रिक्शा चालक की बेटी दांत और पैर दर्द से थी परेशान, फिर भी ना झुकने दिया देश का मान
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रिक्शा चालक की बेटी दांत और पैर दर्द से थी परेशान, फिर भी ना झुकने दिया देश का मान

एशियाई खेलों में हेप्टाथलॉन में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाली स्वप्ना बर्मन ने अपने 'असामान्य पांवों' के लिए अनुकूलित जूते उपलब्ध कराने की मांग की है.

स्वप्ना बर्मन एशियाई खेलों में हेप्टाथलॉन में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय बनीं (PIC : PTI)

जकार्ता : उत्तरी बंगाल का शहर जलपाईगुड़ी उस समय जश्न में सरावोर हो गया जब यहां के एक रिक्शा चालक की बेटी स्वप्ना बर्मन ने एशियाई खेलों में सोने का तमगा अपने गले में डाला. स्वप्ना ने इंडोनेशिया के जकार्ता में जारी 18वें एशियाई खेलों की हेप्टाथलॉन इवेंट में स्वर्ण पदक अपने नाम किया. वह इस इवेंट में स्वर्ण जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं. अपनी बेटी की सफलता से खुश स्वप्ना की मां बाशोना इतनी भावुक हो गई थीं कि उनके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे. बेटी के लिए वह पूरे दिन भगवान के घर में अर्जी लगा रही थीं. स्वप्ना की मां ने अपने आप को काली माता के मंदिर में बंद कर लिया था. इस मां ने अपनी बेटी को इतिहास रचते नहीं देखा क्योंकि वह अपनी बेटी की सफलता की दुआ करने में व्यस्त थीं. 

बेटी के पदक जीतने के बाद बशोना ने कहा, "मैंने उसका प्रदर्शन नहीं देखा. मैं दिन के दो बजे से प्रार्थना कर रही थी. यह मंदिर उसने बनाया है. मैं काली मां को बहुत मानती हूं. मुझे जब उसके जीतने की खबर मिली तो मैं अपने आंसू रोक नहीं पाई."

स्पेशल जूते चाहती हैं स्वप्ना 
एशियाई खेलों में हेप्टाथलॉन में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाली स्वप्ना बर्मन ने अपने 'असामान्य पांवों' के लिए अनुकूलित जूते उपलब्ध कराने की मांग की है. बर्मन के पांवों में छह उंगलियां हैं. इस 21 वर्षीय एथलीट ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए दो दिन तक चले सात इवेंट में 6026 अंक बनाए. दांत में दर्द के कारण वह अपने दाएं गाल पर पट्टी बांधकर खेली. बर्मन से पहले बंगाल की सोमा बिस्वास तथा कर्नाटक की जेजे शोभा और प्रमिला अयप्पा ही एशियाई खेलों में इस इवेंट में पदक जीत पाई थीं. 

जूतों की वजह से प्रैक्टिस के दौरान होता था दर्द
बिस्वास और शोभा बुसान एशियाई खेल (2002) और दोहा एशियाई खेल (2006) में दोनों में क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रही थी जबकि प्रमिला ने ग्वांग्झू (2010) में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. बर्मन ने कहा, ''मैंने राष्ट्रीय खेल दिवस पर यह गोल्ड जीता जो वास्तव में खास है. मैं सामान्य जूता पहनती हूं जिसे आम लोग पहनते हैं. इससे अभ्यास के दौरान वास्तव में दर्द होता है. चाहे स्पाइक्स हों या आम जूते, मुझे उन्हें पहनकर परेशानी होती है.'' 

बर्मन से पूछा गया कि क्या वह चाहती हैं कि कोई कंपनी उनके लिए विशेष जूते तैयार करे, उन्होंने कहा, ''निश्चित तौर पर इससे मेरे लिए काम आसान हो जाएगा.'' इस एथलीट ने प्रतियोगिता के दौरान ऊंची कूद (1003 अंक) और भाला फेंक (872 अंक) में पहला तथा गोला फेंक (707 अंक) और लंबी कूद (865 अंक) में दूसरा स्थान हासिल किया था. 

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उनका खराब प्रदर्शन 100 मीटर (981 अंक, पांचवां स्थान) और 200 मीटर (790 अंक, सातवां स्थान) में रहा. सात इवेंट में से आखिरी इवेंट 800 मीटर में उतरने से पहले बर्मन चीन की क्विंगलिंग वांग पर 64 अंक की बढ़त बना रखी थी. उन्हें इस आखिरी इवेंट में अच्छा प्रदर्शन करने की जरूरत थी और वह इसमें चौथे स्थान पर रही. इसी इवेंट के दौरान वह पिछले साल भुवनेश्वर में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप के दौरान गिर गई थी, लेकिन इसमें चौथे स्थान पर रहने के बावजूद वह चैंपियन बनीं. 

इवेंट से पहले हो गया था दांत में दर्द
गाल पर पट्टी बंधी होने के बारे में बर्मन ने कहा, ''मैं बहुत ज्यादा चॉकलेट खाती हूं और इसलिए मेरे दांत में दर्द होने लगा. मेरी इवेंट से दो दिन पहले इसमें दर्द होने लगा था. दर्द काफी तेज था लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि मेरी वर्षों की मेहनत बेकार जाए. इसलिए मैंने दर्द को भुलाकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.''  

हेप्टाथलॉन में भाग ले रही एक अन्य भारतीय पूर्णिमा हेम्ब्रम 800 मीटर में उतरने से पहले जापान की युकी यामासाकी से 18 अंक पीछे थी लेकिन उन्होंने बर्मन से थोड़ा पहले दौड़ पूरी की और ओवरआल 5837 अंक लेकर चौथे स्थान पर रही. क्विंगलिंग (5954 अंक) को सिल्वर और यामासाकी (5873) को ब्रॉन्ज मेडल मिला. 

स्वप्ना के पिता चलाते हैं रिक्शा
स्वप्ना ने सात इवेंट में कुल 6026 अंकों के साथ पहला स्थान हासिल किया. जैसे ही स्वप्ना की जीत तय हुई यहां घोषपाड़ा में स्वप्ना के घर के बाहर लोगों को जमावड़ा लग गया और चारों तरफ मिठाइयां बांटी जाने लगीं. स्वप्ना के पिता पंचन बर्मन रिक्शा चलाते हैं, लेकिन बीते कुछ दिनों से उम्र के साथ लगी बीमारी के कारण बिस्तर पर हैं. बशोना ने बेहद भावुक आवाज में कहा, "यह उसके लिए आसान नहीं था. हम हमेशा उसकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते थे, लेकिन उसने कभी भी शिकायत नहीं की."

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स्वप्ना के दोनों पांवों में हैं 6-6 उंगलियां
एक समय ऐसा भी था कि स्वप्ना को अपने लिए सही जूतों के लिए संघर्ष करना पड़ता था क्योंकि उनके दोनों पैरों में छह-छह उंगलियां हैं. पांव की अतिरिक्त चौड़ाई खेलों में उसकी लैंडिंग को मुश्किल बना देती है इसी कारण उनके जूते जल्दी फट जाते हैं. 

'बेहद जिद्दी हैं स्वप्ना' 
स्वप्ना के बचपन के कोच सुकांत सिन्हा ने कहा कि उसे अपने खेल संबंधी महंगे उपकरण खरीदने में काफी परेशानी होती है. बकौल सुकांत, "मैं 2006 से 2013 तक उसका कोच रहा हूं. वह काफी गरीब परिवार से आती है और उसके लिए अपनी ट्रेनिंग का खर्च उठाना मुश्किल होता है. जब वह चौथी क्लास में थी तब ही मैंने उसमें प्रतिभा देख ली थी. इसके बाद मैंने उसे ट्रेनिंग देना शुरू किया." उन्होंने कहा, "वह बेहद जिद्दी है और यही बात उसके लिए अच्छी भी है. राइकोट पारा स्पोर्टिंग एसोसिएशन क्लब में हमने उसे हर तरह से मदद की. आज मैं बता नहीं सकता कि मैं कितना खुश हूं."

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ममता बनर्जी ने दी स्वप्ना को बधाई 
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वप्ना बर्मन को बधाई दी है. ममता ने बंगाल की ही रहने वाली स्वप्ना को ट्वीट कर बधाई दी है. सीएम ममता ने कहा, "हमारे बंगाल की हेप्टाथलॉन क्वीन स्वप्ना बर्मन को एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर बहुत बधाई. आपने हमें गौरवान्वित किया है."

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

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