Covid 19 वेरिएंट का पता लगा देगा AI मॉडल, अमेरिका के साइंटिस्ट्स ने किया तैयार
Advertisement
trendingNow12059691

Covid 19 वेरिएंट का पता लगा देगा AI मॉडल, अमेरिका के साइंटिस्ट्स ने किया तैयार

Covid 19: अमेरिका की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा AI मॉडल विकसित किया है जो यह भविष्यवाणी कर सकता है कि कौन से SARS-CoV-2 वेरिएंट नए संक्रमण फैला सकते हैं. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं. 

Covid 19

Artificial Intelligence: साल 2019 में कोविड महामारी ने पूरे दुनिया में कोहराम मचाया था. भारत में भी इस बीमारी की चपेट में आने से हजारों लोगों की जान गई. भारत में एक बार फिर कोविड-19 की लहर आ रही है और मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. इस बीच लोगों को राहत देने वाली एक खबर सामने आई है. अमेरिका की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा AI मॉडल विकसित किया है जो यह भविष्यवाणी कर सकता है कि कौन से SARS-CoV-2 वेरिएंट नए संक्रमण फैला सकते हैं.

वैज्ञानिकों ने विकसित किया AI मॉडल

एमआईटी के स्लोअन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के रेटसेफ लेवी के नेतृत्व में एक टीम ने 9 मिलियन SARS-CoV-2 जेनेटिक सीक्वेंस का विश्लेषण किया. इसके आधार पर वैज्ञानिकों ने ऐसे कारकों का अध्ययन किया जो वायरल प्रसार को प्रभावित कर सकते हैं. ये सीक्वेंस 30 देशों से ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग एवियन इन्फ्लुएंजा डेटा (जीआईएसएआईडी) द्वारा एकत्र किए गए थे. इस डाटा में टीकाकरण दर और संक्रमण दर भी शामिल है.

PNAS Nexus जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों के मुताबिक टीम ने इस विश्लेषण से उभरे पैटर्न का उपयोग करके एक मशीन लर्निंग-इनेबल्ड रिस्क असेसमेंट मॉडल बनाया है. यह दावा किया जाता है कि यह प्रत्येक देश में 72.8% ऐसे वेरिएंट का पता लगाता है जो अगले तीन महीनों में प्रति मिलियन लोगों में कम से कम 1,000 मामले पैदा करेंगे.

शोधकर्ताओं ने कहा कि "यह काम एक विश्लेषणात्मक ढांचा प्रदान करता है जो कई डाटा स्रोतों का लाभ उठाता है, जिसमें आनुवंशिक अनुक्रम डाटा और महामारी विज्ञान डाटा मशीन-लर्निंग मॉडल के माध्यम से शामिल हैं, ताकि नए SARS-CoV-2 वेरिएंट के प्रसार जोखिम पर बेहतर प्रारंभिक संकेत प्रदान किए जा सकें."

यह अनुमान लगाया गया है कि भविष्यवाणी सटीकता 72.8% है जो पता लगाने के एक सप्ताह बाद प्राप्त होती है. लेकिन यह दो सप्ताह के अवलोकन के बाद 80.1% तक बढ़ जाता है. वैज्ञानिकों ने इस दिशा में और अधिक शोध की मांग की है और कहा है कि इसी तरह के दृष्टिकोण को संभावित रूप से अन्य रेस्पिरेटरी वायरस जैसे इन्फ्लूएंजा, एवियन फ्लू वायरस या अन्य कोरोनावायरस तक बढ़ाया जा सकता है.

Trending news