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DNA with Sudhir Chaudhary: महिला बॉक्सिंग में भारत की नई वर्ल्ड चैम्पियन निकहत जरीन (Nikhat Zareen) के बारे में जानते हैं. 25 साल की निकहत तेलंगाना में रहने वाले एक साधारण से मुस्लिम परिवार से आती हैं. निकहत पर भी हिजाब पहनने के लिए दबाव डाला गया और कहा गया कि मुस्लिम लड़कियां शॉर्ट्स नहीं पहन सकतीं और मर्दों के साथ बॉक्सिंग की प्रैक्टिस नहीं कर सकतीं. लेकिन निकहत इस कट्टरवादी विचारधारा से लड़ती रही और आज पूरी दुनिया उनके लिए तालियां बजा रही हैं.
निकहत का जन्म तेलंगाना के निजामाबाद में हुआ था और अपनी जिंदगी का पहला मैच भी उन्होंने इसी शहर में लड़ा. ये मैच उस समाज के खिलाफ था, जिसे आज भी ये लगता है कि मुस्लिम लड़कियों को हिजाब में रहना चाहिए और उन्हें शॉर्ट्स पहन कर बॉक्सिंग जैसे खेलों में भाग नहीं लेना चाहिए.
निकहत अपने परिवार के साथ निजामाबाद के जिस इलाके में रहती थीं, वहां के ज्यादातर लोग उनके बॉक्सिंग खेलने के खिलाफ थे. इन लोगों के द्वारा निकहत के माता-पिता को ताने मारे जाते थे और उनसे ये कहा जाता था कि आज अगर वो अपनी लड़की को घर से बाहर खेलने के लिए भेजेंगे तो इससे इलाके का माहौल खराब होगा और वहां रहने वाली दूसरी लड़कियां भी हिजाब पहनने के इस्लामिक तौर तरीकों का विरोध करेंगी.
हालांकि इस रूढ़िवादी सोच का निकहत के परिवार पर कोई असर नहीं पड़ा और 13 साल की उम्र में ही उन्होंन बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी और ट्रेनिंग के दौरान अक्सर ऐसा होता था, जब निकहत को पुरुष खिलाड़ियों से रिंग में लड़ना होता था और लोग उनसे ये कहते थे कि वो ऐसा करके ये भूल रही हैं कि वो एक लड़की हैं. लेकिन इन तमाम आलोचनाओं और विरोध के बावजूद निकहत के पिता ने उनकी हिम्मत नहीं टूटने दी.
भारत में आज भी अगर लोगों को मौका मिल जाए तो वो Office जाने की बजाय Work From Home करना पसंद करते हैं. अपनी जाति और पदों का विज्ञापन अपनी गाड़ी पर चिपकाकर चलते हैं और जब जीवन में जरा सी परेशानी आती है तो ये तमाम लोग अपनी किस्मत को दोष देने लगते हैं और कहते हैं कि उनकी किस्मत में नहीं था इसलिए वो कुछ बन नहीं पाए. लेकिन निकहत की कहानी बताती है कि सफलता केवल एक राउंड में नहीं मिलती. बल्कि इसके लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ता है और यही संघर्ष फिर आपको विजयी बनाता है.
निकहत जरीन ने वर्ष 2018 के बाद Turkey में हुई Women's World Boxing Championship में गोल्ड मेडल जीता है. इससे पहले Mary Kom ने ये मेडल जीत कर भारत का मान बढ़ाया था. हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि एक समय जब Mary Kom से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये पूछा गया था कि क्या वो निकहत जरीन के बारे में कुछ कहना चाहती हैं. तो Mary Kom ने उस पत्रकार से ये पूछ लिया था कि निकहत जरीन कौन हैं? असल में पिछले साल हुए Tokyo Olympics के लिए Mary Kom को बिना ट्रायल ही सिलेक्ट कर लिया गया था. लेकिन जब निकहत ने उनका विरोध किया तो Mary Kom को ट्रायल देने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि इस ट्रायल मैच में Mary Kom, निकहत जरीन के खिलाफ जीत गई थीं और इस जीत के बाद उन्होंने निकहत से हाथ मिलाने से भी इनकार कर दिया था. लेकिन आज पूरी दुनिया उनके लिए तालियां बजा रही है.
इस महिला बॉक्सर की कहानी से आज आप ये सीख सकते हैं कि सफलता के लिए बड़ा मकान नहीं, बड़ा मुकाम हासिल करने का इरादा होना चाहिए. जो इस खिलाड़ी के पास था और उसने अपने इन इरादों के बीच ना तो धर्म को आने दिया और ना ही कट्टरवाद को चुनौती बनने दिया. अब मान लीजिए अगर निकहत भी हिजाब पहनने की जिद करतीं और ये कहती कि वो बिना हिजाब पहने बॉक्सिंग नहीं करेंगी तो क्या वो वर्ल्ड चैम्पियन बन पाती. उन्होंने कट्टरवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का मान बढ़ाया और आज भारत के लोग उन पर काफी गर्व कर रहे हैं.
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#DNA: निकहत ज़रीन से क्या सीख सकता है देश?
@sudhirchaudharyअन्य Videos यहां देखें - https://t.co/ZoADfwBf2S pic.twitter.com/5g0IdykclO
— Zee News (@ZeeNews) May 20, 2022