जम्मू-कश्मीर राज्य के पहले अंतराष्ट्रीय वालीबॉल खिलाड़ी बन गए हैं.
सकलैन ने पिछले महीने साउथ अफ्रीका में सम्मपन हुए ब्रिक्स वालीबॉल टूर्नामेंट में यू-21 वालीबॉल भारतीय टीम में खेलते हुए देश के लिए ब्रॉन्ज पदक हासिल किया है. सकलैन ने जम्मू कश्मीर के साथ साथ पुंछ का नाम भी रोशन किया है. इससे पहले सकलैन तारिक 2014 में हुए 10वें यूथ एशियन वालीबॉल चैम्पिनशिप का भी हिस्सा थे श्रीलंका में हुई इस चैंपिंयनशिप में सकलैन यू-17 टीम के कप्तान के तौर पर भारत की तरफ से खेले थे.
अब सकलैन तारिक का एक ही सपना है कि भारत के लिए वह गोल्ड मेडल जीतकर ला सके. सकलैन अपने इस सपने को सच करने के लिए दिन-रात मेहनत भी कर रहे हैं. अपनी इस सफलता के बाद गृह नगर पुंछ लौटने पर जिला प्रशासन एवं शहीद मंजीत सिंह वालीबॉल क्लब ने उनका जोरदार स्वागत किया. बता दें कि सकलैन ने इसी क्लब में ट्रेनिंग ली है.
सकलैन तारिक ने शहीद मंजीत सिंह वालीबॉल क्लब में आठ साल की उम्र से वालीबॉल खेलना शुरू किया था. इसके बाद वह जम्मू-कश्मीर की टीम के साथ खेले और अब पंजाब राज्य टीम के साथ खेल रहे हैं.
सकलैन तारिक अपनी इस सफलता के लिए अपने पिता मोहम्मद तारिक खान को श्रेय देते हैं. तारिक खान फिजिकल एजुकेशन के टीचर होने के साथ-साथ राज्य स्तर के वालीबॉल खिलाड़ी भी हैं. सकलैन अपने पिता को अपना पहला कोच और गुरू मानते हैं. उन्हें अपनी सफलता का श्रेय देते हुए तारिक कहते हैं कि पिता ने ही बचपन से मुझे वालीबॉल खेलना सिखाया है और आज में इस मुकाम पर पहुंचा हूं. इस जगह पर आकर एक गर्व महसूस होता है.
सकलैन तारिक ने नौजवानों से अपील की है कि वह नशे से दूर रहे और खेलों हिस्सा लेकर अपने देश का नाम रोशन करें. सकलैन तारिक के माता-पिता का कहना है कि हमें इस बात की खुशी है कि हमारे बेटे ने हमारा नाम ही नहीं, बल्कि देश का नाम भी रोशन किया है. जब कोई नौजवान यह कहता है कि हम सकलैन तारिक बनाना चाहते है तो हमें अपने बेटे पर गर्व महसूस होता है.