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Nvidia employees Salary: ग्राफिक्स चिप बनाने वाली कंपनी Nvidia, जो कैलिफोर्निया में है, टेक्नोलॉजी सेक्टर में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली कंपनियों में से एक बन गई है. इसके CEO और को-फाउंडर जेन्सन ह्वांग (Jensen Huang) अरबपति हैं और उन्होंने हाल ही में फोर्ब्स की अरबपतियों की लिस्ट में मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) को भी पीछे छोड़ दिया है.
करोड़पति हैं कर्मचारी
Nvidia सिर्फ AI चिप मार्केट को ही नहीं कंट्रोल करती है, बल्कि इसके कर्मचारियों को भी करोड़पति बना दिया है. लेकिन, इस सफलता की कीमत बहुत ज्यादा है - काम करने का माहौल बहुत स्ट्रेसफुल और थका देने वाला है, जिससे कर्मचारी को अच्छा समय नहीं बिताने मिलता, चाहे वो कितना ही प्रमोशन पा ले या कितना ही ज्यादा कमा ले.
सातों दिन करते हैं काम
Nvidia के एक्स-एम्प्लॉयी का कहना है कि Nvidia में काम करना एक 'प्रेशर कुकर' में रहने जैसा है. एक एक्स-टेक्निकल सपोर्ट वर्कर, जो एंटरप्राइज क्लाइंट्स की सर्विस करने के लिए फर्म में काम करता था, उसने कहा कि उसे हफ्ते के सातों दिन काम करना पड़ता था और कभी-कभी रात 1 या 2 बजे तक बिना किसी रेस्ट के. ऐसा टाइट शेड्यूल असामान्य नहीं है; ज्यादातर वर्कर्स, खासकर इंजीनियरिंग कंपनियों में काम करने वाले, इसी तरह के प्रेशर के तहत काम करते हैं. वर्क कल्चर कंपिटिटिव, प्रेशराइज़्ड और फास्ट-पेस्ड है, जिसकी वजह से एम्प्लॉयीज बर्नआउट और फिजिकल और इमोशनल फटीग का अनुभव कर रहे हैं.
मीटिंग्स में होती हैं लड़ाई
Nvidia में डिसरप्शन्स आम बात है और मीटिंग्स चिल्ला-चिल्लाकर लड़ाई में बदल सकती हैं. एक एक्स-मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव, जो 2022 तक कंपनी में काम करती थी, उन्होंने कहा कि उन्हें दिन में 7-10 मीटिंग्स करनी पड़ती थीं, जिनमें 30 से ज्यादा पार्टिसिपेंट्स होते थे और इन मीटिंग्स के दौरान लोग चिल्लाते थे.
अच्छी सैलरी की वजह से नहीं छोड़ते जॉब
लेकिन एम्प्लॉयीज इस टॉक्सिक एनवायरमेंट को सहते हैं क्योंकि उन्हें बहुत अच्छे स्टॉक ऑप्शंस और ग्रांट्स मिलते हैं, जिन्हें 'गोल्डन हैंडकफ्स' कहा जाता है. इस वजह से, एम्प्लॉयीज आसानी से अपनी जॉब नहीं छोड़ सकते, भले ही वो बहुत ज्यादा प्रेशर में काम कर रहे हों.