Phone Surveillance: पुलिस के पास ही कोई फोन सर्विलांस पर लगाने का अधिकार होता है, अपराधों की जांच के लिए इस सर्विस का इस्तेमाल किया जाता है.
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Phone Surveillance: आप सभी ने जरूर सुना होगा कि जब कोई अपराध होता है तो पुलिस अपराधियों तक पहुंचाने के लिए उनके स्मार्टफोंस को सर्विलांस पर लगाती है. दरअसल सर्विलांस की मदद से अपराधियों की करंट लोकेशन पता की जा सकती है. ऐसा संभव हो पता है उनके स्मार्टफोन की वजह से, और जहां-जहां स्मार्टफोन जाता है वहां तक सर्विलांस काम करता है और अपराधियों की लोकेशन पुलिस तक पहुंचना रहता है. अगर आपको इस बारे में जानकारी नहीं है कि पुलिस किन परिस्थितियों में सर्विलांस पर फोन डालती है तो आज हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं.
इन मामलों में पुलिस करती है फोन सर्विलांस का इस्तेमाल
दरअसल चोरी, मर्डर और डकैती जैसे संगीन अपराधों में पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए फोन सर्विलांस का इस्तेमाल करती है. इस सर्विस में अपराधियों की एग्जैक्ट लोकेशन पता लगाई जा सकती है. हालांकि फोन सर्विलांस तभी काम करेगा जब फोन अपराधियों के पास हो अगर फोन को कहीं दूर फेंक दिया जाए या फिर फोन गिर जाए तब भी सर्विलांस की मदद से अपराधियों की लोकेशन पता नहीं लगाई जा सकती है.
कैसे सर्विलांस पर किसी का फोन डालती है पुलिस
अगर आपको लग रहा है कि पुलिस ही किसी अपराधी के या किसी शक के दायरे में आने वाले व्यक्ति के फोन को सर्विलांस पर डालती है तो आप पूरी तरह से गलत है. आपको बता दें की सबसे पहले पुलिस मामले में एफआईआर दर्ज करती है फिर मामले को पुलिस आईटी टीम को भेजा जाता है और जरूरत पड़ने पर व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल किया जा रहे सिम कार्ड के ऑपरेटर की जानकारी निकलती है और फिर उसे ऑपरेटर से बात करके फोन को सर्विलांस पर लगाया जाता है. इसके बाद व्यक्ति की लोकेशन पर नजर रखी जाती है.