साल 2020 में कोरोना महामारी से बचाव के मद्देनजर अधिकतर लोगों ने ऑनलाइन पेमेंट को प्राथमिकता दी थी. जिसने नया रिकॉर्ड बना दिया है. FIS की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में रोजाना 4 करोड़ से ज्यादा का कैशलेस ट्रांजेक्शन किया गया था.
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नई दिल्ली: साल 2020 बदलावों का साल रहा है. कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के कारण मास्क, सैनिटाइजर जैसी चीजें अब भारतीयों की दिनचर्या का हिस्सा बन गए हैं. इन्हीं बदलावों के चलते भारतीयों ने एक नया रिकॉर्ड भी बन दिया है. दरअसल, कोरोना से बचाव के मद्देनजर लोगों के कैश पेमेंट (Cash Payment) के बजाय UPI पेमेंट को प्राथमिकता दी थी, जिसने एक नया रिकॉर्ड बनाया है.
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में UPI ट्रांजेक्शन में 103% से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जहां साल 2019 में भारतीयों द्वारा किया गया कुल UPI ट्रांजेक्शन 2 लाख 2 हजार करोड़ के पास था. वहीं साल 2020 में बढ़कर 4 लाख 16 हजार करोड़ के पार चला गया.
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2020 में जहां ऑनलाइन पेमेंट के जरिए कोरोना से बचाव हुआ, वहीं हर अधिकतर पेमेंट पर मिलने वाले कैशबैक ऑफर से लोगों की बचत भी हो सकी. नोएडा में रहने वाले कन्हैया कुमार ये तो 2020 से ही अपने पास कैश रखना बंद कर दिया है. जबकि दुकानदारों के कहा कि चूंकि कोरोना के बाद परिस्थितियां बदली तो उन्होंने ने भी लोगों से अपील की कि वो उन्हें ज्यादा से ज्यादा UPI पेमेंट्स करें, जिससे ग्राहक और दुकानदार दोनों सेफ रहें. लेकिन अब लोगों को इसकी आदत हो गई है.
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गौरतलब है कि साल 2016 में नोटबंदी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने डिजिटल इंडिया मुहिम की शुरुआत की थी. इसी के चलते भारत में UPI ट्रांजेक्शन की शुरुआत हुई थी. इस मुहीम के पीछे सबसे बड़ा कारण भारत मे काले धन पर लगाम लगाना और लोगों की सहूलियत के लिए कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देना था. साल 2020 में आई FIS की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे विश्व मे रियल टाइम कैशलेस पेमेंट ट्रांजेक्शन के मामले में भारत पहले नंबर पर था. भारत में रोजाना 4 करोड़ से ज्यादा का कैशलेस ट्रांजेक्शन किया गया था.