Hacking आज के समय में किसी के लिए भी एक एलिअन कॉन्सेप्ट नहीं है लेकिन आमतौर पर हैकिंग को हमेशा स्मार्टफोन्स और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज से रिलेट किया जाता है. आपको बता दें कि गैजेट्स के साथ-साथ अब दिमाग को हैक (Brain Hacking) करने के लिए भी एक तकनीक के बारे में पता चला है..
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New Brain Hacking Technology after Smartphone Hacking: स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल आज के समय में लगभग सभी लोग करते हैं और ऐसे में शायद ही कोई ऐसा होगा जो स्मार्टफोन हैकिंग (Smartphone Hacking) के बारे में नहीं जानता होगा. फोन ने हमारे कई कामों को आसान तो बनाया है लेकिन यह सभी मानते हैं कि हैकिंग इसका एक बहुत बड़ा और खतरनाक फ्लिप साइड है. स्मार्टफोन्स के हैक होने की खबरें आपने सुनी ही होंगी लेकिन क्या आपको पता है कि एक ऐसी तकनीक बनाई गई है जिससे फोन्स नहीं बल्कि दिमाग भी हैक किये जा सकेंगे. आइए डिटेल में जानते हैं कि ये तकनीक क्या है और किस तरह काम करती है..
स्मार्टफोन्स के बाद अब Hack हो सकेंगे दिमाग
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका में, कई बड़े संस्थानों के वैज्ञानिकों ने एक तकनीक का इजात किया है. इस तकनीक की मदद से दिमाग को हैक किया जा सकेगा यानी इसको आसानी से कंट्रोल कर सकेंगे. आपको बता दें कि जो तकनीक इन साइंटिस्ट्स ने दिखाई है वो एक वायरलेस तकनीक है और फिलहाल इसपर काम चल रहा है.
हेडसेट में डाली गई है ये तकनीक
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिमाग किस तरह काम करता है, इसपर काफी समय से वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे थे और अब उन्होंने दिमाग को कंट्रोल करने की तकनीक तैयार ली है. इस तकनीक से लैस एक हेडसेट डिवेलप किया गया है जो दिमाग के न्यूरॉन्स को पढ़ने के साथ-साथ दूसरों के हिसाब से चलाभी सकता है. ये हेडसेट नेशनल साइंस फाउंडेशन और डिफेंस एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी ने तैयार किया है.
कैसे हैक होता है दिमाग
इस प्रोग्राम का नाम MOANA है जिसका फुल फॉर्म मैग्नेटिक, ऑप्टिकल, अकूस्टिक न्यूरल एक्सेस है. इस तकनीक की मदद से ब्रेन हैक करने के लिए रिसर्च टीम ने जेनेटिक इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया है जिससे दिमाग के न्यूरॉन सेल में एक खास आयन चैनल एक्स्प्रेस किया गया है जो हीट से एक्टिव होता है. आपको बता दें कि इस तकनीक को फिलहाल इंसानों के दिमाग पर नहीं मक्खी के दिमाग पर ट्राई किया गया है. आयन चैनल के एक्टिवेट होते ही मक्खी पंख फैलाने लगती है.
फिलहाल इंसानों पर इस तकनीक को तो नहीं ट्राई किया गया है लेकिन मक्खियों पर इसको करना भी एक बड़ा कदम है.
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